कानपुर में यातायात को सुगम बनाएगा 93 किमी लंबी आउटर रिंग रोड, डीएम ने देखा काम

कानपुर, निशंक न्यूज

महानगर के समग्र विकास और सतत यातायात समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में आउटर रिंग रोड परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। यह परियोजना महानगर को बाहरी परिधि से जोड़ते हुए प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय मार्गों से निर्बाध रूप से जोड़ने का कार्य करेगी। जिलाधिकारी श्री जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज पूर्वाह्न छतमरा में परियोजना की स्थिति का जायजा लिया एवं एनएचएआई के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये।

शहर में कम होगा भारी ट्रैफिक का दबाव

93 किलोमीटर लंबी इस परियोजना में से लगभग 62 किलोमीटर हिस्सा कानपुर नगर क्षेत्र में आता है, जबकि शेष भाग उन्नाव और कानपुर देहात जिलों में स्थित है। इस रिंग रोड से कानपुर-कबरई मार्ग, लखनऊ-अलीगढ़ रूट, आगरा एक्सप्रेसवे और प्रयागराज रोड जैसी प्रमुख सड़कों को सीधा और निर्बाध संपर्क मिलेगा, जिससे शहर के भीतर के दबाव और ट्रैफिक कंजेशन में उल्लेखनीय कमी आएगी।

कानपुर नगर क्षेत्र में नहीं कोई अवरोध

जिलाधिकारी श्री जितेन्द्र प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है। छतमरा क्षेत्र में 1.8 किलोमीटर भूमि का सफलतापूर्वक अधिग्रहण कर NHAI एवं पुलिस प्रशासन द्वारा पजेशन भी प्रदान किया जा चुका है। वर्तमान में परियोजना को लेकर कानपुर नगर क्षेत्र में कोई प्रमुख अवरोध नहीं है, जिससे इसके अगले चरणों में अपेक्षित गति मिलेगी। परियोजना को जुलाई 2027 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित है। हालांकि, प्रशासन का प्रयास है कि दिसंबर 2026 के अंत या जनवरी 2027 के प्रारंभ तक कुछ भागों को सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध करा दिया जाए, जिससे लोगों को शीघ्र राहत मिल सके।

मील का पत्थर साबित होगा रिंग रोड

डीएम ने कहा कि आउटर रिंग रोड से कानपुर शहर बाहरी कनेक्टिविटी के स्तर पर एक नया मील का पत्थर स्थापित करेगा। ट्रैफिक जाम की मौजूदा समस्याओं से निजात मिलेगी और शहर के अंदर आने वाला भारी वाहनों का दबाव कम होगा। यह परियोजना केवल एक सड़क मार्ग नहीं, बल्कि कानपुर के व्यवस्थित शहरी विकास की आधारशिला है। परियोजना से न केवल औद्योगिक, वाणिज्यिक और यातायातिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि नए आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों का विकास भी सुगम होगा। रिंग रोड के किनारे भविष्य में लॉजिस्टिक हब, वेयरहाउसिंग, और ट्रांसपोर्ट टर्मिनल जैसी संरचनाओं के विकास की भी संभावनाएं खुलेंगी। जिला प्रशासन, एनएचएआई और अन्य तकनीकी एजेंसियां समन्वय के साथ कार्य कर रही हैं, जिससे निर्धारित समयसीमा के भीतर यह परियोजना पूरी की जा सके और जनमानस को अधिकतम लाभ मिल सके।

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