वेद गुप्ता
अगर आपको पक्षियों से प्रेम है या पक्षियों की चहलकदमी आपके दिल को शांति देती है तो आपके लिये अच्छे आ गए हैं। आप कानपुर के चिड़ियाघर (कानपुर प्राणि उद्यान) में आइये सर्दी का मौसम आने के साथ ही इस चिड़ियाघर में कई विदेशी पंक्षी आ गए हैं जो यहां झील के किनारे अपने घोषले बना रहे हैं। आप पक्षी प्रेमी हैं तो यहां आकर आपको मानसिक शांति जरूर मिलेगी।
बर्फीले देशों से आए हैं आकर्षण पंक्षी
कानपुर चिड़ियाघर एक बार फिर प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गूंज उठा है। यूरोप, साइबेरिया और अलास्का जैसे दूरदराज के बर्फीले इलाकों से हज़ारों किलोमीटर का सफर तय करके आए ये पंछी, यहाँ की झील और प्राकृतिक परिवेश में अपना अस्थायी ‘आशियाना’ बना रहे हैं। चिड़ियाघर का जंगल जैसा माहौल, विशाल झील और घने पेड़ इन पक्षियों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं। झील के किनारे और पेड़ों की शाखाओं पर इन्होंने घोंसले बनाने शुरू कर दिए हैं। ये पक्षी पूरी सर्दी यहाँ बिताएंगे, अंडे देंगे, बच्चों को पालेंगे और मौसम में गर्माहट आने पर वापस लौट जाएंगे।
कानपुर चिड़ियाघर में लौट आए प्रवासी
चिड़ियाघर प्रबंधन के अनुसार, इस सीज़न में अब तक नाइट हेरॉन, पोंड हेरॉन, लिटिल कारमोरेंट और पेंटेड स्टॉर्क जैसे प्रवासी पक्षियों की पहचान की गई है। झील के ऊपर से उड़ते और चोंच में तिनके ले जाते ये पक्षी आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. कन्हैया पटेल ने बताया, “प्रवासी पक्षियों का आना जारी है। सर्दी बढ़ने के साथ इनकी संख्या और बढ़ेगी। अगले महीने तक झील और आसपास का क्षेत्र इन पक्षियों से भर जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ‘बर्ड वॉचर’ चिड़ियाघर में बने टावर से इन पक्षियों को देख सकते हैं।
पक्षियों की सुरक्षा में जुटा चिड़ियाघर प्रशासन
डॉ. पटेल ने इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कर्मचारियों को नियमित निगरानी बढ़ाने और पक्षियों के बसेरा वाले स्थानों को शांत रखने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि अपने मूल स्थानों पर भीषण सर्दी और बर्फ के कारण भोजन व आश्रय की तलाश में ये पक्षी भारत सहित अन्य गर्म देशों का रुख करते हैं। उत्तर भारत का अनुकूल मौसम और पर्याप्त भोजन इन्हें यहाँ ठहरने के लिए प्रेरित करता है।
