निशंक न्यूज डेस्क
बिहार के भागलपुर में हुए दंगों में पीड़ितो का मुकदमा लड़कर उन्हें न्याय दिलाने वाले बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अभयकांत झां को प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। सोमवार को घोषित जनसुराज पार्टी की दूसरी सूची में अभयकांत का नाम सभी के लिये चौकाने वाला रहा। पार्टी ने सोमवार को जारी दूसरी सूची में 65 उम्मीदवारों के नाम शामिल रहे।
पहली बार चुनाव मैदान में उतरे अभयकांत

बताया गया है कि जनसुराज की दूसरी सूची में शामिल भागलपुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार 74 वर्षीय अभयकांत झां सिविल कोर्ट भागलपुर के वरिष्ठ वकील हैं और पहले भागलपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1989 के भागलपुर दंगे में मुस्लिम पीड़ितों के केस लड़ने के कारण उनकी पहचान लोगों के बीच बेहतर मानी जाती है और संवेदनशील वकील के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस चुनाव में अभयकांत झा पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहे है।
सामाजिक कामों में सक्रिय रहते हैं अभयकांत
बताया गया है कि अधिवक्ता अभयकांत झा लंबे समय से सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। वे भागलपुर जन सुराज पार्टी के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर भी हैं और जिले की सभी चुनावी तैयारियों, बूथ-स्तर संगठन और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनके बारे में बताया जाता है कि वे न केवल वकील और नेता हैं बल्कि जनता के मुद्दों के प्रति हमेशा सजग और संवेदनशील रहे हैं।
1989 का भागलपुर दंगा और न्याय की लड़ाई
अभयकांत झा का नाम सबसे अधिक 1989 के भागलपुर दंगे के दौरान सामने आया। उस समय उन्होंने मुस्लिम पक्ष के 880 से ज्यादा पीड़ितों के केस लड़े और इसकी फीस भी नहीं ली। इस दंगे में लगभग 1,070 लोग मारे गए, और लगभग 50 हजार लोग अपने घरों से दूसरी जगह चले गए थे। दंगे के दौरान हिंसा इतनी भयानक थी कि लोगों ने शरणार्थी शिविरों की ओर पलायन किया और पूरे शहर में डर का माहौल फैल गया था।

राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में रहे सक्रिय
बताया गया है कि अभयकांत झा ब्राह्मण समाज से आते हैं, लेकिन उनकी छवि हमेशा जनता के हित और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध रही है। वे राजनीतिक मंच पर सक्रिय न होने के बावजूद सोशल और एजुकेशनल कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे।
अभयकांत झा ने कई आरोपियों को दिलाई उम्रकैद की सजा
भागलपुर दंगे की जांच के लिए दिसंबर 1989 में जस्टिस रामनंदन प्रसाद अध्यक्ष, जस्टिस रामचंद्र प्रसाद सिन्हा और जस्टिस एस. शमसुल हसन की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया गया. मार्च 1995 में इस कमीशन ने 323 पन्नों की रिपोर्ट प्रकाशित की। 2005 में कुछ बंद फाइलें फिर से खुलवाई गईं, जिससे कई आरोपियों को उम्रकैद की सजा मिली।
प्रशांत किशोर को लाभ का भरोसा
अभयकांत झा की जन सुराज पार्टी में जगह उनके न्यायप्रिय और सामाजिक योगदान के कारण मिली है. जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर का मानना है कि उनकी छवि और अनुभव से न केवल चुनावी मजबूती मिलेगी, बल्कि जिले में पार्टी की सामाजिक स्वीकार्यता भी बढ़ेगी.