लेखपाल कराए था शासन की किरकिरी डीएम ने किया निलंबित

अभिषेक अग्निहोत्री, कानपुर।

जनपद में तैनात एक लेखपाल अपनी हरकतों से आम जनता के बीच शासन की किरकिरी कराए था। लोगों से ठीक से बात न करने के साथ ही उसपर आरोप था कि वह पैसे लिये बगैर किसी ही नहीं करता है इसके साथ ही वह अपना रौब भी फरियादियों पर गाठता है। जिलाधिकारी के संज्ञान में यह मामला आया और पिछले दिनों संपूर्ण समाधान दिवस पर भी लेखपाल के खिलाफ कई फरियादियों ने शिकायत की तो इससे नाराज जिलाधिकारी ने तुरंत जांत कराई। शासन की किरकिरी कराने वाले इस लेखपाल को निलंबित कर दिया गया।

जिलाधिकारी के सामने की थी कई ने शिकायत

बताया गया है कि शनिवार को नर्वल में जिलाधिकारी लोगों की समस्याएं सुनकर इनका निस्तारण करने के लिये पहुंचे थे। इस संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान कई फरियादियों ने चकबंदी लेखपाल कमलाकांत मौर्य की लिखित शिकायत की जिसकर लेखपाल पर कई गंभीर आरोप लगाये गये। इस बात को गंभीरता से लेकर जिलाधिकारी डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने 24 घंटे में जांच करने और आख्या उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

लेखपाल ने पैमाइश के नाम पर वसूले हजारों रुपये

शिकायतों की जांच बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, मोहम्मद असलम को सौंपी गई। एक शिकायतकर्ता राकेश प्रजापति का आरोप है कि, दो भूखंडों की पैमाइश के एवज में चकबंदी लेखपाल कमलाकांत ने 90 हजार रुपए वसूले हैं। रकम ऐंठने के बाद लेखपाल ने एक प्लाट तो नाप दिया, लेकिन दूसरे की पैमाइश के लिए बीस हजार रुपए अतिरिक्त मांग रहा था। एक अन्य शिकायतकर्ता मनीष सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि वरासत दर्ज कराने के लिए कमलाकांत 20 हजार रुपए मांग रहा है। दोनों प्रकरणों की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को तत्काल जांच के लिए नियुक्त किया था।

जांच में सामने आया चकबंदी लेखपाल का खेल

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि जोत चकबंदी अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित ग्रामों में धारा-24 से पूर्व किसी भूमि की नाप व कब्जा परिवर्तन का कोई प्रावधान नहीं है, इसके बावजूद चकबंदी लेखपाल द्वारा मनमाने ढंग से भूमि की नाप कर अवैध रूप से कब्जा दिलाया गया। इसके अतिरिक्त, निर्विवाद वरासत प्रकरण को अनावश्यक रूप से लंबित रखा गया। जांच में दोषी पाए जाने पर चकबंदी लेखपाल कमलाकांत मौर्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने साफ कह रखा है कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। भ्रष्ट आचरण में लिप्त एवं न्यायसंगत मामलों को अनावश्यक रूप से लंबित रखने वाले कार्मिकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई होगी।

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