वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर बताया कैसे करें स्ट्रोक से बचाव

निशंक न्यूज

कानपुर। वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर बुधवार को शहर के प्रमुख डाक्टरों ने लोगों को स्ट्रोक के प्रति जागरूक किया। आईएमए हाल में पत्रकार वार्ता कर डाक्टरों ने बताया कि स्ट्रोक के क्या लक्षण हैं और इसका कैसे बचाव किया जा सकता है। पत्रकार वार्ता को आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा, डॉ शालिनी मोहन सचिव आईएमए कानपुर, डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नोज, डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर, डॉ निखिल साहू इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर एवं डॉ दीपक श्रीवास्तव, वैज्ञानिक सचिव आईएमए कानपुर, ने संबोधित किया।

ब्रेन स्ट्रोक के 15 फीसद मामले 15 से 49 वर्ष में

आई०एम०ए० कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस बीमारी की गम्भीरता के विषय में बताया कि हर साल लगभग 1.2 करोड़ नए स्ट्रोक होते हैं। वैश्विक स्तर पर, 25 वर्ष से अधिक आयु के चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होगा। हर साल, लगभग 15% स्ट्रोक 15-49 वर्ष की आयु के लोगों में होते हैं।

हृदय रोग के बाद सबसे ज्यादा मौत ब्रेन स्ट्रोक से

डॉ. नवनीत कुमार, सीनियर कंसल्टेंट न्यूर लॉजिस्ट एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर एवं राजकीय मेडिकल कॉलेज, कन्नौज, ने बताया कि आज ब्रेन स्ट्रोक दिवस है। और ब्रेन स्ट्रोक दुनिया में हृदय रोग से खत्म होने वाले रोग के बाद विश्व में मृत्यु दर में दूसरे नंबर पर है। हमारे देश में हृदय रोग के बारे में काफी जागरुकता है। लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों की जानकारी के अभाव में ब्रेन स्ट्रोक को जल्दी नहीं पहचाना जाता है। इसमें समस्या यह है कि यदि रोगी को या उसके परिवार को यह जानकारी हो जाए कि व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है तो वह तुरंत अस्पताल पहुंच कर वह तुरंत अपना इलाज करा सकता हैं। स्ट्रोक के कुछ रोगियों में TPA नामक दवा शुरू के 4:30 घंटे में दी जाती है जिससे उसका स्ट्रोक ठीक हो जाता है। इसे करने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर सिटी स्कैन की सुविधा और 24 घंटे की देखभाल की सुविधा होनी चाहिए।

देश में लगभग एक करोड़ हैं ब्रेन स्ट्रोक के मरीज

हमारे देश में इस समय लगभग एक करोड़ रोगी इस बीमारी से ग्रसित हैं और लगभग 12 लाख रोगी प्रतिवर्ष स्ट्रोक से ग्रसित होते है (रेफरल 2019) इसमें लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति हॉस्पिटल भी नहीं पहुंच पाते हैं और लगभग 25 प्रतिशत व्यक्ति एक महीने में खत्म हो जाते हैं और 25 प्रतिशत व्यक्ति विकलांगता का शिकार हो जाते हैं और बचे हुए 25 प्रतिशत रोगी समानता ठीक हो जाते हैं। इस प्रकार ब्रेन स्ट्रोक भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि की तरह ही महाबिमारी है और इस बीमारी के बारे में जागरूकता होना अत्यंत आवश्यक है। आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में प्रति एक मिनट में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

स्ट्रोक के बाद होती है नेत्र की समस्या

आई०एम०ए० कानपुर की सचिव डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि स्ट्रोक के बाद दृश्य समस्या के चार मुख्य प्रकार हैं: दृष्टि या दृश्य क्षेत्र की हानि, जिसमें आपकी दृष्टि के कुछ क्षेत्र धुंधले या गायब होते हैं। नेत्र गति की समस्याएँ, जिसमें आपको अपनी आँखों को के द्रित करने और गति देने वाली मांसपेशियों के तंत्रिका नियंत्रण में परेशानी होती है। डॉ. कुणाल सहाय, वरिष्ठ फिजिशियन, कानपुर ने स्ट्रोक के प्रकार के बारे मे बताया कि इस तरह के स्ट्रोक बहुत सामान्य है 80 प्रतिशत इसमें रक्त वाहिकाओं में खून जमने से ब्रेन को ब्लड नहीं पहुंच पाता है और उसको स्ट्रोक हो जाता है।

स्ट्रोक के कारण

1 हाई ब्लड प्रेशर, 2 डायबिटीज, 3 हृदय के रोग, 4 खून के अंदर लिपिड (फैट) का बढ़ना, 5 हाई यूरिक एसिड, 6 स्मोकिंग (धूम्रपान), 7 व्यायाम की कमी, 8 फैमिली हिस्ट्री।

स्ट्रोक की समस्या के लक्षण

अचानक चलने में दिक्कत

-आंख की रोशनी में असर

– चेहरे का तिरछापन

– हाथ में कमजोरी

– आवाज में अचानक परिवर्तन

– समय

डॉ निखिल साहू, इंचार्ज स्ट्रोक यूनिट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर ने स्ट्रोक को जनमानस को सुझाव के बारे में बताया कि

1 लक्षणों को याद रखें एवं तुरंत पहचाने ।

2 तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में सिफ्ट करें ।

3 उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करें ।

4 नियमित जीवन शैली को प्राथमिकता दें।

5 अपना बीएमआर 25 से कम रखें और वेस्ट का साइज 100 सेंटीमीटर या 40 इंच से कम रखना आवश्यक है। इस अवसर पर आईएमए कानपुर के वैज्ञानिक सचिव डॉ दीपक श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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