वेद गुप्ता
श्रीगणपतिपुले महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि जिले में समुद्र के किनारे गणपतिपुले नामक गाँव में श्री गणेशजी का एक प्रसिद्ध मदिर है। इस मन्दिर में गणेशजी विराजमान है जो पश्चिम द्वारदेवता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि यह मन्दिर करीब 400 साल पुराना है भगवान गणपति खुद यहाँ प्रकट हुए जिससे इनको स्वयंभू गणेशजी कहा गया है।
सफेद रेत से बनी है गणेज की प्रतिमा

इस मन्दिर में स्थित गणेशजी की मूर्ति सफेद रेत से बनी हुई है । इस प्राचीन मन्दिर में लोग गणेश भगवान का आशीर्वाद लेने दूर – दूर से आते हैं। गणपतिपुले कोंकण समुद्र तट पर स्थित है यह स्थान मन्दिर के साथ ही समुद्री बीच स्वच्छ पानी , वनस्पति एवं काफी के लिये भी प्रसिद्ध है । इस क्षेत्र में मैनग्रोव और नारियल के पेड़ों की भी भरमार है। मोदक , गणेशजी को पसंद है , इसलिए मोदक का ही भोग इनको लगाया जाता है। यहाँ के लोग , मराठी , अंग्रेज़ी और हिन्दी में बात करते हैं । यहाँ का मौसम वर्ष भर शानदार रहता है। गर्मी में , गर्मी अधिक रहती है और सर्दियों में शीतलता रहती है , यहाँ सर्दियों में जाना उपयुक्त रहता है ।
इस तरह पहुंचे सकते हैं इस मंदिर में
पूना से गणपतिपुले 335 कि.मी.एवं महाबलेश्वर से 200 कि.मी.दूर है यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन रत्नागिरि है , जहाँ से गणपतिपुले 25 कि.मी.है , मिनी बस या ऑटो रिक्शा के द्वारा यहाँ पहुँचा जा सकता है।
कोल्हापुर से गणपतीपुले 153 कि.मी.दूर है , दक्षिण भारत की यात्रा करने वाले यात्री दक्षिण भारत से महाराष्ट्र आते समय इस प्रसिद्ध स्वयंभू गणेश मन्दिर के दर्शन का लाभ ले सकते है।
