दृढ़ इच्छा शक्ति व जुनून ने बना दिया इंजीनियर को आईपीएस

ओपी पांडेय


अलीगढ़। बीहड़ पट्टी से जुड़े जालौन में जन्म लेने वाले नीरज में कुछ अलग करने का जुनून था। इच्छा शक्ति इतनी मजबूत थी कि जिस जनपद के गांवों में 10 अथवा 12 तक की पढ़ाई करने को भी बड़ी उपलब्धि माना जाता था वहां रहकर उन्होंने अलग किया और मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर बन गये। पैकेज भी बढ़िया था। वर्ष 2008 में कुछ गुुंडों में जमीनी विवाद में उसके पिता की हत्या कर दी और पुलिस ने परिवार की कोई मदद नहीं की। इस घटना के बाद परिवार से बेहद लगाव रखने वाले नीरज के मन में अपराधियों तथा आम लोगों की न सुनने वाली पुलिस को सुधारने व उन्हें सबक सिखाने का ऐसा जुनून चढ़ा कि वह अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के दम पर आईपीएस नीरज कुमार जादौन हो गए। वर्तमान में एसएसपी अलीगढ़ का दायित्व निभाते हुए उन्होंने बिगड़ैल पुलिस कर्मियों को सुधारने व अपराधियों को सलाखों की पीछे भेजकर इन्हें सबक सिखाने के लिये अभियान छेड़ रखा है।

साधारण किसान परिवार में रहकर हासिल की उच्च शिक्षा

एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने आईपीएस जैसी महान उपलब्धि प्राप्त कर सिद्ध किया कि कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य का स्वयं निर्माता एवं नियंता हो सकता है। विपरीत परिस्थितियों में वह कभी विचलित नहीं हुए। परिस्थितियों का डटकर सामना कर अन्ततः उन्होंने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसकी उन्होंने आकांक्षा की थी ।उन्होंने अपनी उपलब्धियां से सिद्ध कर दिया कि छोटे-छोटे कदम मीलों का सफर तय करते हैं। हममें से बहुत से लोग अपने सपनों को नहीं जी पाते क्योंकि वे अपने डर को जीते हैं। इसके ठीक विपरीत आईपीएस नीरज कुमार जादौन ने डर पर विजय प्राप्त कर अपने सपनों को जीया है। अपने लिए स्वयं द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्यों को प्राप्त किया है। अलीगढ़ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आईपीएस नीरज कुमार जादौन वर्ष 2015 बैच के तेज तर्रार निर्भीकता, लगगनशीलता, दृढ़ता, कर्मठता एवं ईमानदारी के लिए चर्चित आईपीएस अधिकारी कहे जाते हैं।

जालौन के नौरेजपुर से शुरू किया सफलता का सफर

मूलभूत सुविधाओं में काफी पिछड़े उत्तर प्रदेश की बीहड़ पट्टी से जुड़े जालौन जनपद के नौरेजपुर गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे नीरज कुमार जौदान ने इस गांव से ही अपनी सफलता का सफर शुरू किया। बताया गया है कि पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज परिवार के दुलारे थे और वह अपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं। दिसंबर 2008 को गांव के जमीनी विवाद के कारण कुछ गुंडो ने उनके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी । जिससे 26 वर्षीय नीरज कुमार जादौन का परिवार पूरी तरह से टूट गया था। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज कुमार जादौन उन दिनों अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर कार्यरत थे। इंजीनियर नीरज जादौन ने अपने पिता को न्याय दिलाने के बहुत प्रयास किये लेकिन स्थानीय पुलिस से वैसा सहयोग नहीं मिला जैसी उन्हें उम्मीद थी। पुलिस के रवैये से बहुंत आहत हुए और उन्होंने आम तौर पर पीड़ित की मदद न करने वाले बिगड़ैल पुलिस कर्मियों को सुधारने व उन्हें जनता की मदद करने का सबक सिखाने के के साथ ही अपने 22 लाख पैकेज की उक्त नौकरी को छोड़कर अपने पिता के हत्यारे को कानून से दंडित करवाने के लिए उन्होंने आईपीएस बनने की ठान ली।

