विकास वाजपेयी
कानपुर। के फजलगंज थानाक्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने पैतृक दुकान व मकान पर कब्जा करने के लिये अपने करीब सत्तर साल के पिता को मारपीट कर दुकान से निकाल दिया था। युवक ने यह काम विवादों में घिरे अधिवक्ता दीनू उपाध्याय व उसके साथियों की सह पर किया था। फजलगंज पुलिस भी अपने बूढ़े पिता को मारपीट कर दुकान से निकालने वाले पुत्र की मदद करती रही। सीसीटीवी फुटेज से दीनू का यह कारनामा सामने आने पर पुलिस इस संबंध में अदालत के आदेश पर दर्ज इस मुकदमें में अब दीनू उपाध्याय व उसके साथियों को नाम खोला है।
क्षेत्रीय पुलिस की मनमानी कार्रवाई के चलते अपनी दुकान मिलने की उम्मीद व स्वयं को पीटने वाले पुत्र पर कार्रवाई होने की उम्मीद छोड़ चुके बुजुर्ग सरदार सुरेंद्र सिंह की दीनू पर लगातार हो रही कार्रवाई के बाद उम्मीद जागी तो उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात तक वह फुटेज पुलिस को दिखाए जिसमें कुछ अधिवक्ताओं की मदद से उनका ही पुत्र उनके साथ मारपीट कर रहा है। इसके बाद पुलिस एक्शन में आई और बुजुर्ग को न्याय दिलाने के लिये अपनी कार्रवाई शुरू की। सरदार सुरेंद्र सिंह ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उनका अपना मझला बेटे अरमिन्दर सिंह ने संपत्ति हड़पने के लिए वकीलों की फौज बुलाई और डेढ़ साल पहले बूढ़े पिता को बेइज्जत करते हुए बेदखल कर लिया।
पुलिस ने नहीं सुनी थी बुजुर्ग सरदार की गुहार
उन्होंने पुलिस को बताया कि इस घटना की गुहार लगाने के लिये वह फजलगंज थाने पहुंचे, लेकिन सेटिंग-गेटिंग के कारण खाकी वर्दी ने दुत्कार दिया। आखिरकार कोर्ट से एफआईआर का आदेश कराया, लेकिन थाने में अटक गया। अब न्याय की कोई उम्मीद शेष नहीं थी। इसी दरमियान दीनू उपाध्याय पर कार्रवाई शुरू होने लगीं तो मीडिया में लाल गोले में कैद चेहरा पहचाना लगा। अचानक बेदखली वाले दिन की सीसीटीवी फुटेज याद आई। मिलान किया तो सामने आया कि, मझले बेटे को कब्जा कराने के लिए दीनू उपाध्याय के लोग ही आए थे अब सरदार सुरिन्दर के मुकदमे में साक्ष्यों के आधार पर दीनू उपाध्याय और नीरज दुबे का नाम शामिल करने के लिए लिखा-पढ़ी शुरू हो गई है।
घटना के नौ महीने बाद दर्ज हुई थी रिपोर्ट
सुरिन्दर सिंह सुरेंद्र के मुताबिक, मझला बेटा अरविन्दर सिंह कई साल से पुरानी दुकान और मकान की लिखा-पढ़ी अपने नाम कराने की जिद ठाने था। बड़ा और छोटा बेटा अपना अलग व्यापार कर चुके थे। वह मझले बेटे के साथ दुकान पर बैठता था। 21 दिसंबर 2023 को मझले बेटे अरविन्दर के साथ काले कोट में कुछ लोग आए और दुकान खाली कराने का अल्टीमेटम देकर लौट गए। अगली सुबह देखा तो दुकान का ताला तोड़कर अरविन्दर ने कब्जा कर लिया था। बुजुर्ग सुरेंद्र ने विरोध किया तो कुछ वकीलों के साथ उनका बेटा कुछ वकीलों के साथ आया और मुंह बंद रखने के लिए धमकाया। बेबस सुरिन्दर शिकायत लेकर फजलगंज थाने गए तो इंस्पेक्टर ने अनसुनी कर वापस कर दिया। अदालत के आदेश पर 16 सितंबर 2024 को मुकदमा दर्ज हुआ।
डीसीपी-सेंट्रल ने नाम बढ़ाने का आदेश दिया
दीनू पर हो रही कार्रवाई के बाद सुरिन्दर सिंह बड़े बेटे सतविन्दर सिंह के साथ डीसीपी-सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह के पास पहुंचे। साक्ष्य देखकर बोले कि, दीनू की शह पर मझले बेटे अमरिन्दर सिंह ने बेइज्जत करते हुए बेदखल किया था। उन्होंने बताया कि, बेटे के साथ बहू मनमीत कौर और पोते अमनदीप सिंह ने किरायेदारी के कूटरचित दस्तावेज बनाकर मकान-मालिक के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था, ताकि एकपक्षीय आदेश के जरिए खुद को असल किरायेदार साबित कर सकें। बहरहाल, पुलिस सूत्रों ने बताया कि, उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर स्पष्ट हुआ है कि, दीनू उपाध्याय के साथ उसके साथ नीरज दुबे ने कब्जा कराने में अरविन्दर की मदद करते हुए धमकाया था। अब मुकदमे में दीनू और नीरज के साथ अन्य संलिप्त लोगों का नाम जोड़ा जाएगा।

 
											 
											 
											 
											 
											 
			 
			 
			