धर्मनिरपेक्ष बकवास व संविधान के साथ अन्याय और पापः साक्षी महराज

आलोक ठाकुर

उन्नाव। प्रमुख धर्माचार्य व भाजपा के वरिष्ठ सांसद साक्षी महाराज का कहना है कि धर्मनिर्पेक्ष कोई हो ही नहीं सकता यह शव्द बकवास है संविधान के साथ अन्याय के साथ ही पाप भी। उनका कहना है कि सपा की पूरी राजनीति जातिवाद व तुष्टीकरण के दो खंभों पर टिकी है। उन्होंने कहा कि इटावा में छद्मवेष में दो लोगों ने भागवत कथा की बात कही उन्होंने दो आधार कार्ड बनवा रखे थे एक में ब्राह्मण लिखा था और एक में यादव जो अपराध है।

साक्षी महाराज ने कहा कोई भी व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता

उन्नाव स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए सांसद व धर्माचार्य साक्षी महाराज ने साफ शब्दों में कहा कि “कोई भी व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता। अगर कोई ऐसा कहता है, तो वह बकवास कर रहा है।” उन्होंने संविधान से ‘सेकुलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की वकालत करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया है और इन शब्दों को जोड़ना देश के साथ अन्याय है। उन्होंने इसे “पाप” करार देते हुए तर्क दिया कि जैसे आंख का धर्म देखना है, कान का सुनना, अग्नि का जलना, वैसे ही इंसान का धर्म भी स्थायी होता है, जिसे बदला नहीं जा सकता। साक्षी महाराज ने खुद को धर्माचार्य बताते हुए कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा विद्वान भी उनसे बहस कर ले, लेकिन धर्मनिरपेक्षता का तर्क नहीं जीत सकता। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में आने से पहले भी धर्मनिरपेक्षता के विरोध में थे और आज भी उसी विचारधारा पर कायम हैं। उनके मुताबिक, धर्मनिरपेक्ष शब्द देश को बर्बादी की ओर ले जाने वाला है।

कथा वाचक का दो आधार कार्ड बनवाना अपराध

इटावा में कथावाचक के साथ अभद्रता को लेकर पूछे गए सवाल में भाजपा सांसद ने कहा कि उन्होंने इटावा प्रकरण का बहुत गहनता से अध्यन किया। इटावा में कथावाचक के फर्जी पहचान पत्र के मामले पर भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह व्यक्ति एक आधार कार्ड में ब्राह्मण, तो दूसरे में यादव है। यह अपराध है। क्या यह रोहिंग्या है? क्या यह आतंकवादी है जो पहचान छिपाकर रह रहा है?” साक्षी महाराज ने अखिलेश यादव पर जातिवाद का जहर फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की राजनीति सिर्फ जाति और तुष्टीकरण के दो खंभों पर टिकी है वह जाति व धर्म की ही राजनीति करते हैं सपा की राजनीति धर्म के नाम पर भ्रम फैलाने की है। रावण और राम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि रावण ब्राह्मण था और राम ठाकुर। लेकिन रावण की पूजा नहीं होती, क्योंकि उसने छल किया। उन्होंने कहा, “देश में पूजा गुणों की होती है, जाति की नहीं।”

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