ओ पी पाण्डेय।
अलीगढ़। आपको चार पहिया वाहन चलाना आता हो या नहीं, आपको यातायात नियमों की जानकारी हो या नही सब कुछ चल जायेगा लेकिन आपकी जेब में संभागीय परिवहन कार्यालय में सेवा करने के लिए 3500 रुपये अलग से होने चाहिए। अगर आप यह सुविधा शुल्क कार्यालय के पास ही एक दस नम्बरी दुकान पर जमा कर देते है तो आपको टेस्टिंग की खानापूरी कराकर चार पहिया वाहन चलाने का लाईसेंस मिल जायेगा। अलीगढ़ में एेसी कई दुर्घटनाएं हुई है जिसमें यह सामने आया है कि वाहन चालक नियमो का पालन नही कर रहा था जिससे हादसा हुई और किसी की जान गयी।
दस नंबरी के सेवा से नौसिखिये हो जाते परफेक्ट
दस नंबरी के यहां सेवा करने के बाद कागजों में सब कुछ ठीक-ठाक दिखाकर नौसिखियों को भारी वाहनों को चलाने का लाइसेंस देने का यह खेल अलीगढ़ के संभागीय परिवहन कार्यालय (आर.टी.ओ) पर रोजाना देखने को मिल जाएगा। लोगों का कहना है कि यहां पर नौसिखिए लोगों को मात्र साढे तीन हजार रुपए की रिश्वत लेकर खुलेआम धङल्ले के साथ बनाया जा रहा है चार पहिए वाहन का परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस। आरटीओ कार्यालय में तैनात अधिकारियों के गुर्गे आरटीओ कार्यालय के सामने बनी मार्केट में दस नंबरी की जगह बैठते हैं यहां आरटीओ में लाइसेंस के लिये आवेदन करने वाले हर आवेदक से साढे तीन हजार लिये जाते हैं इसके बाद विभाग की जमा फीस की पर्ची की फोटो कापी कराकर उसपर दस नंबरी सरदार अपने हस्ताक्षर कर देता है। यह हस्ताक्षर ही टेस्ट ड्राइव कराने के लिये सब कुछ ठीक होने का संकेत होता है।
लाइसेंस लेने के लिये आवेदन करने वाले कई लोगों का आरोप है कि दलाल के माध्यम से चार पहिए वाहन का परमानेंट लाइसेंस बनवाएंगे तो आपको साढे पाॅच हजार रुपए देने होंगे, जिनमें से साढे तीन हजार रुपए दस नंबरी के होते हैं। अलीगढ़ में रोजाना लगभग 100 चार पहिए वाहन के परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं। नौसिखिए वाहन चालक ड्राइविंग लाइसेंस बनने के बाद बेखौफ होकर सड़क पर कार अथवा चार पहिया वाहन फर्राटे के साथ दौङाता हैं क्योंकि उसे नियमों की जानकारी ही नहीं होती है औऱ वह भली–भाति जानते हैं कि यदि उनसे यदि कोई एक्सीडेंट अर्थात दुर्घटना हो जाती है तो उन पर हल्की धाराओं में थाने में रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। जिनका जुर्माना देकर छुटकारा पाया जा सकता है । नौसिखिए द्वारा वाहन चलाते समय दुर्घटना होना अब आम बात हो गई है। उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना हजारों लोगों की मृत्यु होती है।
सरकार के प्रयास को कर रहे बेमतलब

शासन– प्रशासन द्वारा गंभीरता के साथ इन सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं जिनके माध्यम से हर संभव उपाय खोजे जाते हैं तथा इस बात पर भी गंभीरता के साथ विचार किया जाता है कि किस प्रकार सड़क दुर्घटनाओं को रोका जाए या कम किया जाए तथा सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली राहगीरो की मौत कैसे कम की जा सकती है लेकिन संभागीय परिवहन विभाग (आरटीओ कार्यालय) द्वारा नौसिखियो को जारी किए गए वाहन ड्राइविंग लाइसेंस के कारण शासन एवं प्रशासन द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को रोकने एवं कम करने के लिए किए गए सारे प्रयास आरटीओ कार्यालय की लापरवाही से बेमतलब साबित हो रहे हैं।
