अमित गुप्ता
कानपुर। मदरसों और स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के नाम पर 57.53 लाख के छात्रवृत्ति घोटाले में वांछित भूतपूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी को पुलिस ने टाटमिल चौराहे से गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि जिन मदरसों के छात्रों के नाम पर घोटाला किया गया वह वास्तव में संचालित ही नहीं थे। केवल कागजों में इनका संचालन दिखाया जा रहा था। वर्ष 1999 से 2006 के बीच हाथरस में हुए घोटाले में हाथरस के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पाण्डेय समेत 12 को आरोपित बनाकर वर्ष 2007 में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मुकदमा दर्ज किया था, जिसकी विवेचना कानपुर सेक्टर के जिम्मे है।
57 लाख रुपये था घोटाला, पूर्व समाज कल्याण अधिकारी थे आरोपित
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, हाथरस के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पाण्डेय की मिलीभगत से विभिन्न स्कूलों और मदरसों के 13 प्रबंधकों और कर्मचारियों के साथ-साथ 12 सरकारी कर्मचारियों ने कागजात में हेराफेरी करते हुए तमाम ऐसे स्कूलों-मदरसो के नाम पर अनुसूचित जाति-जनजाति छात्रवृत्ति को आवंटित किया था, जोकि अस्तित्व में नहीं थे। कागजों पर संचालित मदरसो-स्कूलों की पोल खुलने के बाद जांच हुई तो वर्ष 1999 से 2006 के बीच 57,53,148 रुपये रुपये का घोटाला सामने आया था। हाथरस घोटाले के बाद अन्य जिलों में भी छात्रवृति घोटाले के मामले सामने आए थे। शासन के निर्देश पर अलग-अलग जिलों के घोटालों की अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुई थी। हाथरस मामले में शासन के आदेश पर 28 अगस्त 2007 में ईओडब्ल्यू ने मुकदमा दर्ज किया था। इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू कानपुर सेक्टर को सौंपी गई थी।
सर्विलांस के जरिए टाटमिल में गिरफ्तार हुए उग्रसेन पांडेय
हाथरस छात्रवृत्ति घोटाले में ईओडब्ल्यू को तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उग्रसेन पाण्डेय की 18 साल से तलाश थी। कई मर्तबा पाण्डेय के मूल निवास अंबेडकर नगर के आलापुर थानाक्षेत्र के शिवतारा गांव में तलाश हुई, लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े। इसी दरमियान ईओडब्ल्यू को कुछ दिन पहले उग्रसेन पाण्डेय के मौजूदा मोबाइल नंबर की जानकारी हुई तो सर्विलांस के जरिए जाल बिछाया गया। ईओडब्ल्यू कानपुर सेक्टर के इंस्पेक्टर कमलेश पाल ने बताया कि शुक्रवार को टाटमिल इलाके से उग्रसेन को गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली। फिलहाल, उन्हें रेलबाजार थाने में रखा गया था। पूछताछ के बाद शनिवार को लखनऊ कोर्ट में पेश किया जाएगा।