ओ पी पाण्डेय
अलीगढ । मानव जीवन गंभीर बीमारियों की जद में आ रहा है। खान-पान पर ध्यान नहीं देना भारी पड़ रहा है। बड़ी संख्या में लोग लाइलाज बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थ हैं । दरअसल, मिलावट खाने पीने की हर चीज में अपना अहम स्थान बना चुका है । मानव जीवन मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थ के कारण लाइलाज भयंकर बीमारी कैंसर ,थायराइड, डायबिटीज, लकवा हार्ट-अटैक आदि बीमारियों की गिरफ्त मे आ रहा है। ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की होड़ में प्रत्येक खाद्य एवं पेय पदार्थो में मिलावट का समावेश हो चुका है। मिलावटी खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ से बचाव करना असंभव ही नहीं नामुमकिन हो गया है। जनता को मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थ से बचाने वाला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग वर्तमान समय मे भ्रष्टाचार की अमरबेल में पूर्ण रूप से जकड़ चुका है । जिसके कारण मिलावटखोर खाने एवं पीने की चीजों में खुलेआम मिलावटकर इंसान के जीवन को भयंकर बीमारियों की ओर ढकेल रहे हैं ।
प्रदूषण मानव सोच में हो, परिवेश में हो या खाद्य एवं पेय पदार्थों में सदैव घातक ही होता है। मानव सोच का प्रदूषण रिश्तों को निगल जाता है जबकि परिवेश और खाद्य या पेय पदार्थों का प्रदूषण मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए अति घातक एवं अहितकर होता है, साथ ही कभी-कभी मानव-हानि का कारक भी बन जाता है। यही स्थिति मिलावट की है। जब यह मिलावट खाने-पीने की चीजों को अपनी गिरफ्त में लेती है तो मानव का स्वास्थ्य खतरे की परिधि में आ जाता है। खाद्य एवं पेय पदार्थों में मिलावट करने वाले अपने आर्थिक लाभ के लिए मानव जीवन के साथ किस प्रकार खिलवाड़ करते हैं और इंसानी जिंदगी को किस प्रकार भयंकर तथा प्राणघातक व्याधियों की भट्टी में झोंक देते हैं, वह बेहद गंभीर विषय है और इस विषय पर शोध आवश्यक है। कुछ धन का लाभ इंसानों की जिंदगी से अधिक प्यारा हो सकता है यह कल्पनातीत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस मानव का जन्म चौरासी लाख योनियों में भटकने के पश्चात होता है उसे किसी इंसान की धनलोलुपता निगल जाए, यह आश्चर्यजनक विचारणीय पहलू है। इस मानव विरोधी कुकृत्य की जितनी भर्त्सना की जाए कम है ।
प्रकृति के नियमानुसार हर समस्या अपने साथ समाधान को भी लेकर उदय होती है, बस उस समाधान की राह पर चल पड़ने की आवश्यकता होती है। मिलावट की समस्या के निस्तारण के लिए सर्वाधिक सहज तरीका है उन चीजों से बचाव जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं किंतु यह समाधान अब आसान नहीं है क्योंकि मिलावट ने अपने पाँव कुछ इस तरह फैला दिए हैं कि हर खाने-पीने की वस्तुओं में उसने अपना स्थान बना लिया है। जब हर चीज में मिलावट का समावेश हो चुका हो तो उससे बचाव रख पाना असंभव हो जाता है। ज़िंदगी को सुचारु रूप से चलाने के लिए भोजन की शरण में तो जाना ही पड़ेगा। ऐसी अवस्था में बचाव कैसे संभव है? वास्तविकता यही है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट उस स्लो पॉइजन अर्थात धीमा जहर के समान है जो धीरे-धीरे इंसान को दीमक की तरह निगलते हुए एक रोज मृत्यु के द्वार तक पहुंचा ही देती और जब इस तथ्य की जानकारी होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मानव हानि से बचने के लिए मिलावट के विरुद्ध एक ईमानदार सोच और ईमानदार प्रयास की पहल अति आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश शासन ने मिलावटखोरी पर नकेल कसने एवं प्रदेशवासियों को मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थ से बचाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की स्थापना की थी किन्तु वर्तमान में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलावटखोरो से संलिप्ता के कारण ही पूरे उत्तर प्रदेश में मिलावटखोरी का व्यापार दिन-दूनी, रात- चौगुनी की तेज रफ्तार से फल- फूल रहा है । मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थों के सेवन करने से उत्तर प्रदेश की जनता लाइलाज भयंकर बीमारियों से ग्रसित हो रही है ।
