निशंक न्यूज डेस्क
बिहार चुनाव में पहले चरण का मतदान होने में एक पखवारे से भी कम का समय बचा है। यहां दो चरणों में मतदान होना है और दोनों चरणों के लिये नामांकन की अंतिम तारीख भी निकल चुकी है। इसके बाद भी महागठबंधन के प्रमुख दल राजद तथा कांग्रेस के बीच टिकट को लेकर तकरार पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। ऐसे में इस समस्या का हल निकालने के लिये कांग्रेस ने अपने चाणक्य अशोक गहलोत को मैदान में उतारा है। विवाद का हल निकालने के लिये श्री गहलोत बिहार पहुंच गये और कई चक्रों में राजद नेता लालू प्रसाद यादव तथा तेजस्वी यादव से बात की। माना जा रहा है कि एक दो दिन में इस विवाद का हल हो जाएगा और दोनों दल मिलकर बिहार में एनडीए को हराकर एक बार फिर सत्ता में आने के लिये पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की तारीख निकल चुकी है। इसके बावजूद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं है। बिहार में कई ऐसी सीटें हैं जहां पर महागठबंधन में शामिल दो दल अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। इन उम्मीदवारों ने नामांकन भी करा लिया है और जीत की तैयारी के साथ चुनाव प्रचार में भी समर्थकों के साथ कूद पड़े हैं ऐसे में मतदाताओं के साथ ही दलों के नेता के भी परेशान हैं कि वह चुनाव प्रचार में किसके साथ उतरें वह मैदान में किसी प्रत्साय़ी के साथ उतरें वह भी इंतजार कर रहे हैं कि महागठबंधन के प्रत्याशी का अधिकृत रूप से नाम सामने आये ताकि वह पूरी ताकत के साथ मैदान में सक्रिय होकर एनडीए के उम्मीदवार को हराने की रणनीति बनाकर काम कर सकें।
सीट 243, महागठबंधन के उम्मीदवार 256
नामांकन की तिथि निकलने के बाद वर्तमान में हालत यह सामने आ रहे हैं कि बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं लेकिन महागठबंधन के घटक दलों द्वारा 256 प्रत्याशी नामांकन कराकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। जहां राजद ने 143 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। वहीं कांग्रेस ने 61 उम्मीदवार घोषित किए हैं। विकासशील इंसान पार्टी ने 15 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। वामपंथी दलों ने अपनी जीत का आंकलन कर कई सीटों से अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है। इससे हालत यह हो गई है कि कुछ सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार एक दूसरे खिलाफ मैदान में डटे हैं। बिहार विधानसभा के लिये 6 नवंबर को 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है।
अशोक गहलोत को दी गई विवाद निपटाने की कमान
महागंठबंधन हर हाल में इस चुनाव में जीत दर्ज कर बिहार से एनडीए की सरकार को हटाने की तैयारी किये है। लेकिन उम्मीदवारों को लेकर शुरू हुआ विवाद इस दिक्कत पैदा कर रहा है। इसी के चलते इस विवाद को निपटाने के लिये कांग्रेस में अपने सबसे विश्वास पात्र और पार्टी के चाणक्य अशोक गहलौत को इश विवाद को निपटाने की जिम्मेदारी सौंपी है। पहले भी कई बार विवाद की स्थिति आने पर श्री गहलौत अपनी कुशल रणनीति से राजनीतिक विवाद का हल करा चुके हैं। कई बार जब किसी राज्य में कांग्रेस की सरकार अस्थिर हुई तो पार्टी हर बार उन्हें ही हालात को संभालने के लिए भेजती रही है और हर बार वह पार्टी को संकट से उबारते रहे हैं। इस बार बिहार में चुनाव से पहले जिस तरह का माहौल महागठबंधन में बना है और जनता के बीच में जो मैसेज जा रहा है उसे रोकने और चुनाव में पार्टी के लिए माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें पटना भेजा है।बुधवार को बिहार पहुंचकर श्री गहलौत ने कई चक्रों में दूसरे दलों के नेताओं के साथ बैठक कर इस विवाद का लगभग हल निकाल लिया। कहा जा रहा है कि एक-दो दिन में बिहार में महागठबंधन को लेकर सब कुछ ठीक हो सकता है।