जो काम हम सही ढंग से करेंगे वही प्रथा बन जाएगीः राज्यपाल

ओ पी पाण्डेय

अलीगढ़ । राजा महेन्द्र प्रताप विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षान्त समारोह में कुलाधिपति राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि हमें हर काम मन लगाकर सही ढंग से करना चाहिये। जो काम हम सही ढंग से करेंगी वही आगे चलकर प्रेरणा बन जाएगी। बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर स्थित शीला गौतम सेंटर फॉर लर्निंग सभागार में हुए इस दीक्षांत समारोह में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के निदेशक प्रो0 कमल किशोर पंत के अलावा मंत्री (उच्च शिक्षा) योगेन्द्र उपाध्याय व राज्य मंत्री (उच्च शिक्षा) रजनी तिवारी भी मौजूद रहीं।

जब पढ़ेंगे नहीं तो साक्षात्कार में क्या बताएंगेः राज्यपाल

समारोह को संबोधित करतीं राज्यपाल आनंदी बेन पटेलः

समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि जो काम हम सही ढ़ंग से करेंगे वही प्रथा बन जाएगी। विश्वविद्यालय परिसर में अध्ययन-अध्यापन के साथ ही अनुशासन आवश्यक है। हमें दूसरे विश्वविद्यालयों से भी एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रखनी है। जिन छात्रों में प्रतिभा है उनको आगे बढ़ाने का कार्य करें। उन्होंने बताया कि आज 51 हजार से अधिक उपाधियों को डिजिलॉकर में संरक्षित किया गया है, जिससे प्रमाणिकता सुनिश्चित होगी, फर्जी डिग्रियों का खेल खत्म होगा। छात्र कभी भी अपने दस्तावेजों को डिजिलॉकर से डाउनलोड कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले विभिन्न प्रकार की समस्याएं थीं, हमने नवीन तकनीक के माध्यम से समाधान निकाला। हमारे पास विभिन्न विश्वविद्यालयों में 15 लाख से अधिक उपाधियां थीं जिनका वितरण कराया जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि भविष्य संवारने के लिए आपको पढ़ने, सीखने और आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। विद्यार्थी हित में हमने कठोर निर्णय लेते हुए परीक्षा में बैठने के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य किया है। उन्होंने विद्यार्थियों से सवाल किया कि जब पढ़ेंगे नहीं तो साक्षात्कार में क्या बताएंगे।

टेलेंट को आगे बढ़ाएं, शॉर्टकट न ढ़ूढ़ेः कुलाधिपति

कुलाधिपति ने छात्रों को सचेत किया कि टेलेंट को आगे बढ़ाएं, शॉर्टकट न ढ़ूढ़े, गुरूजनों के अनुभव का लाभ लेते हुए गुरू-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाएं। महामहिम राज्यपाल ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एमओयू करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में कई विश्वविद्यालयों द्वारा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर एमओयू कर सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

उन्होंने विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों से अपील करते हुए कहा कि सही समय पर परीक्षाएं आयोजित कराएं ताकि विद्यार्थियों को समय से परिणाम निर्गत किए जा सकें। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर को नशामुक्त बनाए रखने का संकल्प लेने की भी बात कही। अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने कहा कि आज मिलने वाला यह पदक धातु का नहीं बल्कि उज्ज्वल भविष्य का मार्गदर्शन है। सदैव सकारात्मक सोच रखें और अपने प्रयासों से समाज और राष्ट्र की प्रगति में योगदान दें। कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय पदयात्रा एवं माॅ सरस्वती देवी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने उपरान्त दीक्षान्त समारोह के शुभारम्भ की औपचारिक घोषणा की।

विकास यात्रा का कोई अंतिम बिंदु नहीः निदेशक आईआईटी रूड़की

दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि प्रो0 कमल किशोर पंत निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की न कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत में 50 प्रतिशत महिलाओं के योगदान को मूर्त रूप लेते हुए देखना बेहद सुखद अनुभव है। आज प्रदान किए गए 47 स्वर्ण में से 36 स्वर्ण बेटियों ने प्राप्त किए हैं जोकि 77 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और कला का समन्वय होने पर ही देश वास्तव में विकसित बन सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक हम मिलजुलकर कार्य नहीं करेंगे देश विकसित नहीं बन सकेगा। विकास यात्रा का कोई अंतिम बिन्दु नहीं है, हमें नई चुनौतियों के लिए अनेक रास्ते खोजने होंगे। पहले कछुआ और खरगोश की कहानी होती थी, आज सभी को यह देखना होगा कि कैसे निरन्तर और बिना बाधा के आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने तनावमुक्त रहने और नवीन तकनीक को अपने ज्ञान में सम्मिलित करना छात्रों और युवा वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक बताया।

पदचिन्हों पर चलना आसान, लेकिन पदचिन्ह बनाना कठिनः योगेंद्र उपाध्याय

विशिष्ट अतिथि माननीय मंत्री (उच्च शिक्षा) उत्तर प्रदेश योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि अलीगढ़ उद्योग और शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र है। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और इसके संस्थापकों की दूरदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप सिंह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि डिग्री का मतलब अलंकृत होना नहीं है अपने जीवन में उत्कृष्टता लाएं, पदचिन्हों पर चलना आसान है, लेकिन पदचिन्ह बनाना उतना ही कठिन है। उन्होंने उद्योगों और शिक्षा की जुगलबंदी पर जोर देते हुए उद्यमियों से आव्हान किया कि वह शोध कार्यों को बढ़ावा दें। उन्होंने स्वदेशी अपनाने के साथ ही स्वदेशी बनाने का आव्हान करते हुए कहा कि जब हम सामूहिक रूप से प्रयास करेंगे तभी भारत विकसित होगा। हमें नौकरी लेने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनना होगा।

अभिभावकों के लिये गौरव का क्षणः राज्यमंत्री उच्च शिक्षा

विशिष्ट अतिथि श्रीमती रजनी तिवारी, माननीय राज्य मंत्री (उच्च शिक्षा) ने कहा कि विद्यार्थियों को इस भव्य समारोह में पदक और उपाधि मिलना छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों के लिए भी गौरव का क्षण है। दीक्षान्त समारोह साधना और संस्कार का उत्सव है।

कुलपति प्रो0 नरेंद्र बहादुर सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए द्वितीय दीक्षांत समारोह के उपाधि प्राप्त छात्रों को विशेष बधाई दी। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 47 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 1 को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

तीन नए शैक्षणिक भवन पर होगा काम ः कुलपति

कुलपति ने आगामी सत्र के लिए नई योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति, नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत, तीन नए शैक्षणिक भवनों और अतिथिगृह का निर्माण शीघ्र शुरू किया जाएगा। एनएसएस और एनसीसी की नई इकाइयों की स्थापना के लिए प्रयास जारी हैं। विश्वविद्यालय परिसर में सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने और नए मार्ग निर्माण के प्रयास किए जा रहे हैं। अंत में कुलपति ने विद्या के महत्व पर जोर देते हुए गार्कण्डेय पुराण का श्लोक उद्धृत किया: ’’विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्न गुप्तम धनं। विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरुणाम् गुरुः।’’कुलपति ने कहा कि विद्या मनुष्य का सबसे बड़ा धन है, जो छिपा हुआ और गुप्त है, और यह जीवन में सफलता और यश की प्राप्ति करती है। उन्होंने सभी छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी और समारोह में उपस्थित अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन किया।

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