निशंक न्यूज नेटवर्क
कानपुर। बार एसोसिएशन द्वारा अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर सोमवार को कानपुर बार एसोसिएशन द्वारा पुलिस आयुक्त को ज्ञापन देने के दूसरे ही दिन मंगलवार को लायर्स एसोसिएशन ने वकीलों पर दर्ज मुकदमों का मुद्दा उठाते हुए हंगामी प्रदर्शन किया। शताब्दी गेट के पास पहुंचे अधिवक्ता इस प्रदर्शन के दौरान खूूब दहाड़े। अधिवक्ताओं ने निवर्तमान पुलिस आयुक्त पर तीखे शब्दबाण छोड़े। इन लोगों ने साफ कहा कि अब अधिवक्ताओं का उत्पीड़न बर्दास्त नहीं किया जाएगा। पिछले छह माह में अधिवक्ताओं पर दर्ज मुकदमों की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा अथवा सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में एसआईटी के जरिए कराई जाए। अधिवक्ताओं का उत्पीड़न बंद न हुआ तो सड़क पर उतरकर मोर्चेबंदी की जाएगी। इसके साथ ही कानपुर में तैनात पुलिस अधिकारियों की अधिवक्ताओं के मामले में भूमिका की जांच और समीक्षा भी उच्च स्तरीय जांच आयोग से कराई जानी चाहिये।
पुलिस पर दुर्भावना पूर्ण तरीके से कार्रवाई करने का आरोप
सोमवार को हुई बारिश के कारण मंगलवार को मौसम में कुछ ठंढक थी लेकिन अधिवक्ताओं के प्रदर्शन और नारेबाजी के कारण यहां के राजनीतिक माहौल में गर्माहट थी। प्रदर्शन करने वाले अधिवक्ताओं का आरोप था कि, पुलिस ने पिछले करीब छह महीने में दुर्भावना पूर्ण तरीके से अधिवक्ताओं पर कार्रवाई की। कई एफआईआर में अज्ञात अभियुक्तों की शिनाख्त अधिवक्ताओं के रूप कर की गई और इनकी बात सुने बगैर इन्हें जेल भेज दिया गया। लायर्स एसोसिएशन के महामंत्री राजीव यादव ने कहा एक दो मुकदमें होने पर ही गैंगस्टर लगाकर अधिवक्ताओं का उत्पीड़न किया गया। लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश वर्मा ने कहा कि दो महीने की कैद के बाद रिहाई होते ही अधिवक्ता अनूप शुक्ला को एक अन्य मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
प्रदर्शन में चलाए गए राजनीतिक तीर
इस प्रदर्शन के दौरान माइनक हाथ में आने पर कुछ पुराने पदाधिकारियों ने राजनीतिक तीर भी चलाए। कानपुर के पुलिस पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार पर आरोपों के तीखे शब्दबाण चलाए गए तो पूर्व अध्यक्ष अविनाश बाजपेई ने नाम लिये बगैर कुछ अधिवक्ताओं को विभीषण का नाम दे डाला, जबकि बॉर एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री कपिलदीप सचान ने भी कुछ इसी तरह की बात कहते हुए कहा कि, अधिवक्ता हितों के लिए जिंदगी न्योछावर करने को तैयार हैं। कपिलदीप ने नवीन मार्केट के एक व्यापारी की अधिवक्ताओं के खिलाफ एफआईआर के हवाले से कहानी सुनाते हुए दावा किया कि, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पुलिस अधिकारियों ने वकीलों का दमन किया है। पूर्व अध्यक्ष नरेशचंद्र त्रिपाठी ने निजी हितों के लिए पुलिस की चाटुकारिता की रवायत को आत्मघाती करार देते एक जुट लोकर काम लड़ाई लड़ने की बात कही।
मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, सड़क पर उतरने की चेतावनी
आंदोलन के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने आग्रह किया है कि, बीते छह महीने में अधिवक्ताओं के खिलाफ एफआईआर को निरस्त करने के साथ उच्च न्यायालय के मौजूदा अथवा सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में एसआईटी के जरिए कराई जाए। इसके साथ ही कानपुर में तैनात पुलिस अधिकारियों की अधिवक्ताओं के मामले में भूमिका की जांच और समीक्षा भी उच्च स्तरीय जांच आयोग के जरिए होनी चाहिए। अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम जल्द लागू करने की मांग के साथ अधिवक्ताओं ने ज्ञापन में ऐलान किया है कि, पुलिस के निरंकुश रवैये पर रोक नहीं लगी तो मजबूर होकर अधिवक्ता प्रदेशव्यापी आंदोलन करने को विवश होंगे। इसके साथ ही सड़क पर उतरकर संघर्ष करना जरूरी होगा।