डबले स्टेय़रिंग वाली गाड़ी से किया जाता खेल
विभागीय सूत्रों का कहना है कि आरटीओ अलीगढ़ में डबल स्टेरिंग लगी हुई कार को आरटीअो विभाग से पास करा दिया गया है। यह कार आर आई के खास गुर्गे की है। जो आवेदक रिश्वत के साढे तीन हजार रुपए दे देता है उसको कार की ड्राइविंग सीट पर बैठाकर सीट बेल्ट लगवा कर कार की स्टेरिंग पकङने को कहा जाता है कार के दूसरी ओर खास गुर्गा बैठकर कार की दूसरी स्टीयरिंग की मदद से ट्रैक पर कार चलाकर ले जाता है। गुर्गे की मदद से बिना कार चलाये ही ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदक स्वचालित ट्रैक पर कार चलाने का टेस्ट पास कर लेता है। जो आवेदक रिश्वत नहीं देते उनसे कहा जाता है कि वह अपनी कार स्वयं लेकर आए और टेस्ट दें। टेस्ट लेते समय उससे ट्रैक पर कार चलने का बहुत ही कठिन टेस्ट लिया जाता है। जिसमें अक्सर आवेदक फेल हो जाता है।
कार चलाने के बहुत ही माहिर चालक ही ट्रैक पर कार चला कर इस कठिन टेस्ट को पास कर पाते हैं। मजबूरन उसे भी 3500 रिश्वत देकर अपना कार चलने का टेस्ट पास करना पड़ता है। समस्त आरटीओ स्टाफ को भली भांति पता है कि रिश्वत देने वाले आवेदक को ट्रैक पर कार चलाने का टेस्ट कैसे पास कराया जाता है। अनुबंध करने वाली कंपनी मारुति मात्र एक कठपुतली है।
ऐसे पकड़ा जा सकता है खेल
लोगों का कहना है कि अगर मौत बांटने का लाइसेंस देने के इस खेल को आसानी से पकड़ा जा सकता है इसके लिये बस जिन आवेदकों के चार पहिए के ड्राइविंग लाइसेंस बन गए हैं उन आवेदकों की ड्राइविंग लाइसेंस की पत्रावली तलब कर आवेदकों के मोबाइल फोन पर फोन कर बात की जाए तो सब कुछ खुल जाएगा। इसके अलावा दस नंबरी सरदार द्वारा पैसा लेने के बाद जो रसीद आवेदक को दी जाती है उसमें दस नंबरी द्वारा किये चिड़िया मार्का हस्ताक्षर भी इस खेल की चुगली कर देंगे। इसमें से एक रसीद कार टेस्ट पास कराने वाला दलाल ले लेता है दूसरी रसीद को फोटो सीन करते समय विभाग का कर्मचारी रख लेता है बाद में इन दोनों रसीदों को आवेदकों की पत्रावली में लगा दिया जाता है। इन रसीदों की पड़ताल करने से भी सब सामने आ सकता है।
डीएम ने किया था निरीक्षण
बताया गया है कि कुछ दिन पहले जिलाधिकारी अलीगढ़ ने आरटीओ कार्यालय का निरीक्षण किया था इसकी जानकारी पहले से हो जाने के कारण विभागीय अधिकारियों ने सब कुछ पहले से ठीक कर लिया था और डीएम को यहां के अधिकारी जो दिखाना चाहते ही वह दिखा भी सके। इस दौरान डीएम ने यहां रखी गयी डबल स्टेयरिंग वाली गाड़ी का भी निरीक्षण किया था लेकिन निरीक्षण की जानकारी आरटीओ कार्यालय के जिम्मेदारों को पहले से थी इस कारण कुछ खास कमी निकल नहीं पाई थी।

मंडलायुक्त ने मांगा है स्पष्टीकरण
सेवा नेकर नौसिखियों को मौत बांटने का लाइसेंस देने की बात को गंभीरता से लेकर मंडलायुक्त संगीता सिंह ने इस पूरे प्रकरण पर आरटीओ के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इधर जिलाधिकारी संजीव रंजन में भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। इनका कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत की संख्या पर अंकुश लगाने के लिये शासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं इसके बीच नौसिखियों को गाड़ी चलाने का लाइसेंस देना गंभीर बात है। जिलाधिकारी द्वारा भी इस मामले की गुपचुप जांच कराई जा रही है।