मंहगाई की मार,ठंडा पड़ा चांदी की राखी का व्यापार

शैलेंद्र शर्मा

कानपुर। भाई-बहन के अटूट प्रेम के पर्व रक्षा बंधन की जहां बाजारों में चमक तेज हो गई है, वहीं परदेश में रहने वाली बहनों का प्यार (रक्षा सूत्र) कूरियर या डाक के जरिए घरों में दस्तक देने लगा है। बाजार भी चमकीली राखियों और रेशमी धागों से सजे नजर आ रहे हैं। सराफा बाजार में भी तैयारी तेज है, हालांकि पिछली बार की अपेक्षा इस बार चांदी के कीमतों में आई तेजी ने राखियों की चमक जरूर कम की है। कारोबारी भी मानते हैं कि इस बार चांदी की राखियोें की बिक्री पर तेजी का असर दिखाई पड़ना लाजिमी है। पिछली बार की अपेक्षा बिक्री का औसत तीस से चालीस प्रतिशत गिर सकता है। तेजी को देखते हुए ही इस बार चांदी की राखियों की संख्या जरूर कम रखी गई है।

एक साल में 35 हजार रुपये किलो बढ़ी चांदी की कीमत

मझावन के जगन्नाथ ज्वैलर्स में चांदी की राखी देखती महिला खरीदार।

चांदी के कारोबार से जुड़े लोगों की मानी जाए तो हल्की राखियों पर ज्यादा जोर है, ताकि उसकी कीमत मध्यम वर्ग को भी अपनी ओर खींच सके। चौक सर्राफा में चांदी के कारोबारी देवेंद्र सिंह तन्ना, मछावन में सर्राफा कारोबारी दीप चंद सोनी, धोबी मोहाल चौक सर्राफा के शेष नारायण वर्मा कहते हैं कि अगस्त 2024 को चांदी का दाम 81,750 रुपये था, आज इसकी कीमत एक लाख 16 हजार आठ सौ रुपये प्रति किलो हो गया है। चांदी के दाम में बढ़ोत्तरी का बिक्री पर असर पड़ना तय है। हालांकि चांदी में आई तेजी को देखते हुए हल्की राखियां भी बनवाई गई हैं। धनाड्य वर्ग पर भी ध्यान है, उसके साथ ही मध्यम वर्ग की बहनें भी मायूस न हों, इसका पूरा ख्याल रखा गया है।

आगरा, मुथरा, राजकोट से आती हैं चांदी की राखी

जानकारों की मानी जाए तो कम वजन की राखियों के कारण बहनें अपने भाई को चांदी की राखी पहनाने की मंशा को पूरा करने का प्रयास कर रही है। इसके लिये वह चांदी की राखी की खरीदारी कर रही हैं लेकिन दुकानदारों की मानी जाए तो पिछली बार की अपेक्षा इस बार चांदी की राखी का कारोबार चालीस से पचास फीसद तक कम हो गया है। मझावन में सर्राफ की दुकान चलाने वाले जगन्नाथ ज्वैलर्स के संचालक दीप चंद्र सोनी का कहना है कि पिछले वर्षों में चार सौ से आठ सौ तक चांदी की राखी बिकतीं थी लेकिन इस बार तीन सौ तक राखी बिकना मुश्किल हो रही है। राखियों को राजकोट, आगरा, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली और मथुरा से मंगवाया जाता है। चांदी के कारोबारी देवेंद्र सिंह तन्ना का कहना है कि पूरे शहर में करीब एक से डेढ़ क्विंटल चांदी की राखियां बिकती हैं। इस बार अपेक्षाकृत चांदी की कम राखियां बिकने की बात कही जा रही है।

कारीगरों ने भी दिखाया हुनर

कोलकाता, दिल्ली समेत अन्य प्रमुख राज्यों से राखियां मंगवाने के साथ ही स्थानीय कारीगरों ने भी अपना हुनर दिखाया है। बड़े ज्वैलर्स ने अपने खास ग्राहकों के लिए सोने की भी राखियां तैयार कराई हैं। हालांकि यह राखियां एक खास वर्ग के लिए ही हैं। सोने की राखियां बाहर से मंगवाने के बजाए स्थानीय कारीगरों से तैयार कराई गई हैं। ज्वैलर्स शेष नारायण वर्मा कहते हैं कि उनसे कुछ ग्राहकों ने सोने की राखी की मांग की। ऐसे ग्राहकों की डिमांड पर उनके बताए गए वजन की राखियां बनवाई गई हैं। हालांकि सोने की बढ़ी कीमतों को देखते हुए ऐसी राखियां डिमांड के अनुसार ही बनवाई जा रही हैं।

कारोबारी बताते हैं कि इस बार भरतपुर से भी राखियां मंगवाई गई हैं। वहां के ज्वैलरी डिजाइनर्स ने इस बात अलग रचनात्मकता दिखाई है। वहां की डिजाइन की मांग बढ़ी है। बिक्री भले कम हो लेकिन ग्राहकों की हर जरूरत और मांग का पूरा ख्याल रखा गया है।

बाजार में सजी दुकान में भाई के लिये राखी देखती युवती।

फुटपाथ पर भी सजी राखी की दूकानें

रक्षा बंधन को लेकर बाजारों में राखियों की दुकानें जहां गुलजार हो गई हैं, वहीं फुटपाथ किनारे भी राखी की दुकानों पर खरीदारी तेज हो गई है। जिन बहनों के भाई नौकरी या व्यापार को लेकर परदेश में हैं, उनके लिए मनपसंद राखी खरीदकर कूरियर से भेजी जा रही हैं, या फिर आनलाइन बुक की जा रही हैं। बाजार का हाल यह है कि दुकानों के आगे पड़ी खाली जगह फुटपाथी दुकानों से सज गई है। शाम होते ही ऐसी दुकानों में रोशनी से राखियों की चमक देखते ही बनती है। मौसम खुला होते ही राखी खरीदने के लिए लोग परिवार के साथ बाजार पहुंचने लगे हैं। एक तरफ जहां बहनें दूर रहने वाले भाइयों को राखी भेज रही हैं, वहीं बहनों के लिए गिफ्ट के रूप में भाई भी अपना प्यार भेज रहे हैं। जिसके चलते बाजार में उछाल भी नजर आने लगा है। परिवार के साथ लोग खरीदारी करने को बाजार पहुंच रहे हैं, जिससे दुकानदारों में भी अच्छी बिक्री की उम्मीद बढ़ रही है।

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