विकास बाजपेयी।
निशंक न्यूज
पिंटू सेंगर हत्याकांड में जेल में बंद अधिवक्ता दीनू उपाध्याय के मामले में एक और रहस्य सामने आया है। दीनू ने बिहार के आरा में स्थित जिस कालेज से वकालत की डिग्री हासिल की वह कालेज पुलिस की जांच में दागी निकला। अभिलेखों में गड़बड़ी के आधार पर इस कालेज पर दो साल का प्रतिबंध लगाया जा चुका है। बिहार जांच करने गयी पुलिस को दीनू के वह कागजात कालेज में नहीं मिले जो उसने इस कालेज में दाखिला लेते समय अपनी तरफ से दाखिल किए थे। पुलिस दीनू के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में दाखिल चार्जशीट में यह सभी बिंदू शामिल कर रही है।
बताते चले कि पिछले दिनो अधिवक्ता दीनू उपाध्याय के खिलाफ वकालत की फर्जी डिग्री लेने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमें में दीनू जमानत ले चुका है। पिछले दिनो पुलिस ने इस मामले में दीनू के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद कुछ और तथ्य बढ़ाने के लिये पुलिस की एक टीम को बिहार के उस कालेज में भेजा गया जहां से दीनू ने एलएलबी की डिग्री हासिल की थी और इस डिग्री के आधार पर उसने बार कॉसिल में अपना पंजीयन कराया था। पुलिस को उनकी डिग्री पर इस कारण संदेह हुआ क्योंकि मुकदमा लिखाने वाले दीनू की जो स्नातक डिग्री हासिल की उसमें वह 44.4 फीसद अंक पाकर पास हुआ था जबकि एलएलबी में दाखिला लेने के लिये स्नातक कम से कम 45 फीसद अंक से पास हुआ अनिवार्य होता है।
लोगों के बीच काफी खराब है आरा के कालेज की क्षवि
पुलिस सूत्रों की मानी जाए तो बिहार गई पुलिस की टीम जब कालेज पहुंची तो यहां के इतिहास की जानकारी मिलने पर अवाक रह गई। यहां पुलिस ने जब कालेज से दीनू द्वारा दाखिला लेने के समय प्रस्तुत किये गये अपने शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जानकारी लेनी चाही तो सामने आया कि कुछ वर्ष पहले तक इस कालेज की क्षवि बहुत खराब थी। यहां से फर्जी प्रमाण देने तथा फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर लोगों का दाखिला लेने के आरोपों के चलते शासन स्तर पर इस कालेज के खिलाफ कार्रवाई की गई तो इसके बाद दो साल के लिये कालेज बंद रहा। इस दौरान कालेज के कुछ कर्मचारी जेल भेजे गये और कुछ को निलंबित किया गया। जांच में यह बताया गया कि कालेज पर कार्रवाई के दौरान स्वयं को बचाने के लिये जेल भेजे गए कर्चमारियों अथवा निलंबित किये गये कर्मचारियों ने ऐसे तमाम कागज गायब कर दिये। जिसके चलते पुलिस को दीनू द्वारा दाखिले के समय प्रस्तुत किये गये अभिलेख पुलिस को नहीं मिल सके। कुछ ऐसी ही बात यहां के कुलपित कार्यालय से पुलिस को लिखकर भी दिया गया जो दीनू के खिलाफ इस मुकदमें में ठोस आधार बन सकता है। इसके बाद पुलिस वहां से वापस आ गई।
दो साल बंद रहा कालेज कई कर्मचारी गए थे जेल
इस संबंध में पूंछने पर एसीपी कोतवाली आशतोष सिंह का कहना है कि दीनू की डिग्री फर्जी होने के मामले में बारीकी से जांच चल रही है। दीनू ने आरा के महराजा लॉ कालेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की यह कालेज तमाम आरोपों के चलते दो साल बंद भी रह चुका है। फर्जी डिग्री देने जैसे कई आरोपों के चलते कालेज पर कार्रवाई की गई थी। जिसमें यहां के कर्मचारी जेल भी गए और निलंबित भी हुए कुछ कर्मचारियों की तो मौत हो चुकी है। इसी दौरान शायद किसी ने अन्य के साथ दीनू द्वारा दाखिले अभिलेख भी गायब कर दिये जिसके चलते दाखिले के समय दीनू द्वारा दाखिल किये गये अंक पत्र नहीं मिल सके। वहां के कुलपित ने कानपुर पुलिस का पूरा साथ दिया। कुलपित के कार्यालय से यह बात लिखकर भी दी है।
स्नातक में 44.4 अंक तो नहीं हो सकता एलएलबी में दाखिला
एसीपी कोतवाली ने बताया कि अगर किसी छात्र ने 44.4 अंक पाकर स्नातक किया है तो वह एलएलबी में दाखिला नहीं ले सकता ऐसा बार कॉसिल का भी नियम है। यह देखा जाता है कि अगर अंक 44.5 से ज्यादा हैं तो इन्हें राउंड फिगर में 45 फीसद माना जा सकता है लेकिन अगर 44.5 से अंक कम है तो इसे 44 फीसद ही माना जाता है ऐसे में अब तक मिले साक्ष्यों से साफ है कि दीनू के स्नातक में अंक 45 फीसद तो नहीं थे ऐसे में साफ है कि उसने कालेज के अंधेरे में रखकर एलएलबी की डिग्री हासिल की।