जुलूस-ए-मोहम्मदी में दिया नेक रास्ते पर चलने का संदेश

निशंक न्यूज।

कानपुर।पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस ईद-ए-मिलादुन्नबी की खुशियों में आज शुक्रवार को कानपुर से एशिया का सबसे बड़ा जुलूस-ए-मोहम्मदी मगरिब की नमाज के बाद निकाला गया। परेड ग्राउंड से शुरू होकर शहर की गलियों और मार्गों से गुजरते हुए यह विशाल जुलूस शाम तक फूलबाग मैदान पहुंचा। परेड मैदान पर जेसीपी आशुतोष कुमार ने हरी झंडी दिखाकर इस जुलूस को रवाना किया। सबसे आगे जमीयत उलमा के सदस्य रहे, जबकि उनके पीछे तंजीमें हाथों में हरे झंडे और लाउडस्पीकर पर नात पढ़ते हुए शामिल हुईं। जगह-जगह स्टेज बनाकर विभिन्न संगठनों और धर्मों के लोगों ने जुलूस का स्वागत किया। जुलूस में शामिल अनुयायी “या रसूल अल्लाह” के नारे लगाते और पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में नात पढ़ते चल रहे थे। जैसे-जैसे जुलूस आगे बढ़ता गया, लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई। अनुमान है कि इस साल भी करीब पांच लाख से अधिक लोग इसमें शामिल हुए।

14.5 किलोमीटर लंबे जुलूस का ऐतिहासिक सफर

करीब 14.5 किलोमीटर लंबा यह जुलूस परेड, नई सड़क, पेंचबाग, तलाक महल, बेगमगंज, कंघी मोहाल, नाला रोड, चमनगंज, बांस मंडी, मूलगंज, शिवाला, पटकापुर होते हुए फूलबाग पहुंचा। खास बात यह रही कि जब जुलूस का अगला सिरा फूलबाग पहुंचा, तब भी इसका पिछला सिरा परेड ग्राउंड से निकल रहा था। फूलबाग मैदान में इकट्ठे होकर सभी अनुयायियों ने नमाज अदा की और नबी-ए-पाक को याद करते हुए जुलूस का समापन किया।

सौहार्द और भाईचारे की मिसाल

जुलूस-ए-मोहम्मदी केवल मुस्लिम समाज तक सीमित नहीं रहा। इसमें बड़ी संख्या में हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय के लोग भी शामिल हुए और स्वागत किया। शहरभर में गुलाब की पंखुड़ियों से जुलूस का अभिनंदन हुआ, जिससे माहौल और भी खुशनुमा बन गया।

110 साल पुराना इतिहास

इस जुलूस की नींव अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुए आंदोलन से जुड़ी है। वर्ष 1913 में अंग्रेजों ने मेस्टन रोड पर मस्जिद मछली बाजार का वुजूखाना तोड़ दिया था, जिससे हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय नाराज हो गए। अगले वर्ष 1914 में 12 रबी उल अव्वल के दिन परेड ग्राउंड से एकजुट होकर लोगों ने जुलूस निकाला, जो धीरे-धीरे जुलूस-ए-मोहम्मदी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। तब से हर साल यह परंपरा जारी है और आज यह जुलूस एशिया का सबसे बड़ा जुलूस माना जाता है।

जुलूस का महत्व

जमीयत उलमा के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमिननुल हक अब्दुल्लाह ने बताया कि यह जुलूस केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एकता, भाईचारे और अंग्रेजों के खिलाफ साझा संघर्ष की याद भी है। मेस्टन रोड पर आज भी मंदिर और मस्जिद आमने-सामने हैं, और जुलूस उन्हीं के बीच से गुज़रता है—एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब का संदेश देता हुआ।

जुलूस से दिया इंसानियत को बढ़ावा देने का संदेश

कानपुर। शहर में बरावफात के अवसर पर पैगंबर हजरत मोहम्मद की पैदाइश की याद में पारंपरिक जुलूस में शुक्रवार को इंसानियत को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। जुलूस में चल रहे लोग ऐसे स्लोगन लिखे बैनर लेकर चल रहे थे जिसमें यह संदेश दिया जा रहा था कि इंसान की सेवा तथा मदद करना अपने आप में बेहतर काम है जिससे शुकून भी मिलता है और ऊपर वाले का आशीर्वाद भी। जुलूस में शामिल लाखों लोग इंसानियत को बढ़ावा देने का संदेश देते रहे।

