देव पर्वों की श्रंखला शुरू जाने कैसे करें पूजा अर्चना

वेद गुप्ता

कानपुर। दीपावली के महापर्व का उल्लास अभी कम भी नहीं पड़ पाया था कि त्योहारों की एक और श्रंखला आ गई चार दिन के त्योहारों की इस श्रंखला को लेकर घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। लोगों में इन त्योहारों को लेकर उत्साह है आने वाले दिनों में कार्तिक माह के चार प्रमुख पर्व अक्षय नवमी देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह और कार्तिक पूर्णिमा। इन त्योहारों को लेकर घर घर तैयारी की जा रही कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों लोग गंगा स्नान करते हैं इसके चलते प्रमुख गंगा घाटों पर प्रशासन द्वारा भी तैयारी की जा रही है। घाटों से लेकर घरों की तुलसी चौकियों तक को सजाया जा रहा है। कई स्थानों पर तुलसी विवाह करने की तैयारी है। इन त्योहारों में अक्षय नवमी के मुहूर्त को लेकर भ्रम रहा उदया तिथि के हिसाब से त्योहार बनाने वाले शुक्रवार को भी अक्षय नवमी मनाएंगे कई लोगों ने आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा तथा भोजन करने के समय मुहूर्त होने के कारण गुरुवार को भी इस त्योहार को मनाया। त्योहारों की इस श्रंखला में किस दिन कौन सा पर्व पड़ रहा है और इसमें कैसे पूजा की जाएगी। इसकी जानकारी देना भी निशंक न्यूज की जिम्मेदारी है और इस खबर में यहीं जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

देवउठनी एकादशी एक नवंबर शनिवार

भगवान विष्णु के जागने का पर्व, शुभ कार्यों की होगी शुरुआत

तिथि और मुहूर्त:

ज्योतिष सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य पंडित पवन तिवारी का कहना है कि इस वर्ष देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी 1 नवंबर (शनिवार) को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 1 नवंबर की सुबह से शुरू होकर 2 नवंबर (रविवार) की सुबह तक रहेगी। पारणा (उपवास तोड़ने) का शुभ समय 2 नवंबर की सुबह होगा।

इस पर्व का महत्व:

चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन क्षीरसागर से जागते हैं। इसे ही ‘देवोत्थान’ या ‘देवउठनी’ कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जब भघवान विष्णु जागते हैं, तब विवाह और सभी शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत की जाती है। इसी दिन से चातुर्मास का समापन भी होता है।

कानपुर में श्रद्धा का स्वरूप:

नवाबगंज, किदवई नगर और स्वरूप नगर के मंदिरों में विशेष ‘शयन से जागरण’ आरती होगी। भक्त घरों में पीले वस्त्रों में सजे भगवान विष्णु को चंदन, तुलसी पत्र, पुष्प, दीपक और फल अर्पित करेंगे। कई परिवार रातभर भजन-कीर्तन का आयोजन भी करेंगे।

पूजा विधि:

• स्नान के बाद भगवान विष्णु के समक्ष संकल्प लें कि “मैं देवउठनी एकादशी का व्रत कर रहा/रही हूँ।”

• तुलसी पौधे की पूजा करें, दीपक जलाएँ।

• पूरे दिन अनाज-दाल न खाएँ, केवल फल या दूध लें।

• रात्रि में ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।

• अगले दिन ब्राह्मण या जरूरतमंदों को अन्न-दान करें।

तुलसी विवाह 2 नवंबर रविवार

जब देवी तुलसी का विवाह विष्णु से होता है

तिथि और मुहूर्त:

इस बार तुलसी विवाह 2 नवंबर (रविवार) को मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि सुबह 7:31 बजे से प्रारंभ होगी।

धार्मिक कथा और महत्व:

देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह होता है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना गया है, जिनका विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप से होता है। यह विवाह प्रतीक है उस क्षण का जब सृष्टि में शुभता और मंगल कार्यों का पुनर्जन्म होता है।

कानपुर में परंपरा:

कानपुर के घरों में तुलसी चौकियों को सजा-संवारा जा रहा है। कई घरों में गन्ने से मंडप बनाया जा रहा है। तुलसी को लाल साड़ी, चुनरी, बिंदी और गहनों से सजाया जाएगा जबकि शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा को पीले वस्त्रों से अलंकृत किया जाएगा।

विवाह की विधि:

1. शाम को तुलसी और शालिग्राम का मंडप तैयार करें।

2. तुलसी को वरमाला पहनाएँ और शालिग्राम को वधू की माला पहनाएँ।

3. लाल चुनरी और पीला वस्त्र गाथबंधन के रूप में बाँधें।

4. हल्दी-कुमकुम, अक्षत, पुष्प और मिठाई से पूजन करें।

5. विवाह के बाद आरती करें और प्रसाद बाँटें।

यह दिन विशेष रूप से कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। जो महिला इस दिन तुलसी-विष्णु विवाह का पूजन करती है, उसके घर में सौभाग्य और शांति बनी रहती है।

कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर बुधवार

— गंगा स्नान और दीपदान का महापर्व

तिथि और मुहूर्त:

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर (बुधवार)** को है। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर रात 10:36 से शुरू होकर 5 नवंबर शाम 6:48 तक रहेगी। गंगा स्नान का शुभ समय प्रातः 4:52 से 5:44 बजे तक रहेगा।

महत्व:

कार्तिक पूर्णिमा को ‘देव दीपावली’ भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन देवता स्वयं गंगा में स्नान करने पृथ्वी पर उतरते हैं। काशी में यह पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है और अब कानपुर के घाटों पर भी वही उत्साह देखा जाता है।

कानपुर में आयोजन:

गंगा बैराज, मेग्जीन घाट, परमट घाट, सरसैय्या घाट, बिठूर, खेरेश्वर घाट, भगवत दास घाट आदि पर प्रशासन की ओर से विशेष स्नान व्यवस्था की जा रही है। गंगा तट पर दीपदान, आरती और भजन-संध्या के कार्यक्रम होंगे। पुलिस ने स्नान वाले इन घाटों पर गोताखोर तथा नाविकों की भी तैनाती की है ताकि गंगा स्नान करने के दौरान किसी भक्त को कोई दिक्कत न होने पाए।

इस पर्व पर पूजा विधि:

• सूर्योदय से पहले स्नान करें।

• भगवान विष्णु और शिव का पूजन करें।

• घर के द्वार और छतों पर दीपक जलाएँ।

• जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और पुस्तकें दान करें।

संक्षेप में

पर्व तिथि मुख्य विधि महत्व

देवउठनी एकादशी 1 नवंबर (शनिवार) विष्णु पूजा, व्रत, तुलसी अर्चना विष्णु जागरण और शुभ कार्यों की शुरुआत

तुलसी विवाह 2 नवंबर (रविवार) तुलसी-शालिग्राम विवाह, मंडप सज्जा विवाह एवं शुभ कार्यों का आरंभ

कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर (बुधवार) गंगा स्नान, दीपदान, दान-पुण्य देव दीपावली, पवित्रता और पुण्य प्राप्ति

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