बिहार डेस्क।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR)को लेकर सियासी तूफान जारी है। अब इसके विरोध की आग नीतीश कुमार की पार्टी में भी पहुंचने लगी है। जेडीयू के नेताओं द्वारा इसका विरोध भी करना शुरू हो गया है। मामला तब और सुर्खियों में आ गया जब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के सांसद गिरधारी यादव ने मतदाता सूची संशोधन की आलोचना करते हुए चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साध दिया।
बताया गया है कि सांसद गिरधानी यादव ने अपनी ही पार्टी लाइन के खिलाफ बयान देते हुए कहा, “चुनाव आयोग को व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल। उनका कहना है कि उनका बेटा अमेरिका में रहता है। मुझे ही सारे दस्तावेज इकट्ठा करने में 10 दिन लग गए। बेटा अमेरिका में रहता है। वो एक महीने में दस्तखत कैसे कर देगा? ये (SIR) हम पर जबरदस्ती थोपा गया है। इसके लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाना चाहिए था।
नीतीश कुमार के करीबी हैं गिरधारी यादव
गिरिधारी यादव बिहार के जाने माने नेता हैं। वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीबी माना जाते रहे हैं। गिरधारी यादव बांका संसदीय क्षेत्र से चुनकर आए हैं। उन्होंने आगे कहा, “मैं अपनी निजी राय दे रहा हूं। पार्टी क्या कह रही है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। ये सच है। अगर मैं सच नहीं बोल सकता, तो सांसद क्यों बना हूं?”उन्होंने 2019 में भी इसी सीट से जीत दर्ज की थी। जेडीयू से पहले वह राजद में रहकर बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। गिरिधारी यादव चार बार लोकसभा और चार बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए।
कांग्रेस से की थी राजनीति की शुरुआत
गिरिधारी यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की और बाद में जनता दल का हिस्सा बने। 1995 में उन्होंने कटोरिया सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। इसके बाद 11वीं लोकसभा में बांका से सांसद बने। 1997 में जनता दल के विभाजन के बाद वह राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हुए और उन 17 सांसदों में थे जो इस नई पार्टी का हिस्सा बने। हालांकि, अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली। साल 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में गिरिधारी यादव ने फिर से विधायक का चुनाव जीता।