प्रभात त्रिपाठी
निशंक न्यूज़
महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के रास्ते अलग हो गए हैं| बीजेपी के बाद अब शिवसेना के पास सरकार बनाने का पूरा मौका है| समीकरण ऐसे हैं कि शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन ही महाराष्ट्र को नई सरकार दे सकता है| एनसीपी ने समर्थन के लिए एक शर्त रखी थी, जिसे शिवसेना ने मान भी लिया है| इसके बाद अब सबकी नजर कांग्रेस पर टिकी हुई है कि पार्टी क्या एक्शन लेगी |
24 अक्टूबर को आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था| 288 वाली विधानसभा में बीजेपी 105, शिवसेना 56, एनसीपी 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं थीं| बीजेपी और शिवसेना गठबंधन के पास पर्याप्त सीटें होने के बावजूद दोनों दलों में सीएम पद के बंटवारे पर टकराव हो गया और सरकार का गठन नहीं हो पाया| अब बीजेपी अकेले पड़ गई है और शिवसेना को एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन का सहयोग मिलने की पूरी उम्मीद की जा रही है |
शिवसेना मंत्री का मोदी कैबिनेट से इस्तीफा
रविवार को बीजेपी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को बताया कि वह अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है| बीजेपी के इस निर्णय के बाद राज्यपाल ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए पूछा, जिसके बाद एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन की चर्चा तेज हो गई |
एनसीपी ने सार्वजनिक तौर पर शर्त रखी कि समर्थन के लिए शिवसेना को एनडीए से बाहर होना पड़ेगा और मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ेगा. यानी शिवसेना को बीजेपी का पूरी तरह से साथ छोड़ना पड़ेगा. एनसीपी की इस शर्त के बाद सोमवार सुबह ही मोदी कैबिनेट में शिवसेना कोटे से मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इस तरह एनसीपी ने समर्थन के लिए जो शर्त रखी, उसे शिवसेना ने मान लिया.
कांग्रेस के हाथ में बाजी
शिवसेना ने भले ही एनसीपी की शर्त मान ली हो लेकिन सरकार गठन के लिए कांग्रेस का सहयोग भी जरूरी है| एनसीपी और कांग्रेस दोनों सहयोगी हैं और सीटों के लिहाज से भी कांग्रेस की भूमिका अहम है| हालांकि, महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता और नवनिर्वाचित विधायक शिवसेना के नेतृत्व में सरकार के लिए राजी बताए जा रहे हैं| रविवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं और महाराष्ट्र में स्थायी सरकार के पक्ष में हैं| रविवार को जयपुर में चुनाव प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक में कांग्रेस विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होकर उसे समर्थन दिया जाए लेकिन अंतिम फैसला शीर्ष नेतृत्व को लेना है|
इन तमाम बदल रहे समीकरणों के बीच कांग्रेस ने आज वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई है जो बेहद अहम है| यानी अब महाराष्ट्र की सत्ता की चाबी और बाजी पूरी तरह से कांग्रेस के हाथों में नजर आ रही है |