अध्यापक कोआपरेटिव सोसायटी में डीएम का आदेश ठेंगे पर
अमित गुप्ता।
कानपुर। अध्यापकों तथा शिक्षा विभाग से जुड़े अन्य लोगो के हित के लिए गठित अध्यापक कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में इन दिनो खींचतान मची है। खींचतान का असर इस सोसायटी के सदस्यों व कर्मचारियों पर पड़ रहा है। हितो के टकराव के चलते सोसायटी के अगवाकारो द्वारा डीएम के निर्देशों को भी ठेंगा दिखा दिया गया। कर्मचारी परेशान है लेकिन उनके बकाये का भुगतान नही किया जा रहा है। भुगतान न करने के लिए विभिन्न जांच को आधार बनाया गया है। जरूरत के समय भुगतान न होने से नाराज कुछ सदस्यों ने अब कमेटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
अध्यपाकों के हित के लिये बनी थी सोसाइटी
जानकार लोगों का कहना है कि आजादी के पहले इस सोसाइटी का गठन किया गया था। अध्यापक कोआपरेटिव सोसाइटी के गठन का मकसद यह था कि आजादी के पहले अध्यापकों को उतना लाभ नहीं मिल पाता था जिससे वह घर चलाने के साथ ही अपने व परिवार के भविष्य के लिये कुछ बचत भी कर लें। इस सोसाइटी के अध्यापक ही सदस्य बनते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिये अध्यापक अपने वेतन से कुछ पैसा जमा करता है जो सेवानिवृत्त होने के बाद अथवा बीच में जरूरत पड़ने पर सोसाइटी के संचालकों द्वारा इसे वापस किया जाता है। आजादी के बाद इस सोसाइटी को और मजबूती दी गई और सरकार ने भी इसकी तरफ ध्यान दिया ताकि देश का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित हो सके। आजादी के बाद इस सोसाइटी को सहकारिता विभाग से जोड़ दिया गया। सामान्यतः प्रदेश सरकार में यह विभाग प्रभावशाली मंत्री के पास ही रहता है।
आरडी-एफडी के साथ रहती लोन लेने की सुविधा
बताया गया है कि अध्यापकों के हित के लिये गठित इस सोसाइटी का सदस्य एक सीमित रकम की एफडी व आरडी भी इस सोसाइटी में करा सकता है जिसका समयावधि पूर्ण होने पर सोसाइटी द्वारा भुगतान किया जाता है। इसी तरह इस सोसाइटी के सदस्य को जमा की गई रकम पर दस गुना तक ऋण देने की भी सुविधा होती है। जिसके चलते अधिकांश अध्यापक इसके सदस्य बनने के लिये लालायित रहते थे।
पिछले कई साल से कुछ लोगों का कब्जा
सहकारिता विभाग के मंडल कार्यालय में कुछ लोगों द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि पिछले कुछ साल से शिक्षा जगत के कुछ प्रभावी लोगों ने इस सोसाइटी पर अपनी रणनीति बनाकर कब्जा सा कर रखा है। कहने को तो यहां चुनाव होता है लेकिन एक गुट के लोग ही इसमें खुलकर भागीदारी कर सकते हैं। वैसे तो इस सोसाइटी में चुनाव के पहले सभी सदस्यों को सूचित करने के साथ ही इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने की बात तय हुई है लेकिन सोसाइटी पर काबिज लोग इसका प्रचार-प्रसार करना तो दूर सभी सदस्यों को इसकी सूचना भी नहीं देते जिसके चलते अधिकांश सदस्य अपने हित के लिये गठित इस सोसाइटी के चुनाव में ही भागीदारी नहीं कर पाते और काबिज गुट अपने हिसाब से गुपचुप चुनाव कराकार अपने ही लोगों को इसका सदस्य बना लेता है।
मनमानी करने का लगाया गया आरोप
सोसाइटी से लोगों द्वारा अधिकारियो को की गई शिकायत में कहा गया है कि पिछले करीब तीन साल इस सोसाइटी में कुछ लोगों द्वारा मनामानी की जा रही है। स्वार्थ लाभ की पूर्ति न होने पर लोगों का भुगतान रोक रखा गया है। पिछले दिनों अस्पताल में उपचार कराने के लिये मजबूर एक सदस्य की बकाया रकम का भुगतान न होने पर इसकी शिकायत जिलाधिकारी तक की गई तो जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेकर लोगों के बकाए का भुगतान करने का निर्देश दिया लेकिन सोसाइटी की कमेटी में शामिल प्रभावशाली लोगों ने डीएम के निदेर्शों को भी ठेंगा दिखा दिया और एक जांच का हवाला देकर भुगतान करने में रोड़े अटका दिये। मामला विभाग के संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा तो सभी के बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया गया। कहा जा रहा है कि इसकी चेक भी बना दी गई लेकिन अब 11 सदस्यीय कमेटी के प्रमुख के कार्यालय न आने के कारण चेक पर हस्ताक्षर न हो पाने की बात कहकर भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में सोसाइटी के संचालक व अधिकृत हस्ताक्षऱीय अधिकारी गंगा सागर से बात करने के लिये उनके मोबाइल फोन – 9984788076 पर बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और ना ही उन्होंने अपनी तरफ से फोन कर यह जानने का प्रयास किया कि सामने वाला क्या जानकारी चाहता है।