आलोक ठाकुर
कानपुर। पूरे देश में रोशनी का पर्व दीपावली सोमवार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है तो पटाखे जलाने का भी रिवाज है। दीपावली पर घरों में पूजन करने का शुभ मुहूर्त शाम को है और दिन में कार्यालय तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में पूजा की जाएगी। पूजा विधिवत हो और इसका पूजन करने वाले को बेहतर लाभ मिले इसके लिये कुछ जरूरी जानकारी ज्योषिष सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य पवन तिवारी ने साझा की। साथ ही पटाखे छुड़ाते समय अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो पीड़ित को क्या करना चाहिये इस बात की जानकारी दी कानपुर के सीएमओ डाक्टर हरिदत्त नेमी ने। इनके द्वारा बताई गई जानकारियों का पालन करने से यह त्योहार और बेहतर व खुशी के साथ मनाया जा सकता है।
रात में मनाया जाने वाला पर्व है दीपावली
दीपावली का पर्व कार्तिक माह की अमावस्या की रात को मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या की रात में ही माता लक्ष्मी की पूजा होती है। यह रात में मनाए जाने वाला पर्व है।
मुख्य दीपावली: लक्ष्मी जी का स्वागत
पांच दिन के इस महापर्व के तीसरे दिन दीपावली मनाई जाती है। इस दिन रोशनी, उत्साह और श्रद्धा का चरम होता है। माना जाता है कि इसी रात भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, और उनके स्वागत में नगर दीपों से जगमग हो उठा था।तभी से हर वर्ष अमावस्या की यह रात्रि प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है। पूजा से पहले घर की सफाई और सजावट को विशेष महत्व दिया जाता है।“जहाँ स्वच्छता, वहाँ लक्ष्मी का वास” यही लोकविश्वास है।
पूजा विधि:

चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश-लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें। कलश में गंगाजल भरें, उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें। पहले गणेश जी की, फिर लक्ष्मी जी की पूजा करें। मां लक्ष्मी को चावल, मिठाई, सुगंध, पुष्प अर्पित करें तो बेहतर होगा । दीप जलाकर “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद आरती करें और दीपों को घर, बालकनी और आँगन में सजाएँ।
कार्तिक अमावस्या तिथि:-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर बाद 03:44 बजे से प्रारंभ।
अमावस्या तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे समाप्त।

कुछ त्योहार दिन में और कुछ त्योहार रात में मनाने का शास्त्र नियम है। परंपरा से दीपावली अमावस्या तिथि की रात को मनाते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, जब अमावस्या तिथि का संपूर्ण प्रभाव 20 अक्टूबर को है, तो उस दिन दिवाली मनाना अधिक शुभ और फलदायी होगा। यह दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उत्तम है। इसी दिन निशीथ काल मुहूर्त भी रहेगी। क्योंकि अगले दिन अर्थात 21 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि नहीं रहेगी।
20 अक्टूबर 2025 दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त:-
रूप चौदस का स्नान मुहूर्त:- प्रात: 04:46 से 06:25 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त:-सुबह 11:48 से 12:34 तक।
विजयी मुहूर्त:- दोपहर 02:07 से 02:53 तक।
गोधुली मुहूर्त:- शाम 05:57 से 06:22 तक।
संध्या पूजा:- शाम 05:57 से 07:12 तक।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 से रात्रि 08:27 के बीच।
प्रदोष काल- शाम 05:57 से 08:27 के बीच।
वृषभ काल- रात्रि 07:23 से 09:22 के बीच।
निशीथ काल पूजा:- रात्रि 11:47 से 12:36 तक।
20 अक्टूबर 2025 चौघड़िया मुहूर्त:-
अमृत:- प्रात: 06:25 से 07:52 तक।
शुभ:- सुबह 09:18 से 10:45 तक।
लाभ:- दोपहर बाद 03:04 से 04:31 तक।
अमृत:- शाम 04:31 से 05:57 तक।
चर:- शाम 05:57 से रात्रि 07:31 तक।
लाभ:- मध्यरात्रि 10:38 से 12:11 तक।
नोट:- मुहूर्त और चौघड़िया के समय में 2 से 5 मिनट की घट-बढ़ रहती है। राहुकाल सुबह 07:52 से 09:18 के बीच रहेगा। इस समय कोई कार्य न करें।
ऐसे करें पटाखों से बचाव

कानपुर। दीपावली के दिन पटाखों से किसी को नुकसान न हो इसके लिये स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी की है। सभी चिकित्सक सीएचसी व पीएचसी में भी सतर्क रहेंगे।
कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर हरि दत्तनेमी ने बताया कि दीपावली का पर्व मनाया जायेगा, जिसमें बाजारों में अत्यधिक भीड़ रहती है तथा घरों व मैदानों में पटाके व आतिशबाजी छुडाई जाती है तथा दीपावली वाले दिन जनसमुदाय घरों में, प्रतिष्ठानों में दीप व मोमबत्ती आदि जलाते हैं, जिससे आग लगने व घायल होने की सम्भावना बनी रहती है। चिकित्सा व्यवस्था के दृष्टिगत कमशः यू०एच०एम० में 20 पलंग, एल०एल०आर० में 30 पलंग, के०पी०एम० में 10 पलंग व मां०कांशीराम चिकित्सालय 10 पलंग एवं सीएचसी पर 5-5 बेड आरक्षित रखे गये हैं तथा बर्न वार्ड को आवश्यक उपकरण / दवाओं आदि से सुसज्जित रखने, विशेषकर बर्न व ऑख की दवाओं की उचित व्यवस्था आकस्मिक कक्ष / वार्डों में रखते हुये सर्जन व नेत्र शल्यक को रिजर्व ड्यूटी पर रखने हेतु व्यवस्था की गयी है।
पटाखों से जल जाने पर तत्काल सावधानियां बरतें
सीएमओ का कहना है कि पटाखे से जल जाने पर रोगी के जले हुए पार्ट को रनिंग वाटर से धोए एवं हल्के ठण्डे पानी में धो सकते हैं बर्फ से सिकाई न करें।
उन्होंने कहा कि. जल जाने/घायल होने पर उपचार हेतु अपने निकटतम चिकित्सा इकाई पर 24×7 जैसे ब्लाक स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (बिल्हौर, ककवन, शिवराजपुर, चौबेपुर, कल्याणपुर, सरसौल, बिधनू, भीतरगाँव, पतारा, घाटमपुर) एवं शहरी क्षेत्र में एल०एल०आर० चिकित्सालय, यू०एच०एम० चिकित्सालय, मा०कांशीराम चिकित्सालय एवं के०पी०एम० चिकित्सालय में 108 अथवा 102 एम्बूलेंस सेवा से चिकित्सालय पहुंचकर तत्काल उपचार कराएं।