पुलिस ने रखी पैनी नजर, सादी वर्दी में जुलूस में शामिल हुए जवान

प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात के लिए व्यापक तैयारियां की थीं। संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रखा गया। पुलिस कर्मी हर गतिविधि पर नजर रखे थे। इसके साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से कुछ युवा पुलिस कर्मियों तथा खुफिया के लोगों को जूलूस में शामिल किया गया था जो हर एक पर नजर रखने के साथ ही व्यवस्था को भी सुचारू बनाए रखने में सक्रिय दिखे। कई स्थानों पर सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की गई थी।

बुराईयों से दूर रहने का दिया जाएगा संदेश

युवा वर्ग से धर्मगुरुओं और आयोजकों ने आह्वान किया है कि वे पैदाइश के असल संदेश ज्ञान करुणा अनुशासन और सेवा को अपनाएं। कई बैनर व पोस्टर में ब्याज के काम से दूर रहने की बात कही गई थी तो किसी मेंं परेशान लोगों की हर हाल में मदद करने के लिये प्रेरित किया जा रहा था। हर स्लोगन इस बात का संदेश दे रहा था कि बुरे काम से दूर रहें और लोगों के बीच सक्रिय होकर नेक कामों को बढ़ावा दें। यह बताया जा रहा था कि बरावफात का संदेश अमन भाईचारा और नेकी है। उद्देश्य है कि हम पैगंबर की शिक्षा को रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाएं जैसे सच बोलना पड़ोसी की मदद करना और झगड़ों से बचना।

करोंड़ों रुपये का बांटा गया लंगर

जिस रास्ते से जुलूस निकला वहां लोगों को बीच करोंड़ों रूपये का लंगर बांटा गया। जुलूस के शुरुआती मार्ग में पड़े रहमानी मार्केट के पास ही सड़क पर दोनों तरफ बड़े स्टाल लगाकर लंगार बांटा जा रहा था। सबसे पहले लगे स्टाल में रहमानी मार्केट के अध्यक्ष लड्डन खान अपनी टीम के साथ जुलूस में शामिल लोगों को बिस्कुट के पैकेट तथा शीतल पेय वितरित करने में लगे थे तो इसके कुछ ही आगे खान मोबाइल के संचालक साहिल खां द्वारा लगाए गए स्टाल में मोहम्मद परवेज कानपुर प्रेस क्लब के महामंत्री शैलेश अवस्थी, मंत्री शिवराज साहू, वरिष्ट उपाध्यक्ष गौरव सारस्वत अधिवक्ता कुशाग्र पांडे, मोहम्मद अली आदि द्वारा जुलूस में शामिल लोगों के बीच खाने के पौष्टिक सामान के साथ ही शीतल पेय तथा चाकलेट आदि का वितरण किया जा रहा था। इस स्टाल के सामने आमिल मुमताज तथा जुनैद के साथ ही इनके परिवार के मासूम बच्चों तथा इनके साथ के लोगों द्वारा जुलूस के शामिल लोगों के बीच पौष्टिक रोटी शीरमाल, बिरयानी के अलावा शीतल पेय आदि का वितरण किया जा रहा था। यहां से जुलूस में शामिल लोगों पर पुष्प वर्षा भी की जा रही थी।

ट्रांसपोर्ट नगर में तिरंगा लेकर चले अकीदतमंद

शहर के दक्षिणी इलाके में बाबूपुरवा हो या मछरिया। लाल कालोनी हो या साकेत नगर हर तरफ बारावफात का जुलूस निकालकर लोगों को सेवा तथा मदद करने का संदेश दिया जा रहा था। ढकनापुरवा ट्रांसपोर्ट नगर में निकाले गये जुलूस में लोग तिरंगा झंडा लेकर देश प्रेम की भावना को मजबूत दे रहे थे। यहां कई स्थानों पर लंगर बांटा गया। ढकना पुरवा चौराहे पर रानू, मोहम्मद शफीक, जीशान अहमद, रहबर खान, जीबू तथा जुबैर खान आदि द्वारा खाने के सामान के साथ ही पूड़ी सब्जी का भी वितरण किया जा रहा था। यहां ठंडा पानी तथा लंगर चखने के लिये भीड़ लगी रही।

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