सेहत का ध्यान रखें टीबी से हर साल मर रहे ढाई लाख लोगः डा.एसके कटियार

अमित गुप्ता

कानपुर। देश में हर साल करीब सत्ताईस लाख लोग टीबी की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और इनमें करीब ढाई लाख लोग टीबी की बीमारी की वजह से दम तोड़ देते हैं। इस बीमारी के साथ ही अन्य किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिये अगर कोई बीमारी सामने आती है तो इसका जल्द से जल्द उपचार करा लेना चाहिये ताकि बीमारी से बचकर अपने शरीर को स्वस्थ्य रख सकें। यह बात वरिष्ट चिकित्सक एसके कटियार ने कही। श्री कटियार के सेवा के 50 वर्ष पूरे होने पर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि उनका मकसद ही गरीबों को सेवा देना रहा। इसका एक बड़ा कारण यह था कि अस्थमा जैसी बीमारी गरीब वर्ग में ज्यादा होती है और वह लोग उपचार कराने में अपेक्षाकृत कम सक्षम होते हैं। डाक्टर कटियार का कहना था कि यह बीमारी पूरी तरह खत्म नहीं हो पाती लेकिन अब ऐसी दवाईयां आ गई हैं कि इनका सेवन करने से इस रोग से पीड़ित व्यक्ति भी ओलंपिक जैसी प्रतियोगिता में भाग लेकर विजय हासिल कर सकता है पहले ऐसा नहीं था यह बीमारी होने पर मरीज चारपाई पर ही पड़ा रहता था।

जीएसवीएम के छात्र रहे डाक्टर कटियार को मिले कई पुरस्कार

श्वसन रोग चिकित्सा में समर्पित उत्कृष्टता के 50 वर्ष पूरे किए प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट, शिक्षाविद्, और श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी डॉ. एस.के. कटियार अपने निरंतर समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के स्वर्ण जयंती वर्ष को मनाया। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. कटियार ने 1965 में चिकित्सा शिक्षा आरंभ की और यहीं से एम बी बी एस, डी टी सी डी एवं एम डी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 31 मई 1975 अपरान्ह में टीबी एवं श्वसन रोग विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर, एवं विभागाध्यक्ष के रूप में सेवा दी। वे प्रॉक्टर, प्राचार्य और डीन, तथा एलएलआर एवं संबद्ध चिकित्सालयों के सुपरिनटेन्डेन्ट-इन-चीफ के रूप में भी कार्यरत रहे।

वह अपनी तीन दशकों से भी अधिक की विशिष्ट शैक्षणिक यात्रा के उपरांत फरवरी 2008 में सेवानिवृत्त हुए।डॉ. कटियार ने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया है।उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने लेक्चर दिये और विश्व की कई संस्थाओं की सदस्यता एवं फैलोशिप प्राप्त की है। श्वसन चिकित्सा में उनके अनुसंधान कार्य का वैश्विक प्रभाव रहा है। ‘इनहेल्ड एंटी-ट्यूबरकुलर ड्रग डिलीवरी पर विशेष शोध कार्य किये।

श्वसन रोग चिकित्सा में समर्पित उत्कृष्टता के 50 वर्ष पूरे किए

प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट, शिक्षाविद्, और श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी डॉ. एस.के. कटियार अपने निरंतर समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के स्वर्ण जयंती वर्ष को गर्वपूर्वक मनाया। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. कटियार ने 1965 में चिकित्सा शिक्षा आरंभ की और यहीं से MBBS, DTCD एवं MD (Tuberculosis & Respiratory Diseases) की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 31 मई 1975 अपरान्ह में टीबी एवं श्वसन रोग विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर, एवं विभागाध्यक्ष के रूप में सेवा दी। वे प्रॉक्टर, प्राचार्य और डीन, तथा एलएलआर एवं संबद्ध चिकित्सालयों के सुपरिनटेन्डेन्ट-इन-चीफ के रूप में भी कार्यरत रहे। वह अपनी तीन दशकों से भी अधिक की विशिष्ट शैक्षणिक यात्रा के उपरांत फरवरी 2008 में सेवानिवृत्त हुए।

डाक्टर एसके कटियार की कुछ प्रमुख उपाधियां

नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियंस के अध्यक्ष रहे । इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष रहे।टीबी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएआई) के अध्यक्ष रहे।

उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जैसे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड एनसीसीपी (इंडिया), इंडियन चेस्ट सोसाइटी, यूनाइटेड एकेडमी ऑफ पल्मोनरी मेडिसिनण

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा शिक्षा में योगदान हेतु सम्मान

उत्तर प्रदेश मर्चेंट चेम्बर द्वारा एक्सीलेंस अवार्ड

रोटरी फाउण्डेशन, (यू.एस.ए.) के ‘पॉल हैरिस फैलो’ द्वारा सम्मानितएडॉ. कटियार, एम.डी., डी.टी.सी.डी. और डी.एन.बी. परीक्षाओं के परीक्षक भी रहे हैं और उनके अनेक विद्यार्थी देश-विदेश में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने समाज सेवा के अंतर्गत कई मानवीय परियोजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाई है।

वर्ष 1975 में शुरू की अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस

वर्ष 1975 में अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस प्रारंभ करने के बाद, उनका केंद्र आज एक प्रमुख श्वसन चिकित्सा केंद्र बन चुका है। यहाँ उच्च स्तरीय रेडियोलॉजी, एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्टिंग (PFTs). ऑडियोमेट्री, ECG, ब्रोंकोस्कोपी (TBLB/TBNA सहित). CT-गाइडेड बॉयोप्सी. मेडिकल थोराकोस्कोपी आदि की प्रमुख सुविधाएँ उपलब्ध है: Interventional, In patient और Critical सेवाएं Apollo Spectra Hospital के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। फार्मेसी एवं आउटसोर्स लेबोरेटरी सेवाएं भी केन्द्र पर उपलब्ध हैं।

बेटे ने बंटाना शुरू किया हांथ

हाल के वर्षों में उनके सुपुत्र डॉ. संदीप कटियार भी उनसे जुड़ गए हैं। उन्होंने भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों से MBBS एवं D.N.B. की उपाधियाँ प्राप्त की तथा European Diploma in Respiratory Medicine भी प्राप्त किया। मेडिकल थोराकोस्कोपी में वह 2000 से अधिक प्रक्रियाएं कर चुके हैं, जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है तथा वह एक राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षक के रूप में डॉक्टरों को देश के विभिन्न भागों में प्रशिक्षित कर रहे हैं।

कानपुर, उत्तर प्रदेश तथा देश के अन्य क्षेत्रों में सेवा के 50 वर्षों के अवसर पर यह स्वर्ण जयंती चिकित्सा क्षेत्र में उनके समर्पण, शिक्षण, अनुसंधान और करुणामय चिकित्सा सेवा की अनुपम विरासत का प्रतीक है।

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