कुशाग्र अवस्थी
कानपुर। छठ पर्व बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से पूरे विश्व में मनाया जा रहा है वही कानपुर में भी लोग छठ पर्व बड़े ही आनंद और हर्षोल्लास से मना रहे है । सोमवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन भक्ति और आस्था के रंग में डूबा नजर आया। सोमवार की शाम को ढलते सूर्य को संध्या अर्घ्य देने के लिये लाखों श्रद्धालु कानपुर के विभिन्न घाटों पर एकत्र हो गये। यहां बज रहे धार्मिक गीत भक्ति के माहौल को और बेहतर बना रहे थे। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु महिलाओं ने 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ डूबते हुए सूर्य देव और छठी मैया को पहला अर्घ्य अर्पित किया। घाटों, तालाबों और घरों में बनाए गए कृत्रिम तालाबों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
पूजन का सामान सिर पर रखकर निकले श्रद्धालु

शहर के पनकी, बर्रा, गुजैनी, शास्त्री नगर और गंगाघाट क्षेत्रों में बने छठ घाटों पर सुबह से ही व्रती महिलाओं का तांता लगा रहा। सिर पर बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल और अन्य प्रसाद लेकर महिलाएं छठ गीतों और गाजे-बाजे के साथ घाटों की ओर निकलीं। पूरे मार्ग में भक्ति गीतों की गूंज और जयकारों से माहौल भक्तिमय बन गया।
क्यों लोग करते है छठ पूजा , क्या महत्व है छठ पूजा का।
छठ पूजा आमतौर पर औरतें अपनी संतान लड़को के लिए व्रत रखती है और लोग मन्नत मांगने के लिए भी छठ पूजा का व्रत रखते है । इस व्रत की काफ़ी मान्यता है । छठ व्रत में औरतें 36 घंटे का व्रत रखती है । इसमें लोग गंगा के तत्व पर भगवान के रूप में बेदी बनाते है फिर बेदी में फल मिठाई चढ़ाकर उसकी पूजा करते है और भगवान का ध्यान करके संध्या अर्घ्य देते है फिर अगले दिन उगते सूर्या को अर्घ्य देकर व्रत खत्म करते है ।
*कानपुर के छोटी सेंट्रल पार्क में लोगो ने की छठ पूजा । *
कानपुर के शास्त्री नगर के छोटी सेंट्रल पार्क में बड़े ही धूमधाम से लोगो ने छठ पर्व मनाया और संध्या अर्घ्य किया ।छोटी सेंट्रल पार्क में लोगो के लिए काफ़ी अच्छी व्यवस्था की गई ताकि लोग भगवान को याद कर बड़े ही आनंद से छठ पर्व मना सके । पूरे पार्क में लाइटनिंग स्पीकर और लोगो के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है वही लोग आराम से अपनी अपनी बेदी के पास भैठ कर पूजा करले इसलिए पूरे पार्क में दरी भी बिछायी गई । छठ पूजा गंगा के तत्व पर किया जाता है उसको देखते है लोगो के लिए बड़े से 2 अस्थायी बाथटब की व्यवस्था की गई ताकि लोग उसमे खड़े होकर संध्या अर्घ्य और उगते सूर्या को अर्घ्य देकर अपना व्रत सम्पन्न कर सके जो की छठ पर्व के बाद हटा दिए जाएँगे वही आपको बता दे पार्क में बच्चों के लिए झूले , खिलौने और खाने पीने के भी स्टाल लगे थे । सुरक्षा को देखते हुए पुलिस भी पूरे पार्क की चप्पे चप्पे निगराने रखे हुए थी और तो और लोगो की बेदी कोई ख़राब ना करदे उसके लिए कुछ लोग रात में वही पार्क में ही जाग के उनपे नज़र रखते है ।
*व्रतियों की तैयारी में झलकी समर्पण की भावना
छठ व्रत की शुरुआत* नहाय-खाय से हुई थी, जिसके बाद खरना के दिन व्रतियों ने गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला व्रत की शुरुआत की। सोमवार को संध्या अर्घ्य के लिए सुबह से ही व्रती महिलाएं प्रसाद तैयार करने और पूजा सामग्री सजाने में जुट गईं। बांस की सूप और डलिया में सजाए गए फल और प्रसाद को बड़े सलीके से सूर्य देव को अर्पित करने की परंपरा निभाई गई।
सूर्यास्त के समय श्रद्धालुओं ने दिया अर्घ्य

शाम को सूर्यास्त के समय श्रद्धालु परिवार सहित घाटों पर पहुंचे और जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। व्रती महिलाओं ने सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और संतानों की लंबी उम्र की कामना की। छठ पूजा का यह संध्या अर्घ्य सूर्य देव की शक्ति, जीवन और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक माना जाता है।
कल उगते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

मंगलवार को छठ पर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इसके बाद व्रती महिलाएं पारण कर व्रत समाप्त करेंगी। इसके लिये प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। सुबह चार बजे से ही घाटों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है।
