वेद गुप्ता
ग्रहण में घर-घर के और शहरों के हर छोटे से लेकर बड़े मंदिर तक बंद हो जाते हैं, लेकिन देश के 4 मंदिर हैं जो ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं और यहां इस दौरान भी पूजा-पाठ चलता रहता है।
रविवार 7 सितंबर को साल का पहला और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा, जिसे भारत के कुछ इलाकों में देख सकते हैं। ग्रंथों में ग्रहण लगने की घटना को अशुभ माना जाता है, इस समय पूजा-पाठ भी नहीं करते और मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के नियम सूतक काल से ही शुरू हो जाते हैं। चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। ऐसे में सूतक काल से ही पूजा पाठ नहीं होते और मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।
ज्योतिष सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य पवन तिवारी का कहना है कि देश में ऐसे 4 मंदिर हैं जो ग्रहण के दौरान बंद नहीं होते इन मंदिरों में ग्रहण के दौरान पूजा की जाती है। ऐसा इसलिये होता है ताकि आम लोगों को ग्रहण के प्रभाव से बचाया जा सके।

१- विष्णुपद मंदिर, गया
ये मंदिर विष्णुपद मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो कि एक पिंडदान स्थल भी है और बिहार के गया में मौजूद है। मंदिर के सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय भी कपाट खुले रहते हैं। विष्णुपद मंदिर में ग्रहण के समय इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। यहां ग्रहण के समय पिंडदान करना शुभ मानते हैं। विष्णुपद मंदिर के कपाट सूतक काल में बंद नहीं किए जाते बल्कि इस समय सनातन धर्म को मानने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर में खास रूप से अपने पितरों के लिए पिंडदान कर विष्णु चरण पर अर्पित करते हैं।
२- महाकाल मंदिर, उज्जैन
अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर उज्जैन का महाकाल मंदिर भी ग्रहण के समय खुला रहता है। ग्रहण काल में मंदिर के दर्शन करने पर भक्तों को किसी भी तरह की मनाही नहीं होती और ना ही मंदिर के कपाट बंद होते हैं। हालांकि पूजा-पाठ और आरती के समय में अंतर रहता है। ग्रहण लगने पर आरती का समय बदल दिया जाता है।
३- लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर
सूतक काल में भी खुला रहने वाला मंदिर लक्ष्मीनाथ मंदिर भी है, इस मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, एक बार सूतक लगने के बाद पुजारी जी ने मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे। उस दिन भगवान की पूजा नहीं हुई थी और ना किसी भी तरह के भोग चढ़ाए गए थे।
मान्यता है लक्ष्मीनाथ ने बालक का रूप धारण कर लिया था, और उस रात मंदिर के सामने हलवाई की दुकान पर एक दूकानदार से कहा मुझे भूख लगी है। बालक ने हलवाई को एक पाजेब देकर प्रसाद ले लिया। हलवाई ने भी पाजेब लेकर उस लड़के को प्रसाद दे दिया। अगले दिन उस मंदिर से पदचिह्न गायब थे। तब हलवाई ने पुजारी को सारी बात बताई। तब से लेकर अब तक किसी भी ग्रहण पर मंदिर के कपाट नहीं बंद होते हैं और ना ही पूजा-पाठ बंद किया जाते हैं।
४- तिरुवरप्पु कृष्ण मंदिर, केरल
ग्रहण के समय भी खुला रहने वाला एक ऐसा श्री कृष्ण मंदिर केरल के कोट्टायम जिले में मौजूद तिरुवरप्पु कृष्ण मंदिर है। इस अनोखे मंदिर में ग्रहण के समय भी पूजा-अनुष्ठान जारी रहते हैं। क्योंकि ग्रहण के समय मंदिर बंद करने पर भगवान कृष्ण की मूर्ती पतली हो जाती है, एक बार जब ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे, अगली सुबह मूर्ती दुबली हो गई और उसकी कमर की पट्टी नीचे खिसक गई थी। बताते हैं, भूख की वजह से भगवान पतले हो गए थे। तब से, मंदिर में ग्रहण के दौरान भी कपाट बंद नहीं होते और पूजा-पाठ भी जारी रहता है।