अमित गुप्ता
शरीर के किसी भी अंग में कैंसर होने पर पीड़ित के साथ ही उसके परिवार वालों की भी चिंता बढ़ जाती है। आर्थिक स्थिति की चिता के साथ ही इस बात पर विचार होने लगता है कि देश के किस शहर में जाकर उपचार कराया जाए ताकि पीड़ित को राहत मिल सके तमाम लोग हैलट अस्पताल का नाम सुनते ही तरह-तरह की चर्चा शुरू कर देते हैं लेकिन जीएसवीएम (हैलट) अस्पताल के डाक्टरों ने हैलट अस्पताल में ही पोस्ट्रेट कैंसर का सफल आपरेशन कर आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों में ठीक होने की उम्मीद जगा दी जो आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कैंसर की बीमारी का नाम सुनते हीर ठीक होने की उम्मीद छोड़ देते हैं।
प्राचार्य संजल काला देखऱेख में डाक्टरों ने पाई सफलता

जीएसवीएम के प्राचार्य संजल काला तथा उनकी टीम द्वारा पोस्ट्रेट कैंसर के किये गये सफल आपरेशन से यह भी साबित हो गया कि बढ़ते प्रोस्टेट कैंसर का इलाज समय रहते अगर करा लिया जाये तो मरीज की जिन्दगी की समय सीमा बढ़ सकती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में प्राचार्य डॉ संजय काला की देखरेख में यूरोलॉजिस्ट डॉ अनिल जे वैद्य,डॉ राकेश गुप्ता ,डॉ मयंक गुट व उनकी टीम ने दूरबीन विधि से 74 वर्षीय मरीज राम दयाल का प्रोस्टेट कैंसर का सफल ऑप्रेशन किया।
करीब चार घंटे के आपरेशन में मिली सफलता

जीएसवीएम मेडिलक कालेज के सीएसआर रूम में एक प्रेसवार्ता के दौरान डॉ अनिल जे वैद्य की टीम ने बताया कि मरीज का सफल लैप्रोस्कोपिक रैडिकल प्रोस्टेक्टॉमी विद लिम्फ नोड रिसेक्शन तथा यूरेथ्रल रिपेयर के माध्यम से किया गया। यह ऑपरेशन लगभग 4 घंटे चला तथा शल्यक्रिया के दौरान मरीज को 1 यूनिट खून भी दिया गया। उन्होंने बताया कि कानपुर में इस प्रकार की शल्यक्रिया पहली बार सफलतापूर्वक की गई, जो संस्थान के लिए एक गर्व की बात है। इसके साथ ही उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर और साधारण प्रोस्टेट के बारे में जानकारी देते हुए लोगो को जागरूक किया ताकि वह बीमारी गंभीर होने से पहले ही डॉ के पास जाकर सही सलाह ले, ताकि भविष्य में बीमारी की जटिलताओ से बचा जा सके। डॉ अनिल जे वैद्य ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर और नार्मल प्रोस्टेट के लक्षण समान्तर ही होते है। इसके लक्षण में पेशाब का रूक-रूक कर आना, पेशाब की थैली में पत्थरी का होना, इंफेक्शन का होना शामिल है। उन्होंने बताया कि पोस्टेड फेसफिक एंटीजन ,(पी एसए )का लेवल 4 से अधिक होने पर यूरोलाजिस्ट से जरूर मिलना चाहिए और अपनी बीमारी के बारे में जानकारी देना चाहिए ताकि ऑपरेशन करना या उसे दवाओ से ठीक करना उस पर निर्भर हो जाता है। वर्तमान समय में एक महीने में 45 मरीज ओपीडी में आ रहे है जिसकी बायोप्सी कराने पर सभी पाजिटिव ही निकल रहे है। ऐसे में अगर मरीज शुरूआती समय में आ जाये तो उसका इस बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है।
रोबोटिक सर्जरी से ऑपरेशन होगा आसान
यूरोलाजिस्ट डॉ अनिल जे वैद्य ने बताया कि आने वाले समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी। क्यों कि प्रोस्टेट ग्रंथी शरीर के सबसे निचले भाग में होती है जहां सजैरी कर टांके लगाने में बहुत ही दिक्कतो का सामना करना पडता है ,लेकिन आने वाले समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे बडी मददगार साबित होगी।
