अमित गुप्ता
कानपुर। खूब पैसा कमाया और ज्यादा पैसा कमाने के लिये फिल्म इंड्रस्टीज में हाथ अजमााया। ताजमहल फिल्म बनाई। फिल्म बनाने के साथ ही कानपुर में आलीशान गाड़ियों से धूमने लगा, फिल्म में ऐसा घाटा हुआ कि सारी शान-ओ- शौकत मिटने सी लगी लेकिन तब तक आलीशान जीवन जीने की आदत पड़ चुकी थी। इस लग्जरी लाइफ को जीने के लिये उसने लोगों को ठगना शुरू कर दिया। ई़डी भी पीछे लगी और सीबीआई भी। वह जेल भी गया लेकिन दिमाग इतना शातिर था कि वह इसके बाद मुकदमें तो कई दर्ज हुए लेकिन पुलिस को हर बार चकमा देने में सफल रहा के हाथ नहीं लग पाता था। इस बार बेकनगंज पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि वह पुलिस के जाल में फंस गया और पुलिस ने करोड़ों के ठगी के आरोपी ताजमहल फिल्म के निदेशक इरशाद आलम को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे कर दिया।
सरकारी जमीन को पैतृक बताकर लोगों को ठगा
बताया गया है कि कभी आलीशान जीव जीने वाले इरशाद आलम ने सरकारी जमीन को पैतृक जायदाद बताकर लोगों से सौदा करने का झांसा देकर करीब साढ़े तीन करोड़ की ठगी की थी। ठगी के इस आरोपी फिल्म निदेशक आरोपी इरशाद आलम को बेकनगंज पुलिस ने प्रयागराज से गिरफ्तार किया। पुलिस की चकमा देने के लिये यह शातिर इरशाद अपने अधिकांश मोबाइल फोन बंद करने के बाद प्रयागराज के जार्ज टाउन में होटल में छिपा था। पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो उसके पास सात मोबाइल फोन मिले लेकिन इसमें ज्यादातर फोन बंद थे। उसके कब्जे से सात मोबाइल, सोलह डेबिक-क्रेडिट कार्ड और करीब 25 हजार रुपए नगद बरामद हुए। होटल की पार्किंग में खड़ी उसकी कार को भी पुलिस ने कब्जे में ले लिया। इरशाद आलम के खिलाफ कानपुर के कई थानों में मुकदमें दर्ज हैं। इस फिल्म निदेशक को पहले भी सीबीआई और ईडी में दर्ज मुकदमों के कारण जेल जाना पड़ा था।
सर्विलांस के जरिए इस शातिर दिमाग तक पहुंच सकी पुलिस
बताया गया है कि पिछले दिनों इरशाद आलम के खिलाप साढ़े तीन करोड़ की ठगी का मुकमदा दर्ज किया गया था। इसके बाद बेकनगंज थाना प्रभारी मतीन ने इरशाद की तलाश में नवाबगंज के सिग्नेचर अपार्टमेंट में छापा मारा, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया, इधर सर्विलांस टीम के माध्यम से भी इस शातिर दिमाग की तलाश शुरू की गयी तो पता चला कि उसके अधिकांश मोबाइल फोन स्विच आफ आ रहे हैं। इस बीच बेकनगंज थाना प्रभारी मतीन को अपने मुखबिर तंत्र के माध्यम से इरशाद का बेहद गोपनीय मोबाइल फोन नंबर का पता चला। इस फोन को सर्विलांस पर लगाया गया तो मंगलवार की रात इरशाद को लोकेशन प्रयागराज में जार्ज टाउन में मिली। इसकी जानकारी मिलते ही बेकनगंज पुलिस ने बिना देर किये प्रयागराज जाकर वहां के होटल कासा द ग्रांड बुटिक के आसपास संजाल बिछाया। छानबीन में इरशाद के इस होटल में ही रुकने की पुष्टि होने पर पुलिस ने होटल में छापा मारकर होटल के कमरे से इरशाद को उसके साथी लखनऊ निवासी अनवर शेख उर्फ रेहान के साथ दबोचकर हिरासत में ले लिया। पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तारी के समय इरशाद के कब्जे से सात मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इसके अलावा विभिन्न बैंकों के 16 डेबिक-क्रेडिट कार्ड और 25 हजार रुपए नगद मिले हैं। होटल की पार्किंग से इरशाद की वैन्यू कार यूपी-78-एचआर-7404 को भी कब्जे में ले लिया गया है।
बीस साल पहले बनाई थी ताजमहल फिल्म
बताया गया है कि करीब बीस साल पहले ताजमहल फिल्म बनाने के बाद फिल्म बुरी तरह फ्लाप हुई तो इरशाद एक-एक पैसे के लिये परेशान रहने लगा लेकिन तब तक उसे लग्जरी लाइफ जीने की आदत पड़ चुकी थी। पैसे की तंगहाली के बाद इरशाद आलम ने आलीशान जीवन जीने के लिये जाजमऊ के गज्जूपुरवा मौजा की सरकारी जमीन के साथ-साथ पुश्तैनी जमींदारों की जमीन को कब्जा करने के बाद खुद को भूमि-मालिक बताकर तीन लोगों के साथ इस जमीन का सौदा कर ठगी की। इरशाद आलम के अब्बू ने अरसा पहले जाजमऊ के गज्जूपुरवा में तत्कालीन कब्जेदारों से दो बीघा जमीन हासिल करने के बाद टेनरी लगाई थी। इंतकाल के बाद इरशाद और उसके भाई सपा नेता मेहताब ने टेनरी चलाई, लेकिन बाद में पारिवारिक विवाद में टेनरी में ताला लग गया। मेहताब का इंतकाल हुआ और जमीन इरशाद के कब्जे में बनी रही। तफ्तीश में मालूम हुआ कि, कूटरचित दस्तावेजों के जरिए इरशाद खुद को दो बीघा से ज्यादा जमीन का मालिक बताता है, लेकिन सरकारी कागजात में उसके नाम उक्त रकबे में सिर्फ 50 गज जमीन दर्ज है। दस्तावेजों की गवाही है कि, इरशाद ने तीन लोगों से तीन करोड़ सत्तर लाख रुपए वसूले हैं, लेकिन गले में कानून का फंदा कसने पर दमदार पार्टी को 15 लाख रुपए वापस करने पड़े थे। सबसे ज्यादा रकम शोएब अंडे वाले से वसूली गई है।
अधिकारियो से भी बना ली थी नजदीकियां
पुलिस सूत्रों की मानी जाए तो ठगी करने वाले इरशाद आलम ने कुछ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने करीबी संबंध बना लिया थे। इरशाध के खिलाफ दर्ज कुछ मामलों की सीबीआई जांच कर रही है। ईडी में भी जांच चल रही है। सीबीआई ने एक बार इरशाद आलम को हिरासत में लिया था, लेकिन अन्य मामलों में संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी इन अधिकारियों से संबंध होने के कारण कानपुर पुलिस उसे गिरफ्तार करने से परहेज करती रही। इस बार मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस कमिश्नर की सख्ती के कारण इरशाद की दाल नहीं लगी और पुलिस ने इस शातिर दिमाग को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया।
