अपनों को साथ न पाकर फफककर रो पड़ा दीनू

अमित गुप्ता

निशंक न्यूज कानपुर।

पिंटू सेंगर हत्याकांड में गिरफ्तार होने के बाद जिस तरह दीनू अपने समर्थकों की भीड़ देखते हुए जेल गया था आज जब पुलिस उसे रिमांड पर लेकर जेल से बाहर निकली तो अपने किसी को आस पास न देख व हताश हो गया और उसके चेहरे की रंगत उड़ गई। वह यहां से लेकर अपने गढ़ में पहुंचते तक उन पर नजर दौड़ता रहा जो कुछ दिन पहले तक उससे मिलने के लिये बेताब रहते थे लेकिन उसे कोई नजर नहीं आया। दोपहर अपने गढ़ रैना मार्केट में भी किसी के न मिलने और पुलिस की पूछतांछ के दौरान उसकी आंख से आंसू निकल आए। बाद जब पुलिस उसे पैदल ही रैना मार्केट से उसके घर तक ले गई तो अपनी बादशाहत खत्म होने और रैना मार्केट से घर तक किसी अपने के न मिलने से वह निराश हो गया और घर पहुंचने के बाद वह यहां रो पड़ा। यह कहता रहा कि कोई उसके साथ नहीं है।

जेल से बाहर आते ही मायूस हुआ उपाध्याय

सोमवार की सुबह करीब आठ बजे जाजमऊ पुलिस जिला जेज की चौखट पर पहुंच चुकी थी। औपचारिकताओं के बाद ठीक नौ बजे जींस-टीशर्ट और हवाई चप्पल में दीनू जैसे ही गेट से बाहर आया तो उसकी निगाहें कुछ खोज रही थीं। चेहरे की बेबसी ने चुगली करते हुए बताया कि, अपनों की तलाश थी,लेकिन कोई उसे दिख नहीं रहा था। रोजाना कचहरी और शहर में कई जगह दीनू को सही बताने वाले भी रिमांड के दौरान दीनू को देखने तक नहीं आए। पुलिस को गलत बताने वाले पुलिस रिमांड के दरमियान दूर से चेहरा दिखाने भी नहीं आए थे। समर्थकों का सन्नाटा देखकर दीनू ने खुद को बेबस महसूस किया। छावनी थाने में मेडिकल जांच के बाद अगला पड़ाव रैना मार्केट था। रैना मार्केट यानी दीनू की सल्तनत की राजधानी। मार्केट में आनन्देश्वर एसोसिएट के नाम से आफिस है। इसी आफिस से दीनू की दुनियादारी गुलजार थी।

अपने गढ़ में खुद को अकेला पाकर टपकने लगे आंसू

रैना मार्केट पहुंचने से पहले दीनू मान रहा था कि यहां तो उसके खास लोग होंगे ही लेकिन यहां भी उसे निराशा लगी जो लोग आसपास थे भी वह पुलिस हिरासत में दीनू को देख अपना चेहरा छुपाकर यहां से इधर उधर हो लिये। पुलिस सूत्रों की मानी जाए तो इसके बाद दीनू टूट गया और अपने कार्यालय में उसकी आंख से आंसू निकल पड़े।यहां वह बार बार पीने के लिये पानी मांगता रहा।

घर में भी अपनों को न पाकर एकांत में रोने लगा

रैना मार्केट से नवाबगंज थाने होते हुए सब्जीमंडी के करीब दीनू के घर पुलिस पहुंची तो आसपास के लोग भी किनारे हो गए लोग छज्जों व दुकान के भीतर से दीनू को देख रहे थे लेकिन कोई सामने नहीं आया इसके बाद वह स्वयं को अकेला मानने लगा और घर के भीतर एकांत पाकर फूटकर रो पड़ा।

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