आलोक ठाकुर
जिलाधिकारी कानपुर ने गुरुवार को अभिभावक की भूमिका निभाते हुए बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण कानपुर में फंसे राजस्थान के यात्रियों को अपने प्रयास से उनके घरों को भिजवाया। इसके लिये जिलाधिकारी ने अलग अलग वाहनों का इंतजाम कराया। कानपुर के अधिकारियों का यह रूप देख यात्री यूपी के प्रशासन की तारीफ करते नहीं थक रहे थे।
पशुपति नाथ के दर्शन कर राजस्थान जा रहे थे यात्री
बताया गया है कि नेपाल में पशुपतिनाथ के दर्शन के बाद राजस्थान के बूंदी जनपद जाने के लिये यात्री बस से वहां जा रहे थे। नेपाल में पशुपति नाथ दर्शन हो जाने के कारण यात्री उत्साह में थे। राजस्थान जाते समय यात्रियों से भरी यह बस ड्राइवर को नींद आने के कारण डिवाइडर से टकराने के बाद दुर्घटना की शिकार हो गई। हादसे के वक्त बस में 42 यात्री सवार थे। सुबह इस बात की जानकारी जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को डीएम बूंदी के एक एसएमएस से मिली। घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह अभिभावक की भूमिका में आ गए और उन्होंने बिना समय गंवाए पूरी प्रशासनिक मशीनरी को सक्रिय किया। नतीजे में घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराई गई, इसके बाद भोजन का प्रबंध करने के बाद सभी यात्रियों को मंजिल की ओर वैकल्पिक साधन से रवाना किया गया।
डिवाईडर से टकराकर फट गया था बस का टायर
बताया गया है कि बस संख्या एमपी 70 जेड 9876 के ड्राइवर को अचानक नींद आने के कारण बस रामादेवी-भौंती हाईवे पर डिवाइडर से टकरा गई। जोरदार टक्कर के कारण बस का टायर फट गया। गनीमत थी कि, हादसे में किसी को गंभीर चोट नहीं आई। बस के चालक और परिचालक को हल्की चोट आईं थीं, जिन्हें पीआरवी ने तत्काल एंबुलेंस से कांशीराम अस्पताल पहुंचाकर प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराई। घटना की जानकारी मिलते ही बूंदी ज़िले के जिलाधिकारी अक्षय गोदारा ने कानपुर नगर के जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह से संपर्क किया। डीएम कानपुर ने तत्काल स्थिति को गंभीरता से लिया और एडीएम सिटी सहित प्रशासनिक अधिकारियों की टीम को मौके पर भेजा। घटनास्थल पर जिला प्रशासन ने न केवल यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया, बल्कि मानवीय आधार पर आवश्यक सुविधा भी उपलब्ध कराई। यात्रियों को नाश्ता-पानी उपलब्ध कराया गया और वैकल्पिक बस की व्यवस्था कर उन्हें गंतव्य की ओर रवाना किया गया। जिलाधिकारी स्वयं पूरे घटनाक्रम पर निगरानी बनाए रहे और पल-पल की रिपोर्ट लेते रहे।
संभागीय परिवहन कार्यालय में डीएम को मिली खामियां
कानपुर महानगर में वर्षों से लंबित परिवहन विभाग की निरीक्षण एवं प्रमाणन केन्द्र परियोजना का आज जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने स्थलीय निरीक्षण कर वस्तुस्थिति का जायज़ा लिया। यह परियोजना वर्ष 2018 में स्वीकृत हुई थी। 8.39 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना में 6 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय होने के बावजूद अब तक यह परियोजना पूर्ण नहीं हो सकी है। यह जनपद की पुरानी लंबित परियोजनाओं में शामिल इस कार्य की समीक्षा मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर भी होती रही है।
निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि परियोजना के बीच में एक अनावश्यक ट्रेनिंग सेंटर जोड़ने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे बाद में हटाना पड़ा। प्रारंभिक डीपीआर उत्तर प्रदेश एनएसएस (अब यूपीएआरएनएसएस) द्वारा तैयार की गई थी, किंतु विभागीय समन्वय की कमी के चलते इसमें कई तकनीकी खामियाँ रह गईं। स्थिति यह है कि डीपीआर बनाने वाली संस्था ही अब अन्य विभागों से तकनीकी जानकारी मांग रही है, जबकि यह कार्य स्वयं उसकी ज़िम्मेदारी में आता है।
जिम्मेदारों की तय की जाए जवाबदेही
जिलाधिकारी ने परियोजना में हुई अनावश्यक देरी व कार्यदायी संस्था की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए परिवहन विभाग को निर्देशित किया कि जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर उनकी जवाबदेही तय की जाए और उनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु शासन को रिपोर्ट भेजी जाए। साथ ही उन्होंने कार्यदाई संस्था को कड़े निर्देश दिए कि शेष निर्माण कार्य की स्पष्ट समयसीमा तय कर उसे शीघ्र पूरा कराया जाए। वर्तमान समय में परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के निरीक्षण एवं प्रमाणन का कार्य अस्थायी व्यवस्था के तौर पर पनकी में किया जाता है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रमुख सचिव परिवहन सहित अन्य संबंधित अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर प्रशासनिक एवं तकनीकी अड़चनों का तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जाए जिससे परियोजना को शीघ्र चालू किया जा सके। यह परियोजना महानगर में वाहनों के निरीक्षण और प्रमाणन की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा।