कानपुर- शहर के जिलाधिकारी और निलंबित पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बीच के विवाद ने आज हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक नया मोडं ले लिया है। हाईकोर्ट के एक वाइरल आदेश के बाद इसमें नई बहस को जन्म दिया है। आदेश के मुताबिक डा. हरिदत्त नेमी को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के तहत तात्कालिक प्रभाव से निलंबित करने का आदेश तर्क संगत प्रतीत नहीं होता और आवेदक द्वारा य भी दावा किया गया था कि सरकार ने उनकों बिना किसी जांच के सेवा से निलंबित किया था। निलंबन की अवधि में डा. नेमी को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ कार्यालय से संबद्ध किया गया था।
आपको बता दें कि कानपुर में जिलाधिकारी पर टिप्पणी करने से संबंधित सीएमओ का कथित आडियो वायरल होने के बाद डीएम बनाम सीएमओ के मामले ने तूल पकड़ा लिया था। यही नहीं सीएमओ के कार्यों की तारीफ करते हुए शहर के भाजपा के तीन जनप्रतिनिधियों सतीश महाना, एमएलसी अऱुण पाठक, और गोनिंदनगर से पार्टी के विधायक सुरेंद्र मैथानी ने उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखे थे। तो जिलाधिकारी के कार्यशैली की तारीफ कतरते हुए भाजपा के बिठूर विधानसभा से विधायक अभिजीत सांगा ने डीएम के समर्थन में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरिदत्त नेमी को निलंबित कर उनकी जगह अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात डा. उदय नाथ को कानपुर नगर का मुख्य चिकित्साधिकारी बनाया गया था। डा. नेमी के निलंबन और डा. उदय नाथ की तैनाती का आदेश स्वास्थ्य विभाग की निदेशक रितु माहेश्वरी ने जारी किया था। डा. हरिदत्त नेमी पर जिलाधिकारी की बात न मानने के आरोप के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में रिक्त पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों में चयन प्रक्रिया के विपरीत पदों का विज्ञापन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर नहीं कराए जाने का भी आरोप था।
जिला स्वास्थ्य समिति तथा मुख्य विकास अधिकारी के निर्देशों के बावजूद आयुष परीक्षा के किए गए साक्षात्कारों का परिणाम चार दिन के अंदर न कराकर चयन के कई दिनों बाद तक जिला स्वास्थ्य समिति से अनुमोदित नहीं कराए जाने से चयन प्रक्रिया संपन्न नहीं होने देने का आरोप था। यही नहीं वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी को वित्तीय परीक्षण व पदेन कार्यों से हटाते हुए उनके स्थान पर गैर वित्त सेवा के अधिकारी से कार्य लिए जाने के साथ ही कई अन्य आरोप लगे थे।