आचार्य पवन तिवारी
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान
पंचांग के अनुसार, इस साल भाई दूज का पार्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भारत में भाई-बहन का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता है सावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन के बाद कार्तिक मास में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन भाई दूज का होता है इसे भैया दूज या यम द्वितीया भी कहा जाता है इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं वहीं भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा का वचन देता है
भाई दूज 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, को सायं 06बजकर 18 मिनट पर होगी वहीं, द्वितीया तिथि की समाप्ति 23 अक्टूबर 2025 को रात 08 बजकर 23 मिनट पर होगा ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा इस शुभ समय में बहनें अपने भाइयों का तिलक कर सकती हैं
भाई दूज केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पौराणिक मान्यताओं से भी जुड़ा है मान्यता है कि कार्तिक मास की द्वितीया तिथि पर मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने पहुंचे थे यमुनाजी ने उनका विधिवत स्वागत किया माथे पर तिलक लगाया और भोजन कराया तब बहन के प्रेम से प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि इस दिन बहन के घर जाकर तिलक करवाने वाले भाइयों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा तभी से इस पर्व को यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से जाना जाता है।
भाई दूज पूजा और तिलक विधि
भाई दूज पर तिलक की परंपरा विशेष महत्व रखती है इस दिन बहन सबसे पहले पूजा की थाली सजाती है उसमें दीपक, रोली, अक्षत, हल्दी, मिठाई, सुपारी, सूखा नारियल और मौली धागा रखना चाहिए भाई को उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बैठाना शुभ माना जाता है बहनें भाई के माथे पर रोली या केसर से तिलक करती हैं इसके बाद आरती उतारी जाती है और भाई को मिठाई खिलाई जाती है भाई दूज की रस्म पूरी होने के बाद अपनी बहन की आजीवन रक्षा का वचन करता है।