आचार्य पवन तिवारी
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान
कानपुर।भगवान शिव को प्रसन्न करने तथा तप-तपस्या के सबसे शुभ महीना सावन शुरू हो गया है। 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है। सावन के महीने में शिवलिंग पर केवल जल चढ़ाने से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्त पर अपनी कृपा बरसाते हैं। कानपुर में सावन के सोमवार के लिये प्रमुख शिव मंदिरों में पूजा अर्चना व सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं। यहां केवल परमट स्थित आन्नदेश्वर मंदिर में ही हर दिन लाखों भक्त पूजा अर्चना के लिये पहुंचते हैं। इस मंदिर में भक्तों को किसी भी दिक्कत से बचाने के लिये भारी पुलिस बल की भी तैनाती की गई है इसके अलावा मंदिर के आसपास रहने वालों द्वारा बनाए गए सेवादल के लोग भी भक्तों की मदद के लिये रविवार की रात 12 बजे से ही सक्रिय रहेंगे। सावन पर अक्सर बड़ी संख्या में भक्त गंगा स्नान करते हैं गंगा स्नान करने वालों को कोई दिक्कत न हो इसके लिये घाटों पर भी पुलिस के साथ गोताखोरों की ड्यूटी लगाई गई है। परमट के अलावा शिवराजपुर के खेरेश्वर घाट, जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट पर पैनी नजर रखने की बात कही जा रही है। इन तैयारियों का जायजा लेने के लिये पिछले दिनों सहायक पुलिस आयुक्त आशुतोष कुमार ने परमट घाट जाकर निरीक्षण किया करने के साथ ही संबंधित अधिकारियों से भी जानकारी ली थी।

शास्त्रों के मुताबिक सावन भगवान शिव को प्रसन्न और तप-तपस्या का सबसे शुभ अवसर है। इस अवधि में शिवलिंग पर केवल जल अर्पित करने से भी भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। इस दौरान भगवान को यह चीजें अर्पित करना किसी के लिये भी बहुत शुभ होता है।

महादेव की पूजा के समय शिवलिंग पर शहद चढ़ाना कल्याणकारी होता है। इसके प्रभाव से सभी तरह के रोग दूर होते हैं।
शमी के फूल चढ़ाने से मनचाहा वर पाने की कामना पूरी होती हैं।
हिंदू धर्म में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। इससे महादेव की कृपा और जीवन में सुख-समृद्धि वास करती हैं।
सावन में शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाना शुभ होता है। इसे अर्पित करने पर साधक को आर्थिक लाभ मिलता है।
अक़ौड़े के फूल चढ़ाने से सभी इच्छाएं महादेव पूरी करते हैं।
सावन में शिवलिंग पर दूध में चीनी मिलाकर उसे चढ़ना बेहद शुभ होता है। इससे तनाव में कमी आती है।
शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी चढ़ाने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में मनचाहे परिणाम मिलते हैं।
सावन में शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।
शिवलिंग पर गेहूं अर्पित करने पर संतान सुख मिलता है।
गंगा जल चढ़ाने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
जौ चढ़ाना शुभ होता है। इसके प्रभाव से अटके काम पूरे होते हैं।
शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से कष्टों का निवारण होता है।
शिवपूजा की हर सामग्री का है विशेष महत्व

भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में हम कई प्रकार की सामग्रियों का उपयोग करते है। इन सामग्रियों के न केवल धार्मिक महत्व हैं, बल्कि इनका अपना-अपना एक विशेष अर्थ भी है।
शिव जी पर क्या चढ़ाने क्या मिलता है फल
1. जल
महाशिवरात्रि को शिवलिंग पर जलाभिषेक करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शुद्धता और शांति का एक प्रतीक है।
2. दूध
दूध, शुद्धता और पोषण का प्रतीक है। महाशिवरात्रि को शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से हमें मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
3. दही
दही मिठास और समृद्धि का प्रतीक है। महाशिवरात्रि को शिवलिंग पर दही चढ़ाने से हमारे जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
4. शहद
शहद को मिठास और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। महाशिवरात्रि को शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से वाणी में मधुरता आती है और हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
5. घी
घी को शुद्धता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। महाशिवरात्रि को शिवलिंग पर घी चढ़ाने से हमें तेज और ऊर्जा मिलती है।
6. बेलपत्र
बेलपत्र भगवान शिव जी को अत्यंत प्रिय है। इसे शांति, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
7. धतूरा
धतूरा भगवान शिव जी को अर्पित किया जाता है। यह हमारे भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक है।
8. फूल
फूल सुंदरता और श्रद्धा का प्रतीक हैं। भगवान शिव को सफेद फूल जैसे कि चमेली, मोगरा और धतूरा विशेष रूप से प्रिय हैं।
9. फल
फल समृद्धि और प्रसन्नता का प्रतीक हैं। भगवान शिव जी को फल अर्पित करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
10. धूप और दीप
धूप और दीप सुगंध और प्रकाश का प्रतीक हैं। ये वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
11. भस्म
भस्म वैराग्य का प्रतीक है। भगवान शिव जी को भस्म अर्पित करने से हमारे भीतर का अहंकार दूर होता है।
12. चंदन
चंदन शीतलता और शांति का प्रतीक है। शिवलिंग पर चंदन लगाने से हमें मानसिक शांति मिलती है।
13. अक्षत
अक्षत अखंडता और पूर्णता का प्रतीक है। भगवान शिव जी को अक्षत अर्पित करने से हमें सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
14. भांग
भांग भगवान शिव जी को अर्पित की जाती है। यह एकाग्रता और ध्यान का प्रतीक है।
15. वस्त्र
वस्त्र सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक हैं। भगवान शिव जी को वस्त्र अर्पित करने से आशीर्वाद मिलता है।
इन सामग्रियों के अतिरिक्त, हम अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अन्य वस्तुएं भी अर्पित कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण यह है कि, पूजा सच्चे मन और भक्ति भाव से की जाए। और यह सामग्री आपके पास उपलब्ध नहीं है तो भी चिंता की कोई बात नहीं। आप अगर सच्चे हृदय से, पवित्र मन से भगवान शिव जी और माता पार्वती जी का ध्यान करते है, पूरे भक्ति और श्रद्धा से ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते है, तो भी आपके ऊपर भगवान भोलेनाथ जी की अवश्य कृपा होती है। अपने भक्तों को भगवान शिव जी कभी निराश नहीं करते।

एडीएम सिटी ने देखी आनंदेश्वर मंदिर की व्यवस्था
कानपुर। सावन की रिमझिम बूंदों के बीच भक्तों की आस्था भी उमड़ पड़ी है। 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है और शिवालयों में हर-हर महादेव के जयघोष गूंजने को तैयार हैं। इसी क्रम में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।
रविवार को अपर जिलाधिकारी (नगर) डॉ. राजेश कुमार ने परमट स्थित प्राचीन आनंदेश्वर महादेव मंदिर का भ्रमण किया और भीड़ प्रबंधन की दृष्टि से आवश्यक निर्देश दिए। नगर निगम, एसीएम-4 और एसीपी कर्नलगंज सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी भी उनके साथ मौजूद रहे। मंदिर परिसर और आस-पास की स्थिति का बारीकी से जायज़ा लिया गया। मंदिर के महंत जी से भेंट कर उनकी अपेक्षाएँ सुनी गईं।
महंत जी ने मंदिर में साफ-सफाई, पेयजल की उपलब्धता, बैरीकेडिंग, पीए सिस्टम, सुरक्षा व्यवस्था और एम्बुलेंस की तैनाती की आवश्यकता जताई। एडीएम सिटी ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को कहीं कोई परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, यह भी कहा कि हर व्यवस्था समय से पहले पूरी होनी चाहिए।
एडीएम सिटी ने सभी एसीएम और एसडीएम को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के प्रमुख शिव मंदिरों और घाटों का स्वयं भ्रमण करें और आवश्यक प्रबंधों को अंतिम रूप दें। श्रद्धा के इस पावन महीने में आस्था की डोर कहीं न टूटे और हर भक्त निर्भय भाव से भोलेनाथ के दर्शन कर सके।