पर्यटन के मानचित्र पर लाए जाएंगे कानपुर के ऐतिहासिक स्थल

वेद गुप्ता

कानपुर। कानपुर की सांस्कृतिक विरासत विश्व के मानचित्र पर लाया जाएगा। यहां के स्थलों को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिये जिला प्रशासन स्तर पर प्रयास किये जाएंगे। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को घाटमपुर भीतरगांव क्षेत्र में स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर तथा गुप्तकाल के मंदिर का भ्रमण कर यहां की विशेषताओं को जाना। जगन्नाथ मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों से मानसून की स्थिति की आंकलन किया जाता है जबकि गुप्तकाल के मंदिर की दीवारें व इनपर उकेरे गए सैंकड़ों साल बीतने के बाद भी लोगों को आकर्षित करते हैं।

परिषदीय स्कूलों के बच्चों को कराया जाएगा शैक्षणिक भ्रमण

यहां की सांस्कृतिक विरासत देखने के बाद फिलहाल तय किया गया कि परिषदीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को अब यहां की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से सीधे जोड़ा जाएगा ताकि वह कुछ सीख सकें जो भविष्य में उनके काम आ सकेगा। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि कानपुर नगर सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध जिला है, जिसे भारत के प्राचीनतम नगरों में गिना जा सकता है। यहां मौजूद मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को शैक्षणिक टूर पर लेकर जाया जाएगा।

डीएम ने जानी जगन्नाथ मंदिर की ऐतिहासिक महत्ता

पुजारी से प्राचीन जगन्नाथ मंदिर की महत्ता की जानकारी लेते जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह।

जिलाधिकारी आज भीतरगांव ब्लॉक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित दो प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के निरीक्षण पर थे। सबसे पहले वह बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित प्राचीन श्रीजगन्नाथ मंदिर पहुंचे। मंदिर की भव्यता और उसकी ऐतिहासिक महत्ता के विषय मे जिलाधिकारी ने जानकारी प्राप्त की। मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर लगा मानसूनी पत्थर भी उनके आकर्षण का केंद्र रहा। कहा जाता है कि इस पत्थर से टपकने वाली बूंदों के आधार पर बारिश का पूर्वानुमान लगाया जाता है। मंदिर के पुजारी ने मंदिर के इतिहास और परंपरा के बारे में बताया।

घाटमपुर में हैं प्राचीन जगन्नाथ व गुप्त कालीन मंदिर

कानपुर के ऐतिहासिक मंदिरों के भ्रमण के बाद जानकारी देते डीएम कानपुर जितेंद्र प्रताप सिंह।

इसके पश्चात डीएम ने भीतरगांव कस्बे में स्थित प्राचीन गुप्तकालीन मंदिर देखने पहुंचे। गौरततब है कि यह स्थल गुप्तकाल की अमूल्य धरोहर हैं, जिनकी निर्माण शैली, विशेषकर टेराकोटा मूर्तिकला और ईंटों का शिल्प, आज भी 1600 वर्षों के उपरांत सुरक्षित और प्रभावशाली रूप में विद्यमान है। यह न केवल जनपद कानपुर की ऐतिहासिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह सिद्ध करता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र रहा है और यह केवल औद्योगिक पहचान तक सीमित नहीं है।

पर्यटन के मानचित्र पर लाए जाएंगे यह मंदिर

निरीक्षण के बाद जिलाधिकारी ने कहा कि भीतरगांव क्षेत्र ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध है और इसे पर्यटन मानचित्र पर लाने की दिशा में प्रयास तेज किए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि यहां की विरासत को जनमानस से जोड़ने और बच्चों को इसका सजीव परिचय देने के लिए प्रशासनिक स्तर पर हर संभव कदम उठाया जाएगा।

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