यहां के परिषदीय विद्यालय दे रहे निजी स्कूलों को चुनौती

निशंक न्यूज कानपुर।
अब परिषदीय विद्यालय केवल नाममात्र के शैक्षिक केंद्र नहीं रह गए हैं। आधुनिक सुविधाओं, शिक्षकों के समर्पण और नवाचारों के चलते ये स्कूल निजी संस्थानों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। कल्याणपुर विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय लोधवाखेड़ा और कटरी शंकरपुर सराय इसी परिवर्तन की मिसाल बनते जा रहे हैं। यहां के परिषदीय स्कूल निजी स्कूलों की व्यवस्थाओं को चुनौती दे रहे हैं।

तीन साल से लगातार बढ़ रही बच्चों की संख्या

व्यवस्थित ढंग से विद्यालय में भोजन ग्रहण करते बच्चे।

लोधवाखेड़ा स्थित विद्यालय में बीते तीन वर्षों से छात्र संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2023-24 में जहां 117 छात्र पंजीकृत थे, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 122 हो गया। वर्तमान सत्र में कुल 129 विद्यार्थी नामांकित हैं। यह रुझान दर्शाता है कि अब अभिभावक पुनः परिषदीय शिक्षा व्यवस्था पर भरोसा करने लगे हैं।

सोमवार को सदर उपजिलाधिकारी अविचल प्रताप सिंह ने विद्यालय का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा संचालित इको क्लब का अवलोकन किया। दीवारों पर उकेरे गए पर्यावरण संदेश, सजे-संवरे गमले और बच्चों की सक्रिय भागीदारी देखकर उन्होंने प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि विद्यालय में पर्यावरण चेतना को जीवनशैली का हिस्सा बनाना एक प्रशंसनीय पहल है।

पढ़ाई का माहौल बनाने के लिये वृक्ष पर उकेरी गई चित्रकारी व विद्यालय कक्ष।

विद्यालय में स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब, वाचनालय और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। बच्चे दीक्षा ऐप व अन्य डिजिटल माध्यमों से अध्ययन कर रहे हैं। खेलकूद, उद्यान और स्वच्छ वातावरण ने इस स्कूल को एक आदर्श शिक्षण केंद्र में बदल दिया है। यही कारण है कि अभिभावक अब निजी विद्यालयों के बजाय इस संस्थान को प्राथमिकता देने लगे हैं।

शांति पूर्ण वातावरण बनाता शिक्षा का माहौल

विद्यालय की बेहतर व्यवस्था देख बच्चों का उत्साह बढ़ाते अधिकारी।

इसी क्रम में एसडीएम ने कटरी शंकरपुर सराय विद्यालय का भी दौरा किया। यह शिक्षण संस्थान अपने सुव्यवस्थित, हरे-भरे और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है। चारों ओर छायादार वृक्षों की हरियाली, आकर्षक भित्तिचित्र और संतुलित बागवानी इसे एक आदर्श परिसर का स्वरूप प्रदान करते हैं। यहां भी आधुनिक तकनीकों से युक्त कक्षाएं, पुस्तकालय और कंप्यूटर कक्ष उपलब्ध हैं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने कहा कि इन विद्यालयों ने यह प्रमाणित किया है कि जब शिक्षक समर्पण और नवाचार के साथ कार्य करते हैं तो सरकारी स्कूल विकल्प नहीं, बल्कि पहली पसंद बन जाते हैं।

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