अमित गुप्ता
कानपुर । महिला बंदियों को रोजगार के लिये प्रेरित करने के लिये जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को जिला कारागार की महिला बैरक में चार सिलाई मशीन स्थापित की। महिला बैरक में सिलाई मशीन स्थापित होने की महिला बंदियों ने सराहना की। यहां जिलाधिकारी ने कहा कि सिलाई का काम सीखकर महिला बंदी यहां बिताए गए समय को रचनात्मक कार्यों में लगाएं और जेल से छूटने के बाद परिवार का सहारा बने। उन्होंने कहा कि कारागार सुधार और पुनर्वास का माध्यम है।
रचनात्मक कार्यों में व्यतीत करें समय
जिला कारागार में वर्तमान में करीब 85 महिला बंदी हैं। इन बंदियों को स्वालंबन की तरफ ले जाने तथा इन्हें रचनात्मक कार्यों में लगाने की दिशा में जेल अधीक्षक बीडी पांडेय अपने स्तर पर काफी समय से प्रयासरत थे। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी जितेंद्र प्रतास सिंह के सामने अपनी इच्छा रखी जिसे जिलाधिकारी ने हाथों हांथ लिया और इसके बाद से इस बात पर मंथन किया जा रहा था कि जेल में बंद महिला बंदियों के लिये कुछ ऐसा किया जाए जिससे वह स्वावलंबी बन सकें और रचानात्मक कार्यों में लगकर अपना यह समय बेहतर काम में लगा सकें।
सिलाई सीखने से महिला बंदी होंगी आत्मनिर्भर

जिलाधिकारी की पहल पर तय किया गया कि महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये महिला बैरक में सिलाई मशीन उपलब्ध करा दी जाएं ताकि सिलाई का काम सीखकर महिला आत्मनिर्भर व स्वावलंबीं बन सकें। इस बात की जानकारी भर से ही महिला बंदी उत्साहित हो गईं। सलाह लेने पर महिला बंदियों ने बताया कि पैर वाली मशीनें महिला बंदियों के लिये ज्यादा मददगार साबित हो सकती हैं हाथ की सिलाई मशीन चलाने में दिक्कत होती है और काम भी कम हो पाता है। इस पर जिलाधिकारी ने समाजसेवी संस्थाओं से बात की और सब कुछ तय होने पर सावन के सोमवार पर अचिन्त्य चेरिटेबल फाउंडेशन की अध्यक्ष अधिवक्ता एवं समाजसेविका दिशा अरोड़ा के प्रयास से जेल की महिला बैरक चार सिलाई मशीनें स्थापित की गईं।
महिला बंदियों को आत्मनिर्भर एवं आर्थिक रूप से सक्षम बनाना लक्ष्य
जेल अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया कि जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की पहल पर जिला कारागार, कानपुर की महिला बैरक में चार सिलाई मशीनें स्थापित की गईं। इस पहल का उद्देश्य महिला बंदियों को जेल अवधि के दौरान उपयोगी कौशल से प्रशिक्षित करना तथा उन्हें आत्मनिर्भर एवं आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी श्री जितेन्द्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि कारागार सुधार और पुनर्वास का माध्यम है। महिला बंदियों को जीवनोपयोगी कौशल प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से बंदी अपने समय का सकारात्मक उपयोग कर सकती हैं।
बंदियों को मिलेंगे दो-दो शूट व पारिश्रमिक
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक महिला बंदी को उपहारस्वरूप दो-दो सूट्स की सिलाई से प्रशिक्षण प्रारम्भ किया जाएगा। प्रशिक्षण की व्यवस्था अधिवक्ता एवं समाजसेविका सुश्री दिशा अरोड़ा द्वारा की जा रही है, जो अचिन्त्य चेरिटेबल फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं। प्रशिक्षण के उपरांत इच्छुक व दक्ष महिला बंदियों को नियमित सिलाई कार्य सौंपा जाएगा तथा उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें पारिश्रमिक भी प्रदान किया जाएगा।कारागार अधीक्षक डॉ० बी०डी० पाण्डेय ने बताया कि कारागार प्रशासन महिला बंदियों के स्वरोजगार से जुड़ी गतिविधियों को व्यवस्थित ढंग से संचालित करेगा। उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व स्वयंसेवी संस्था को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
प्रशीक्षण में सक्रिय भागीदारी करें
इस अवसर पर अपर जिला जज एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री कमलेश कुमार मौर्य ने महिला बंदियों को सम्बोधित करते हुए प्रशिक्षण में सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम में श्री राजेश कुमार पाण्डेय, जेलर श्री अनिल कुमार पाण्डेय, श्री मनीश कुमार, डिप्टी जेलर श्रीमती मौमसी राय, श्री अरुण कुमार सिंह तथा चीफ लीगल एड डिफेन्स काउंसिल श्री अखिलेश कुमार सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।