निशंक न्यूज
कानपुर। दिल्ली व बैगलुरू में बैठकर भोले-भाले लोगों को साइबर ठगी का शिकार करने वाले ठगों के लिये बांदा व हमीरपुर के युवक एजेंट बनकर काम कर रहे हैं। वेतन तथा कमीशन पर काम करने वाले यह ठग शिकार बनाने के लिये शिकार को फर्जी कागजों पर लिये गये सिम भी मुहैय्या कराते थे। एक सटीक सूचना पर कमिश्नरेट कानपुर में दक्षिण क्षेत्र की पुलिस तथा क्राइम ब्रांच ने चार लोगों को गिरफ्तार कर साइबर ठगों के इस गिरोह का भंडाफोड़ किया। पकड़े गये ठगों में बांदा के तीन तथा हमीरपुर का एक ठग शामिल है। गिरोह में शामिल चार अन्य लोगों की तलाश में पुलिस की टीम को लगाया गया है।
नकदी-एटीएम कार्ड तथा एक दर्जन सिम बरामद
बताया गया है कि पुलिस को पता चला था कि कुछ लोग यहां के लोगों को फर्जी कागज के आधार पर सिम खरीदकर उपलब्ध कराते हैं। फर्जी कागजों पर सिम मुहैय्या कराए जाने की बात से पुलिस को संदेह हुआ कि सिम मुहैय्या कराने में कोई न कोई खेल है इसके बाद डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी के निर्देश पर आपरेशन शुरू किया और सटीक सूचना पर जहानाबाद रोड नौरंगा की देवमनपुर मोड़ के पास से हमीरपुर के सिलौसर के छानी गांव निवासी सालिगराम, बांदा के जरैली कोठी निवासी राहुल कुमार, जसपुरा बांदा के अवधेश निषाद और अमित यादव को हिरासत में लिया। इनसे साइबर ठगी का खेल खुला और पुलिस ने इनके पास से करीब चार लाख 44 हजार रुपये नकद, तीन एटीएम कार्ड, 12 सिम, छह मोबाइल फोन, एक नई बिना नंबर की पल्सर बाइक और स्कूटी बरामद की गई।
मासिल वेतन तथा दस फीसद कमीशन पर करते थे काम
जानकार पुलिस सूत्रों की मानी जाए तो पकड़े गये शातिरों से पूछतांछ में सामने आया कि पकड़े गये युवक के साइबर ठग आका दिल्ली तथा बेंगलुरू में बैठे अपने राजनीतिक आकाओं के लिये काम करते थे। पकड़े गये युवक में दो को ठग ने अपने बैंक एकाउंट के संचालन की जिम्मेदारी भी सौंप रखी थी जिसके चलते यह शातिर शिकार को तलाशते और पैसा मिलने पर इसमें अधिकांश हिस्सा अपने आका के बैंक खाते में जमा कर देते। पुलिस की मानी जाए तो पकड़े गए आरोपित दिल्ली और बैंगलुरू में बैठे आकाओं के लिए 25 हजार रुपये मासिक वेतन और 10 फीसद कमीशन पर काम करते थे।
बेंगलुरू में काम करने के दौरान हुई थी मुलाकात
डीसीपी दक्षिण दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि पकड़े गए आरोपित साइबर ठगों के लिए सिम कार्ड और बैंक खाते उपलब्ध कराते थे। आरोपित सालिगराम और अवधेश बेंगलुरू में काम करते थे इस दौरान ही इनकी मुलाकात बेंगलुरू में काम करने के दौरान साइबर ठग रितिक उर्फ संदीप, सौरभ शर्मा और मोहित से हुई थी। बेंगलुरू से लौटने के बाद इन दोनों ने घाटमपुर के अमित और राहुल को साथ जोड़ा, जो फर्जी आइडी पर सिम कार्ड मुहैया कराते थे। यह ठग सरकारी योजनाओं का लाभ, लोन मंजूरी या इनाम का झांसा देकर लोगों के बैंक डिटेल हासिल कर सालिगराम के दिए गए अलग-अलग खातों में रकम ट्रांसफर करते थे। डीसीपी ने बताया कि साइबर ठग रितिक उर्फ संदीप, सौरभ शर्मा और मोहित के दिल्ली में सक्रिय होने की जानकारी मिली है। इनकी गिरफ्तारी के लिये पुलिस की टीम बनाई गई है।