300 साल पुराने इतिहास का हिस्सा है यहां का दंगल, दूध-हल्दी और मट्ठे से तैयार होती अखाड़े की मिट्टी

निशंक न्यूज, कानपुर

कानपुर शहर के नवाबगंज स्थित जागेश्वर मंदिर का सावन माह का विशेष महत्व है और प्रतिदिन भक्तों की कतार लगी रहती है। सावन माह में यहां आयोजित होने वाले दंगल की परंपरा भी मंदिर के 300 साल पुराने इतिहास का हिस्सा बना हुआ है। खास बात यह है कि यहां पर हर बार की तरह इस बार भी महिला पहलवान अपने दांव दिखाएंगी। दंगल की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा और अखाड़े को संवारा जा रहा है। इसके साथ ही दर्शकों के बैठने की भी खास व्यवस्था की जा रही है।

सोमवार को होगा दंगल

जागेश्वर मंदिर में ऐतिहासिक दंगल का आयोजन 21 जुलाई सोमवार को होगा। यह दंगल मंदिर के 300 साल पुराने इतिहास का हिस्सा है। जागेश्वर मंदिर में होने वाला दंगल एक पारंपरिक कार्यक्रम है जो सदियों से चला आ रहा है। यह दंगल सावन के महीने में आयोजित किया जाता है और इसमें देश भर के पहलवान भाग लेते हैं। इस दंगल में महिला पहलवान भी भाग लेती हैं, जिससे यह और भी खास हो जाता है।

यहां दारा सिंह भी दिखा चुके हैं पहलवानी के जौहर

दंगल में कई प्रसिद्ध पहलवानों ने भाग लिया है, जिनमें दारा सिंह भी शामिल हैं। दंगल का आयोजन श्री जागेश्वर महादेव प्रबंधक सभा द्वारा किया जाता है। इस दंगल का उद्देश्य कुश्ती के खेल को बढ़ावा देना और पहलवानों को प्रोत्साहित करना है। यह दंगल न केवल एक खेल प्रतियोगिता है, बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अखाड़े की मिट्टी में मिलाते दूध, हल्दी और मट्ठा

दंगल संयोजक जीतू पांडेय ने बताया कि इस अखाड़े की मिट्टी में दूध, हल्दी और मट्ठा मिलाया जाएगा, जिससे मिट्टी मुलायम हो जाए और पहलवानो को दिक्क़त ना हो। दंगल में लगभग 150 पहलवान हिस्सा लेंगे, जिसमें महिला पहलवान भी शामिल हैं। दंगल में कानपुर, पंजाब, हरियाणा समेत नेपाल के भी पहलवान हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि यहां अखाड़े में रानी लक्ष्मी बाई, चंद्र शेखर आजाद समेत तमाम क्रांतिकारियों ने अभ्यास किया है। वही नीरज गुप्ता ने बताया कि पहले यहां पहलवानो को कुश्ती जीतने पर दही और जलेबी इनाम में दिया जाता था। आपको बता दें दंगल को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। अखाड़े को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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