पुलिस का मनवीय चेहरा, बेटी संग गंगा में कूदी महिला को बचाया

निशंक न्यूज कानपुर

कानपुर कमिश्नरेट पुलिस का मानवीय चेहरा रविवार को फिर आम लोगों के सामने आया। इस बार पुलिस ने अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चियों के साथ गंगा में छलांग लगाने वाली महिला व उसकी बच्चियों की जान बचा ली। पुलिस कर्मियों का साहस व मानवता देख गंगा बैराज पर मौजूद लोग पुलिस कर्मियों को बधाई देते नहीं थक रहे थे। पुलिस ने महिला को समझाबुझाकर किसी तरह यहां से घर भेजा और क्षेत्रीय लोगों ने महिला को यह सीख दी कि परेशानी का हल जान देने में नहीं उसका सामना करने में है।

अटल घाट पर रविवार की सुबह हुई घटना

बताया गया है कि रविवार की सुबह अटल घाट के करीब स्थित बड़ी कर्बला में सिरदर्द से परेशान शकुंतला सोनकर झाड़-फूंक कराने पहुंची थी। यहां लगभग हर रविवार को हजारों लोग अपनी समस्या के समाधान के लिये पहुंचते हैं। यहां कुछ देर रुकने के बाद शकुंतला कर्बला से निकली और इसके बाद उसने डेढ़ साल की बेटी को आंचल से बांधा और आठ बरस की बिटिया का हाथ थामकर पास ही स्थित गंगा की धारा में बेटियों के साथ छलांग

बचाने को गंगा में कूदे अटल घाट पर तैनात पुलिस कर्मी

रविवार को गंगा बैराज में तमाम लोगों के पहुंचने और गंगा स्नान करने की संभावना के चलते अटल घाट पर पहले से पुलिस लगी थी। यह पुलिस कर्मी हर एक पर निगाह रखे थे। जैसे ही शकुंलता ने गंगा में छलांग लगाई तो की बच्चियों के साथ ही आसपास के लोगों ने शोर मचाया। यह देख किनारे मुस्तैद अटल घाट चौकी इंचार्ज संजय कुमार और जल पुलिस के आरक्षी किशनकांत ने देखा तो पुकार लगाते हुए कूद गए। आवाज सुनकर गोताखोर भी गंगा की लहरों के बीच पहुंचे। टीम ने कुछ ही मिनटों में तीनों को सुरक्षित बचा लिया। बाहर निकलने के बाद शकुंतला को गुमशुम थी, लेकिन दोनों बेटियां बिलखती रहीं।

पति पेंटर हैं, गरीबी के कारण आए दिन कलह

जिंदगी बचाने के बाद चौकी इंचार्ज ने तीनों को कोहना थाने पहुंचाकर परिजनों को सूचना भेजी। परिवार के आने के बाद तीनों को सुपुर्द कर दिया गया। कोहना थाना प्रभारी अवधेश कुमार ने बताया कि लालजी सोनकर उर्फ़ लल्ला काकादेव के जयप्रकाश नगर में रहता है। पेशे से पेंटर लल्ला के परिवार में फिलवक्त गरीबी का डेरा है, इस कारण आए दिन पति-पत्नी में कलह होती है। लल्ला ने बताया कि, शकुंतला सोनकर के सिर में अक्सर असहनीय दर्द होता है। इलाके के तमाम डाक्टर्स से इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। परिचितों की सलाह पर बीते कई रविवार से झाड़-फूंक कराने के लिए शकुंलता कोहना की बड़ी कर्बला जाती थी।

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