कानपुर से किया स्नातक व बीएयू से बीटेक


न्यूज वेबसाइट निशंक न्यूज़ के अलीगढ़ मंडल प्रभारी हुई बाचतीच में वर्तमान में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बताया कि जनपद कानपुर से स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद नीरज कुमार जादौन ने साल 2005 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। इंजीनियरिंग के बाद एक साल तक उन्होंने नोएडा की एक निजी कंपनी में कार्य किया। जिस समय उनके पिताजी की मौत हुई थी, उस दौरान वह बेंगलुरु में एक अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी में 22 लाख रुपए तनख्वाह के पैकेज पर तैनात थे ।पिता की हत्यारों को कानूनी रूप से दंडित कराने के लिए उन्होंने 22 लख रुपए की पैकेज वाली इस नौकरी को छोड़कर आईपीएस बनने के लिए सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करनी शुरू कर दी ।

आईपीएस बनने के लिये अच्छी नौकरियां

बातचीत में आईपीएस नीरज जादौन ने बताया कि वह साल 2011 से ही सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गए थे। 2011 में इंटरव्यू तक पहुंचे, फिर अगले साल उन्हें इंडियन पोस्ट एंड टेलीकम्युनिकेशन अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विसेज में पोस्ट मिली लेकिन उन पर सिर्फ आईपीएस बनने का जुनून सवार था। सन् 2014 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 140वां स्थान हासिल किया। उन्होंने बताया कि मुश्किल के दिनों में उनके दादाजी ही परिवार का सबसे बड़ा सहारा थे, लेकिन सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार देने की तिथि निश्चित होने से ठीक 25 दिन पहले उनके दादा जी का देहांत हो गया । पिता की हत्या एवं उनकी नौकरी छोड़ने के बाद से ही मेहनत- मजदूरी करते हुए दादा जी ही उनके पूरे परिवार का पालन पोषण कर रहे थे ।

सांप्रदायिकता नहीं अपितु सदभावना से ओतप्रोत है अलीगढ़

साक्षात्कार के दौरान एक प्रश्न के जवाब में जनपद अलीगढ़ के बारे में उन्होंने बताया कि कानूनी व्यवस्था की दृष्टि से अतिसंवेदनशील अलीगढ़ शहर की समस्याओं पर आईपीएस नीरज कुमार जादौन ने निर्भीकता एवं बेबाकी से हर प्रश्न का सटीक जवाब दिया । कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक कहने की उनकी क्षमता का साक्षात्कारकर्ता भी कायल हुआ। साक्षात्कार के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आईपीएस नीरज कुमार जादौन ने बताया कि अलीगढ़ सांप्रदायिकता नहीं अपितु सदभावना से ओतप्रोत है । गंगा -जमुना संस्कृति की भीनी –भीनी सुगंध से सरोवर है । उनका मानना है कि अलीगढ़ की जनता शांतिप्रिय एवं पढ़ी-लिखी समझदार है।

हर पीड़ित को मिलनी चाहिये अविलंब सहायता


एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि हर पीड़ित को अभिलंब सहायता मिले उनकी समस्याओं को पुलिस चौकी एवं पुलिस थानों में गंभीरता के साथ सुना जाए। पीड़ित व्यक्ति की रिपोर्ट लिखकर घटना को दर्ज कर उनका निराकरण करना चाहिए ,यही हमारा सर्वप्रथम प्रयास एवं उद्देश्य है उन्होंने बताया कि अस्पताल एवं स्कूल में लोग निर्भीकता पूर्वक आते एवं जाते हैं ठीक उसी प्रकार निर्भीक होकर पीड़ित थाने में आए-जाये। गंभीरता के साथ पीड़ित की समस्याओं को सुनकर उनका निराकरण समय पर हो यही मेरा सर्वप्रथम प्रयास रहता है ।थानों में दलालों का प्रवेश वर्जित हो और जनता छुुटभैया नेताओं के शोषण का शिकार ना हो। इसके लिए जन सहयोग आवश्यक है ।निर्भीकता से लोग थाने पर आ जाएं और अपनी समस्याएं बताये,उनकी समस्याओं का समाधान पुलिस थाने में ही हो जाए यही मैं चाहता हूं ।

