निशंक न्यूज कानपुर।
पिंटू सेंगर हत्याकांड में जेल में बंद अधिवक्ता दीनू उपाध्याय की जमानत पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी। दीनू के अधिवक्ता के कोर्ट में न होने के कारण अब इस मामले में 27 मई को सुनवाई की जायेगी। दीनू के मामले की सुनवाई को लेकर आज सुबह से ही कचहरी में गहमा गहमी का माहौल था। भारी पुलिस बल भी कचहरी परिसर में मौजूद रहा।
पिंटू सेंगर हत्याकांड में जेल में बंद है अधिवक्ता दीनू
पिछले दिनों पुलिस ने बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या के करीब साढ़े चार साल पुराने मामले में अधिवक्ता दीनू उपाध्याय को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद से दीनू के खिलाफ शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में धोखाधड़ी कर जमीन पर कब्जा करने तथा वसूली के आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमें दर्ज कराये जा चुके है। कुछ अन्य प्रार्थना पत्र भी पुलिस के पास आये है जिनकी जांच की जा रही है। शुक्रवार 23 मई को दीनू की एक मामले में जमानत पर सुनवाई होनी थी। इसे देखते हुए सुबह से ही कचेहरी में एसीपी कोतवाली आशुतोष सिंह की अगुवाई में भारी पुलिस बल पहुंच गया था। सुनवाई के दौरान दीनू के अधिवक्ता की तरफ से एक प्रार्थना पत्र अदालत में लगाया गया जिसमें यह कहा गया कि किसी कारणवश दीनू के अधिवक्ता दिनेश शुक्ला आज प्रस्तुत नहीं हो सकते। इस लिए अगली तारीख दे दी जाये। इसके बाद अदालत ने दीनू की जमानत पर सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख लगा दी। एसीपी आशुतोष सिंह के अनुसार दीनू के अधिवक्ता की तरफ से प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र के कारण मामले की सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख लगाई गयी है। डीजीसी क्रामिनल दिलीप अवस्थी ने बताया कि दीनू उपाध्याय के अधिवक्ता दिनेश शुक्ला किन्ही कारणों वश कोर्ट में नहीं आ सके इसलिए अब जमानत पर सुनवाई 27 मई को होगी।
कल कचहरी में पैदल घूमाकर खत्म किया था दीनू का भौकाल
बताते चले कि पुलिस नवाबगंज थाने में दर्ज एक मुकदमें में तलबी कराने के लिए गुरूवार की शाम को दीनू को कचहरी लायी थी और यहां पैदल घूमाकर कचहरी परिसर में दीनू के भौकाल को काफी हद तक कम कर दिया था। भारी पुलिस बल के साथ कचेहरी पहुंचे दीनू उपाध्याय से केवल पदाधिकारी तथा दीनू के भाई ने ही मिलने की हिम्मत जुटाई बाकी तमाम वह लोग दीनू के पास जाने से कन्नी काटते रहे जो कुछ समय पहले दीनू के कचहरी आने अपना चेहरा दिखाने के लिए आगे आगे रहते थे। इसके पहले रिमांड के दौरान पुलिस ने दीनू के गढ़ रैना मार्केट से नवाबगंज तक पैदल घुमाकर उसके गढ़ में उसके दबदबे को काफी हद तक कम करने में सफलता हासिल की थी।