कानपुर, निशंक न्यूज
शराफत से रिश्ता जोड़ने को तैयार गुंडों-बदमाशों की निगरानी के लिए खाकी वर्दी ने हाईटेक रास्ता खोजा है। मोबाइल की गूगल लोकेशन के जरिए हिस्ट्रीशीटरों के ठौर-ठिकानों पर निगाह रहेगी। कोई गच्चा न दे पाए, इसके लिए कभी-कभार वीडियो कॉलिंग के जरिए मौके पर मौजूदगी जांची परखी जाएगी। इस कवायद का मकसद शराफत के रास्ते पर बढ़ते बदनाम कदमों को बहकने से रोकना और पुरानी रंजिश में किसी रिटायर्ड बदमाश को नए मामले में फंसाने से रोकना है।
सहमति के आधार पर 50-50 बदमाशों से शुरुआत
ऑपरेशन दिव्य दृष्टि के नवाचार की जानकारी देते हुए पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि प्रत्येक थानाक्षेत्र में जघन्य अपराधों में किसी वक्त लिप्त रहे अपराधियों की निगरानी के लिए गूगल मैप का इस्तेमाल किया जाएगा। इस वास्ते जरायम से तौबा करने वाले अपराधी को अपने मोबाइल में गूगल मैप में लोकेशन शेयरिंग आइकन को क्लिक करने के बाद पुलिस के उपलब्ध कराए नंबर पर लोकेशन शेयरिंग की इजाजत देनी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकेशन शेयरिंग सिर्फ सहमति के आधार पर होगी, लिहाजा हाईटेक निगरानी के लिए संबंधित व्यक्ति को सहमति प्रपत्र जमा करना होगा। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक थाने को अपने-अपने इलाके के 50 रिटायर्ड बदमाशों को हाईटेक निगरानी के लिए रजामंद करने का टॉस्क दिया गया है।
ईमानदारी परखने के लिए वीडियो कॉलिंग
मोबाइल फोन की लोकेशन के जरिए निगरानी में अंदेशा है कि कोई बदमाश अपने घर में मोबाइल छोड़कर अन्यत्र हरकत करने पहुंच सकता है। इस कारण तय किया गया है कि निगरानीशुदा बदमाशों के मोबाइल पर पुलिस दस्ता कभी-कभी वीडियो कॉलिंग करेगा। यदि संबंधित व्यक्ति ने वीडियो कॉल नहीं उठाई, अथवा किसी परिजन से संवाद हुआ तो उसे संदिग्ध की श्रेणी में रखकर जासूसी कराई जाएगी। पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस योजना से ऐसे लोगों को फायदा होगा, जो वाकई बदमाशी से तौबा करना चाहते हैं, लेकिन आए दिन पुलिस सत्यापन के कारण गली-मोहल्ले में संदिग्ध माने जाते हैं। गूगल लोकेशन निगरानी की सहमति देने की स्थिति में पुलिस संबंधित बदमाश के दरवाजे नहीं जाएगी। इसके अतिरिक्त गूगल लोकेशन के जरिए 24 घंटे निगरानी में रहेंगे तो पुलिस के पास सकारात्मक पक्ष होने के कारण किसी पुरानी रंजिश के चलते फर्जी मामलों में फंसाना मुमकिन नहीं होगा।
कामयाबी मिली तो एड़ी-कलाई पर डिवाइस
ऑपरेशन दिव्य दृष्टि को कामयाबी मिली तो बदमाशों की निगरानी के लिए कलाई अथवा एड़ी में लोकेशन डिवाइस लगाने पर विचार किया जाएगा। यह डिवाइस भी ऐच्छिक आधार पर लगेगी लेकिन कामयाबी मिलने के बाद जघन्य अपराधों में लिप्त गुंडों-मवालियों के लिए अनिवार्य होगी। योजना शानदार है लेकिन इंटरनेट नेटवर्क में बाधा और मोबाइल चार्जिंग जैसी कुछ तकनीकी समस्याएं भी सामने होंगी। योजना के सफल क्रियान्वयन और समस्याओं के समाधान के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर को जिम्मेदारी सौंपी गई है।