दिव्यांग व्यापारी की जारी कर दी आरसी,व्यापारियों का जीएसटी कार्यालय पर डेरा

निशंक न्यूज, कानपुर।
आज भारतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र,जिला अध्यक्ष गुरुज़िन्दर सिंह, जिला वरिष्ठ महामंत्री मनीष गुप्ता सलोने के नेतृत्व मे जिला व युवा इकाई के भारी संख्या मे पदाधिकारी व व्यापारी किदवई नगर के चलने फिरने मे पूर्णतया लाचार पैरालाइज़ड व विकलांग व्यापारी भोलेन्द्र गुप्ता को वैट लागू होने के पहले वर्ष के समय के 2008-09 व 2010-11,2015-16 मे धारा 32 मे केस का निस्तारण होने के बावजूद बकाया क़ी आर सी जारी करने के मामले मे आर सी निरस्त करने व टाटा स्टील लि साहिबाबाद,गाज़ियाबाद से आने वाले माल मे कानपुर की क्रेता फर्म का बिल मे भूलवश पुराना पता लिखने, शिप टू मे सही पता होने के बावजूद मात्र 48 घंटे मे नियम विरुद्ध मूव 1से मूव 7 तक जारी करने और धारा 129 मे धारा बदलकर नियम विरुद्ध धारा 125 मे 20 हज़ार रु पेनाल्टी जमा कराने के मामले मे जांच करके कार्यवाही करने, सचल दाल इकाइयों को छोटे छोटे मामलो मे गाड़ी विभाग न लाकर मौके पर ही जाँच कर छोड़ने, सचल दल द्वारा सही वजन के होने के बावजूद एक स्क्रेप क़ी गाड़ी मे थोड़ा वजन ज़्यादा दिखाकर 6000 रु के करीब जमा कराने और वैट के पुराने मामलो मे बिना फाइल मिले किसी भी व्यापारी उद्यमी को बकाया धनराशि क़ी नोटिस या आर सी जारी न करने को लेकर अपर आयुक्त ग्रेड 1 आर एस विद्यार्थी व ग्रेड 2 कुमार आनंद के साथ हुई डेढ़ घंटे क़ी वार्ता व चार अलग अलग ज्ञापन व पत्र दिए गए|

बिना फाइल देखे जारी कर दी आरसी

  कार्यालय के मीटिंग हाल मे हुई वार्ता मे ज्ञापन देने के उपरांत भारतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र ने अपर आयुक्त से कहा कि कानपुर स्टेट जी एस टी के खंड 22 मे किदवई नगर के विकलांग व्यापारी भोलेन्द्र गुप्ता की वैट के समय की तीन वर्षों की विभाग मे बिना फाइल मिले व बिना देखे आर सी पोर्टल से साढ़े तीन लाख रु से आधिक का ब्याज सहित बकाया धनराशि निकालकर आर सी जारी कर दी गई जबकि व्यापारी ने अपने वैट के ये तीनो केस धारा 32 व 31 मे करा लिए थे ऐसे मे जेल भेजनें से लेकर कुर्की करने की आर सी जारी करना मानवता के खिलाफ है व नियम विरुद्ध है और विभाग का अमीन कल भी जाकर व्यापारी को धमकी देता है इस तरह अमानवीय मामले मे अमीन के खिलाफ विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए|

अभिलेख दिखाने के बाद भी लगा दी जाती पेनाल्टी

आगे बताया कि देश की एक बहुत बड़ी कम्पनी टाटा स्टील लि, साहिबाबाद,गाज़ियाबाद से आने वाले माल मे कानपुर की क्रेता फर्म के बिल मे भूलवश पुराना पता लिख गया था जो पहले जी एस टी मे रजिस्टर्ड था जबकि उसी बिल मे शिप टू मे सही पता लिखा था जिस गाड़ी को सचल दल के सहायक आयुक्त अजीत सिंह दि 5 जून को गाड़ी विभाग ले आये और पहले 24 घंटे मे मूव 1 व 2 फिर अगले 24 घंटे मे नियम विरुद्ध मूव 7 तक जारी कर दिया गया और इसका जवाब नियम के मुताबिक 7 दिन तक देने की बजाय अगले दिन 7 मई का प्रातः 11 बजे का समय दिया गया | ज़ब क्रेता व्यापारी ने धारा 129 मे जवाब दिया कि टाटा स्टील को अपना पता बदलने का ई मेल कर दिया था ये उनकी तरफ से भूल हुई है इस जवाब पर बिना पेनाल्टी के गाड़ी छोड़ देनी चाहिए थी क्योंकि इस तरह के मामले मे कई गाड़िया कानपुर व उप्र व अन्य ज़िलों मे बिना पेनाल्टी के छूटी है, क्रेता व्यापारी द्वारा धारा 129 के तहत मूव 7 का जवाब देने पर धारा 129 को नियम विरुद्ध बदलकर धारा 125 मे 10 हज़ार रु स्टेट जी एस टी मे व 10 हज़ार रु सेन्ट्रल जी एस टी मे कुल 20 हज़ार रु क़ी पेनाल्टी जमा करा ली गई जो कि नियम विरुद्ध था जबकि नियम के मुताबिक ये गाड़ी मूव 7 के जवाब से संतुष्ट होने पर ज़ीरो पेनाल्टी पर छूटनी चाहिए थी इस मामले की जाँच करके संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की जाय | यह भी कहा गया कि आवश्यकता पड़ने पर स्टेट जी एस टी के सचल दलों के नियम विरुद्ध कार्यवाही करने व अन्य मामलो इन सभी मामलो को लेकर लखनऊ मे स्टेट जी एस टी आयुक्त व मुख्यमंत्री जी तक लेकर जायेंगे|

लगाया आरोप किसान पर भी कर दी जाती कार्रवाई

वार्ता मे उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल जिला अध्यक्ष गुरुज़िन्दर सिंह ने कहा कि सचल दाल इकाइयों को छोटे छोटे मामलो मे गाड़ी विभाग न लाकर मौके पर ही जाँच कर छोड़ी जाय जबकि एक मामले मे सचल दल द्वारा किसान की लकड़ी पकड़ ली और खसरा खतौनी व अपने गांव के प्रधान का पत्र दिखाने के बावजूद एक अलग धारा मे सेन्ट्रल जी एस टी मे 1250 रु व स्टेट जी एस टी मे 1250 रु कुल 2500 रु जमा करा लिए जबकि किसान के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था| सचल दलों द्वारा ऐसे मामलो पर रोक लगाई जाय |

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