बांदा। बांदा मंडल कारागार में हत्या में आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदी की शनिवार को तबियत बिगड़ने से मौत हो गई। इस कैसी की हालत जब से जेल लाया गया था तभी से ख़राब चल रही थी और अक्सर इलाज के लिए अस्पताल भेजा जाता था। जेल प्रशासन ने इसकी रिहाई के लिए शासन से मर्सी अपील और मेडिकल करने को पत्र भी लिखा था। जिसकी संतुति जिलाधिकारी ने भी की थी लेकिन संतुति की पत्रावली शासन में लंबित होने के कारण फैसला न होने से बंदी को अपनी जान गवानी पड़ी।
बाँदा मंडल में शनिवार को शासन की लापरवाही का एक मामला सामने आया है। जेल सूत्रों के अनुसार बाँदा मंडल कारागार में 22 जुलाई 2022 को कर्वी इंस्पेक्टर हत्या में आजीवन कारावास की सजा प्राप्त 63 वर्षीय किद्दि उर्फ़ केदारनाथ को जेल लाये थे। उससे पहले ही उसे पैरालेसिस का अटक पड़ा था। जिससे वह न तो बोल पा रहा था और न ही सही से चल पा रहा था। तब से अक्सर कैदी को इलाज के लिए अस्पताल भेजा जाता रहा था। ज्यादा तबियत ख़राब होने के कारण जेल प्रशासन ने प्रशासन से बंदी की मर्सी अपील की और मेडिकल के लिए पत्र लिखा था। जिसे डीएम ने संतुति भी दे दी परन्तु शासन की लापरवाही के चलते फाइल जेल प्रशासन के पास नहीं पहुंची। शनिवार को बंदी की तबियत ज्यादा बिगड़ गई जिसे इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया जहा इलाज के दौरान मौत हो गई है।
जेल प्रशासन ने की थी अपील
जेल सूत्रों के अनुसार जेल प्रशासन ने जब देखा की बंदी की तबियत ज्यादा ख़राब है तो प्रशासन से बंदी के लिए मर्सी अपील की। जिसे बाँदा के जिलाधिकारी ने संतुति भी दे दी परन्तु शासन की हिला हवेली के चलते फाइल कही अटक कर रह गई और बंदी को समय से सही इलाज और देखभाल न मिल सकी और शनिवार को बंदी को अपनी जान गवानी पड़ी।
क्या बोले बाँदा प्रशासन के जिम्मेदार
जब इस मामले में बाँदा के जिलाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो जवाब मिला की एडीएम से बात कर लीजिये। जिलाधिकारी द्वारा दिये गए एडीएम के सीयूजी नंबर से बात करने के कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं रिसीव हुआ।