खाद्य एवं पेय पदार्थों में हानिकारक, घातक मिलावट उस प्राणघातक कैंसर के समान है जिसका निवारण ही समाज और राष्ट्र के हित में है।
हम भले ही किसी भी धर्म के अनुयाई हों ; किसी भी अदृश्य शक्ति को अपना आराध्य स्वीकारें लेकिन हर धर्म में एक बात शाश्वत रूप से स्वीकारी जाती है कि किसी भी इंसान की जिंदगी और मौत उस परमपिता परमेश्वर के हाथ में होती है लेकिन स्वार्थ और लालच के इस जंगल में इस धार्मिक विश्वास में परिवर्तन की आवश्यकता है क्योंकि इंसान की मौत को तो अब सजाकर खुले बाजारों में सरेआम बेचा जा रहा है; बस आवश्यकता इस बात की है कि बाजारों में बिकते इस धीमे जहर (Slow Poison) को पहचाना जाए जो खाद्य एवं पेय पदार्थों के रूप में मिलावट करके समाज में परोसा जाता है।
खाद्य एवं पेय पदार्थों की यह मिलावट मानव शरीर में अनेकानेक प्रकार की घातक बीमारियों की जनक तो है ही, साथ ही कभी-कभी यह मिलावट सामूहिक मृत्यु का कारण भी बन जाती है। हमारे देश में नकली एवं मिलावटी शराब से होने वाली मृत्यु इसी घातक मिलावट का परिणाम है जिसके दंश समाज के साथ ही देश को भी चाहे-अनचाहे सहने ही पड़ते हैं। वर्तमान परिवेश में अनुसंधान का विषय यह नहीं है कि किस-किस वस्तु में मिलावट का व्यापार सुचारु रूप से जारी है अपितु आज अनुसंधान का विषय यह है कि वो कौन सी वस्तु है जिसमें मिलावट नहीं की जा रही? अनुसंधान का विषय यह है कि वह मिलावट खाद्य एवं पेय पदार्थों को कितना विषैला और प्राणघातक बना रही है?
खाद्य एवं पेय पदार्थों में मिलावट एक बेहद गंभीर अपराध है जिसके लिए कठोरतम दण्ड का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि यह मिलावट मानव में अनेक विकार उत्पन्न करने का कारक तो है ही साथ यह हृदय, लीवर, किडनी और आंखों की घातक बीमारियों का स्रोत भी है। सीधे-सादे शब्दों में इसे धीमा ज़हर कहना ही उपयुक्त है जो कभी भी जनहानि का कारण बन जाता है।एक मिलावटखोर कुछ धन के लाभ के लिए किसी भी अनैतिक सीमा को स्पर्श करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाता। लालच उसके विवेक को निगल जाता है और उसकी यह विवेकहीनता कितने ही निरपराधों की मृत्यु का कारण बन जाती है।
आम दिनों में मिलावट का जो लाभदायक कारोबार सामान्य गति से चलता है वह त्योहारों के समय और शादी-ब्याह के काल में चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ जाता है। ऐसी अवस्था में एक जागरूक, संवेदनशील, कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार सोच ही समाज को मिलावट के मकड़जाल से मुक्त रखने में सहायक हो सकती है ।
पवित्र रक्षाबंधन एवं जन्माष्टमी के पावन पर्व पर नकली एवं मिलावटी खाद्य एवं पेय पदार्थों से बचना बहुत ही मुश्किल भरा काम है; विशेषकर दुग्ध उत्पादन और उससे संबद्ध खोवा, पनीर, दूध, दही, मिठाई, घी आदि से। शहर की गली गली में नकली खोवा, नकली पनीर, नकली चर्बी वाला देसी घी, सिंथेटिक दूध आदि दुकानों की भरमार हो गई है। खाद्य एवं पेय पदार्थों की गुणवत्ता को पूर्णतः संरक्षित रखना और उनमें होने वाली किसी भी प्रकार की मिलावट के विरूद्ध प्रहारक सोच उनके व्यक्तित्व वाला ईमानदार कर्मठ लगनशील खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग में अधिकारी ही मिलावटखोरी को रेखांकित करने में पूर्णतः सक्षम हो सकता है। इसका जनपद अलीगढ़ सहित समस्त उत्तर प्रदेश में अभाव दिखाई दे रहा है । मिलावट एक अक्षम्य गंभीर सामाजिक अपराध है जिसका उन्मूलन अति आवश्यक है जिसके लिए मिलावटखोरी के विरुद्ध एक ईमानदार,प्रहारक पहल जरूरी है।