निशंक न्यूज।
कानपुर। आयुर्वेद दिवस पर आयोजित एक कार्य़शाला में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा आयुर्वेद केवल उपचार नहीं बल्कि स्वस्थ जीवन शैली प्रदान करने की एक पद्धति है। जानकारी हो तो रसोई में इस्तेमाल होने वाले खाने के मसालों से भी व्यक्ति तमाम बीमारियों का उपचार कर सकता है। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सरसैया घाट स्थित नवीनसभागार में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर कार्यशाला की अध्यक्षता की। कार्यशील में बड़ी संख्या में आयुर्वेदाचार्य, विशेषज्ञ चिकित्सक एवं नागरिक उपस्थित रहे।
जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि “आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली प्रदान करने वाली पद्धति है।” उन्होंने बताया कि घरों में उपलब्ध जड़ी-बूटियाँ, मसाले और प्राकृतिक तत्व यदि दैनिक जीवनचर्या में शामिल किए जाएँ तो गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। डॉ. मनीष यादव ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे पिछले 7 वर्षों से रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं और कई मरीजों को ऑपरेशन से बचाया गया है।
डाक्टर ने प्रस्तुत किये कुछ प्रेरक उदाहरण

पुष्पा राज सिंह (45 वर्ष, शुकलगंज): रीढ़ की गंभीर समस्या से पीड़ित थीं, जिन्हें ऑपरेशन की सलाह दी गई थी पंचकर्म थेरेपी से मात्र 20 दिनों में पूरी तरह स्वस्थ हुईं।
राम प्रकाश (48 वर्ष, कन्नौज): रीढ़ की समस्या के कारण ऑपरेशन की स्थिति में थे। विशेष पंचकर्म उपचार से 20 दिनों में आराम मिला और बिना ऑपरेशन स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
रिंकू चौरसिया (42 वर्ष, कानपुर): रीढ़ की समस्या से त्रस्त होकर आत्महत्या तक का प्रयास कर चुके थे। 20 दिन की NSDR थेरेपी ने उन्हें नया जीवन दिया और आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।
अन्य आयुर्वेदाचार्यों एवं चिकित्सकों ने भी पंचकर्म, जड़ी-बूटियों और पारंपरिक विधियों से उपचार के सफल अनुभव साझा किए। गंभीर बीमारियों से स्वस्थ हुए लाभार्थियों की कहानियों ने उपस्थित लोगों को गहराई से प्रभावित किया।