सभी को हो अपनी रिपोर्ट लिखाने का अधिकार

एक प्रश्न के उत्तर में पुलिस कप्तान नीरज कुमार जादौन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत ललिता कुमारी केस के परिप्रेक्ष्य में जो आदेश सुप्रीम कोर्ट ने पारित किया । उसमें स्पष्ट कहा गया है की घटना की जानकारी देकर हर व्यक्ति पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकता है,मेरा भी यही प्रयास है कि ललिता कुमारी केस के आधार पर सभी को घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने का अधिकार हो। उन्होंने बताया कि जब सभी घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज होने पर इस प्रक्रिया के क्रियान्वयन से अपराध ग्राफ अचानक बढ़ जाता है मगर फिर धीरे-धीरे सब ठीक-ठाक हो जाता है। अपराध का ग्राफ पुनः निम्न स्तर पर पहुंच जाता है । मेरे प्रयास से घटनाओं की शत -प्रतिशत संपूर्ण जानकारी मिली तो हमने उन अपराधों को अंकुश लगाना आरंभ किया ।जब अपराधों पर अंकुश लगा तब आपराधिक घटनाओं में एकाएक कमी आ जाती है। उन्होंने गुण्डों एवं आपराधिक किस्म के असामाजिक तत्वों को चेतावनी देते हुए कहा कि वह किसी भी कीमत पर अपराधिक घटनाएं एवं अवैध कारोबार को पनपने नहीं देंगे।

जनहित की प्रेरणा व हिम्मत देती है वर्दी,न्याय प्रिय लोग सामने आएं

साक्षात्कार के दौरान अंत में पुलिस कप्तान नीरज कुमार जादौन जी से पूछा गया कि अपराध और अपराधी पर अंकुश के लिए आप समाज को क्या संदेश देना चाहेंगे ।संज्ञान में आया है कि अपराधिक घटनाओं को खुलासे के लिए आप सदैव व्याकुल रहते हैं ।जब तक आप घटना को खोल नहीं देते तब तक आप राहत की सांस नहीं लेते । ऐसी प्रेरणा का स्रोत क्या है ? जवाब में पुलिस कप्तान नीरज कुमार जादौन ने बताया कि उन्हें वर्दी हिम्मत देती है और जनहित की प्रेरणा भी । समाज के न्याय प्रिय लोग आगे आए तभी अपराध एवं अपराधियों पर अंकुश संभव हो सकेगा क्योंकि जनपद की जनसंख्या 40 लाख से अधिक है और पुलिस फोर्स मात्र लगभग 3000 ,यदि जनता का समुचित सहयोग मिलता रहे तो पुलिस फोर्स भी अपराधियों पर अंकुश लगा सकती है। यह मेरा यकीन है। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि अपने आसपास हो रही किसी भी अपराधिक घटना की जानकारी तुरंत 112 नंबर पुलिस कंट्रोल रूम पर दे । जनसहयोग ही अपराधिक तिलिस्म को ध्वस्त कर सकता है । अपराधिक घटनाओं की पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर सूचना दें ।यदि किसी भी पीड़ित की रिपोर्ट दर्द नहीं हो रही है या पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही है स्थिति में पीड़ित व्यक्ति मेरे पास आए । उन्होंने बताया कि पीड़ितों के लिए मेरे कार्यालय एवं आवास के द्वार 24 घंटे सदैव खुले रहते हैं ।

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