कानपुर, निशंक न्यूज नेटवर्क
आईआईटी का बहुप्रतीक्षित सांसकृतिक युवा महोत्सव अंतराग्नि का आरंभ गुरुवार की शाम हो गया। यहां देशभर से आए युवाओं के हौसलों को उड़ान मिलने के साथ गीत-संगीत की प्रतियोगिता में हुनर दिखाने का मौका मिलेगा। इस बार चार सौ से अधिक संस्थान व कॉलेज के छात्र-छात्राएं शामिल हुए हैं। पहले दिन साहित्य कार्यक्रम ‘अक्षर’ में विद्वानों ने साहित्य के अनछुए पहलुओं से रूबरू कराया। देर शाम युवाओं की प्रतियोगिताएं होती रहीं।
अंतराग्नि में देशभर से आए युवाओं ने पहले दिन पूरा आईआईटी कानपुर परिसर घूमा। इस दौरान उन्होंने संस्थान के कई युवाओं के साथ बातचीत भी की। इस बातचीत में यहां की पढ़ाई, तकनीकी सुविधाएं, शोध क्षेत्र में उपलब्धियां पर चर्चा की। कई युवाओं ने आयोजन कमेटी में संरक्षक के रूप में शामिल शिक्षकों से भी इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उधर दूसरे संस्थानों से आए युवाओं ने संस्थान में हिन्दी सहित अन्य भाषाओं पर कार्य करने वाले शिवानी केंद्र के बारे में भी विस्तार से समझा। पहले दिन ‘अक्षर’ के दौरान यवाओं ने कार्यक्रम में आए साहित्यकारों से भी बातचीत की।
आईआईटी परिसर में कार्यक्रम की शुरुआत होने से पहले ही संस्थान परिसर में अपने इवेंट से संबंधित अभ्यास शुरू कर दिया। समूह में बंटे युवा नृत्य व गीतों का अभ्यास करते रहे। युवाओं के अभ्यास से माहौल में सतरंगी छटा बिखरी नजर आई। दिल्ली व बंग्लुरू से आए कॉलेजों के युवा छात्र छात्राओं ने गिटार, पियानो समेत कई वाद्ययंत्रों पर अभ्यास किया। युवाओं की टीमों ने पहली बार दूसरी टीमों की तैयारी भी देखी और अपनी तैयारियों को तेज किया।
अंतराग्नि के पहले दिन ‘अक्षर’ इवेंट ने युवाओं को आकर्षित किया। इसमें युवाओं ने सांस्कृतिक संगीत के साथ ही साहित्यकार ‘मुंशी प्रेमचंद के माध्यम से बनारस’ को भी समझा। इसके अलावा युवाओं के बीच हुए इवेंट में ऋतंभरा का पहला राउंड हुआ। देर रात तक आयोजन में युवा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर वाहवाही लेते रहे।
मुंशी जी जैसी कल्पना फिल्मों में नहीं
समारोह में सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों में गुरुवार को साहित्यकार व्योमेश शुक्ला ने ‘प्रेमचंद और बनारस के बीच संबंधों’ की एक यादगार प्रस्तुति दी। इस दौरान उन्होंने अपनी विशेष संबोधन शैली में बनासर की गलियों से ‘मुंशी जी’ का जुड़ान समझाया। कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कल्पनाओं का मुकाबला आज के फिल्म बनाने वाले नहीं कर सकते। वह उन कल्पनाओं तक सोंच भी नहीं सकते। हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा ने दास्तान-ए कैफी आजमी का सम्मोहक वर्णनात्मक प्रदर्शन किया। स्वर संध्या में मोहम्मद वकील और समूह द्वारा गजलों की एक शाम, और सिद्धार्थ सिंह द्वारा प्रस्तुत उत्तर प्रदेश के लोकगीत नामक एक संगीत समारोह आयोजित हुआ।