निशंक न्यूज।
कानपुर।
कल यानी 26 सिंतबर को बुढ़वा मंगल का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण अपने भगवान बजरंगबली बाबा को बड़े श्रद्धा भाव से पूजते हैं। मंदिरों में अपार भीड़ जुटती है। घरों में भी पवनपुत्र की पूजा अर्चना होती है। आज दिन भर मंदिरों में त्योहार की तैयारियां चलती रहीं। इसी क्रम में कानपुर के विख्यात पनकी मंदिर में भी त्योहार की उमंग दिखी। कुछ लोग बुढ़वा मंगल पर अंजनी के लाला का जन्मोत्सव भी मनाते हैं। इस भ्रम को दूर किया पनकी मंदिर के महंत पूज्य जीतेंद्र दास जी ने। आइये आप भी जानिये कि क्यों मनाया जाता है बुढ़वा मंगल का त्योहार।
महंत जीतेंद्र दास जी ने बताया कि द्वापर युग में इस दिन हनुमान जी ने भीम को शिक्षा दी थी, क्योंकि भीम को अपने बल का अहंकार हो गया था। इसके लिए केसरीनंदन ने वृद्ध वानर का रूप धारण किया और उसी मार्ग पर अपनी पूंछ फैलाकर बैठ गए, जिससे भीम आ रहे थे। भीम ने वानर से पूंछ को रास्ते से हटाने को कहा तो बाबा बजरंगबली ने उनसे कहा- मैं तो वृद्ध हूं, हिला-डुला भी नहीं जा रहा है। तुम स्वयं पूंछ हटा दो। भीम अपना पूरा बल लगाने के बाद भी पूंछ को हिला तक न सके। इस पर उन्हें विश्वास हो गया कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। उन्होंने वितनी कर पूछा कि आप कौन हैं। प्रभु ने प्रकट होकर भीम को दर्शन दिए। इस तरह भीम का अहंकार नष्ट किया। चूंकि भीम को शिक्षा देने के लिए पवनपुत्र ने बूढ़ वानर का वेष धारण किया था, इसलिए इस दिन उनके वृद्ध स्वरूप की पूजा होती है और भादौं के आखिरी मंगल को बुढ़वा मंगल का नाम दिया गया।