सेंधमारी कर एक दूसरे को पटकने की तैयारी में राजनीतिक दल

निशंक न्यूज डेस्क

कानपुर। बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही यहां की राजनीति में प्रमुख राजनीतिक दल एक दूसरे में सेंधमारी कर विरोधी दल को पटकनी के देने के प्रयास में लगे हैं। दूसरे दल को अपने साथ जोड़कर पार्टी को मजबूती देने के लिये किसी को टिकट का वादा किया जा रहा है तो किसी को अन्य राजनीतिक प्रलोभन देने की बात कही जा रही है हालांकि दूसरे दल में शामिल होने पर ऐसा करने के पीछे बिहार की बैहतरी के लिये ही ऐसा करने की बात कह रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आने वाले दिनों में कई और नेता कुलाटी मारकर दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में अपने दल के कद्दावर नेताओं को चुनाव तक पूरी तरह अपने साथ रखना भी बड़े दलों के लिये चुनौती बना है। इस बार बिहार चुनाव में प्रमुख दलों जे़डीयू-भाजपा, आरजेडी तथा कांग्रेस की नींद उड़ाने वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस उथल-पुथल पर पैनी नजर रखे है और अपने हिसाब से आगे के रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है फिलहाल जन सुराज पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी अपनी रणनीति पर काम कर रही है उसे चुनाव के समय दल बदलने वाले नेताओं में कोई दिलचस्पी नहीं है।

पूर्व मंत्री ने आरजेडी में शामिल होकर दिया नीतीश को झटका

दूसरे दल के कद्दावर नेताओं को तोड़ने के काम में राजद ने जेडीयू को बड़ा झटका दिया। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू के कद्दावर नेता रहे लक्ष्मेश्वर राय चुनाव के कुछ समय पहले जेडीयू छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। उन्होंने तेजस्वी यादव के सामने पार्टी की सदस्यता ली। उन्होंने कहा अगर पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने को कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे वरना पार्टी के लिये काम करते रहेंगे। राजद में शामिल होते ही लक्ष्मेश्वर राय ने जेडीयू की आलोचना करते हुए कहा कि अब पार्टी पहले जैसी नहीं रही. अब जेडीयू में दलितों और पिछड़े वर्गों की कोई सुनवाई नहीं होती। वहीं, तेजस्वी यादव अति पिछड़ों और पिछड़ों के हितों के लिए पूरी तरह समर्पित हैं.

बिहार के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएंगे : लक्ष्मेश्वर राय

लक्ष्मेश्वर राय ने कहा कि बिहार में बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही के माहौल से जनता ऊब चुकी है और अब बदलाव की मांग जोर पकड़ चुकी है. उन्होंने आगे कहा, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हम बिहार के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ तय नहीं है पार्टी अगर चाहेगी तो वह चुनाव भी लड़ने को तैयार रहेंगे।

कई और नेता राजद में शामिल होंगे

लक्ष्मेश्वर राय का पार्टी में स्वागत करते हुए राजद के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा, कारवां आगे बढ़ रहा है। सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई हम लंबे समय से लड़ते आ रहे हैं। लक्ष्मेश्वर राय कर्पूरी ठाकुर के विचारों के समर्थक रहे हैं और अब हमारे साथ मिलकर इस लड़ाई को और मजबूती देंगे। उन्होंने कहा कि देखते जाइये अभी और भी नेता राजद में शामिल होकर पार्टी को मजबूती देंगे।

पूर्व सांसद ने थामा भाजपा का हाथ

भाजपा भी बिहार के कद्दावर नेताओं को अपने साथ शामिल कर यहां पार्टी को और मजबूती देने के काम में लगी है। इसी के चलते मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद अजय निषाद और उनकी पत्नी रमा निषाद भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। श्री निषाद के आने से मुजफ्फरपुर की राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।

अजय निषाद ने टिकट कटने पर छोड़ी थी भाजपा

बताया गया है कि पत्नी के साथ भाजपा में शामिल होने वाले अजय निषाद ने 2014 और 2019 में दो बार भाजपा के टिकट पर मुजफ्फरपुर से सांसद का चुनाव जीता था। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामकर पंजा चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें भाजपा के राजभूषण निषाद चौधरी से करारी हार का सामना करना पड़ा था।

पिता भी रहे तीन बार सांसद, पत्नी को मिल सकता टिकट

अजय निषाद का राजनीतिक परिवार भी काफी प्रभावशाली रहा है. उनके पिता दिवंगत जय नारायण प्रसाद निषाद तीन बार मुजफ्फरपुर से सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री भी बने. अजय निषाद की भाजपा में वापसी के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा उन्हें या उनकी पत्नी को विधानसभा चुनाव में मैदान में उतार सकती है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजय निषाद की घर वापसी से मुजफ्फरपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उनका अनुभव और पहचान भाजपा को विधानसभा चुनाव में फायदा पहुंचा सकती है।

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