निशंक न्यूज डेस्क
कानपुर।
देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। वह दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के रूप में इन्होंने सक्रिय राजनीति में बड़ी पहचान बनाई। इसके बाद इनको झारखंड का राज्यपाल भी बनाया गया।राजनीति के जानकारों की मानी जाए तो राधाकृष्णन संगठन और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को इलेक्टोरल कॉलेज के 452 वोट मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी 300 वोट पा सके।
भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के रह चुके हैं सदस्य
सीपी राधाकृष्णन चार दशक से अधिक समय से राजनीति और सामाजिक जीवन में सक्रिय रहे हैं और उन्हें तमिलनाडु की राजनीति का सम्मानित चेहरा माना जाता है। ऐसे में आइए एक नजर इनके राजनीतिक सफर पर डालते हैं। सीपी राधाकृष्णन का जन्म 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में हुआ। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई की। उनका राजनीतिक सफर आरएसएस से शुरू हुआ। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। ये ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आते हैं। इनकी पत्नी का नाम आर. सुमति है।
शेयर घोटाले की जांच करने वाली समिति में भी रहे थे राधाकृष्णन
वहीं, साल 1996 में इनको भाजपा तमिलनाडु का सचिव बनाया गया। इसके बाद 1998 में कोयंबटूर से ये पहली बार लोकसभा सांसद चुने गए और 1999 में फिर से जीत का परचम लहराया। साथ ही संसद में उन्होंने टेक्सटाइल पर स्थायी समिति के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया है। ये पीएसयू समिति, वित्त पर परामर्श समिति और शेयर बाजार घोटाले की जांच करने वाली विशेष समिति के सदस्य भी रहे हैं। साल 2004 में इन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को भारतीय संसदीय दल के हिस्से के रूप में संबोधित भी किया है। ये ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे।
मादक पदार्थ के खिलाफ चलाया था अभियान
2004 से 2007 तक वे भाजपा तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने 19,000 किलोमीटर लंबी रथयात्रा निकाली, जो 93 दिनों तक चली। इस यात्रा में उन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने, छुआछूत समाप्त करने और मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान जैसे मुद्दे उठाए। माना जाता है इस यात्रा से इनका राजनीतिक कद और बढ़ गया था। इसके अलावा उन्होंने दो पदयात्राएं भी कीं। 2016 से 2020 तक वे कोचीन स्थित कोयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में कोयर निर्यात 2532 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। 2020 से 2022 तक वे भाजपा के ऑल इंडिया प्रभारी रहे और उन्हें केरल का जिम्मा सौंपा गया।