इंसानियत को बढ़ावा देने वाले जुलूस में बंटेगा करोड़ों का लंगर

सरस वाजपेयी

कानपुर। शहर में बरावफात के अवसर पर पैगंबर हजरत मोहम्मद की पैदाइश की याद में पारंपरिक जुलूस कल पांच सितंबर को निकलेगा। बरावफात को मुस्लिम समुदाय नबी की सीख करुणा ईमानदारी और सेवा को याद करने के दिन के रूप में मनाता है। कई स्थानों पर इसे ईद ए मिलाद उन नबी भी कहा जाता है। जुलूस में शामिल लाखों लोग इंसानियत को बढ़ावा देने का संदेश देते हैं और जुलूस में शामिल लोगों के बीच मुस्लिम अकीदत मंदो द्वारा कानपुर में ही करीब चार करोड़ रूपये का लंगर बांटा जाता है।

आज परेड से उठेगा बारावफात का जुलूस

ग्वालटोरी मकबरा के बाहर की गयी सजावट।

जानकारों की मानी जाए तो सामाजिक बुराइयों को सीख देने व इंसानियत को बढ़ावा देकर इसके रास्ते पर ही चलने का संदेह देने वाला यह जुलूस शुक्रवार 5 सितंबर की दोपहर परेड ग्राउंड से उठाया जाएगा। जुलूस यहां से उठकर नवीन मार्केट, नई सड़क, पेंचबाग से होकर तलाक महल से होता हुआ रहमानी मार्केट, कंघी मोहाल, गुलाब घोसी में मस्जिद, पेशकार रोड, चमनगंज हलीम कालेज, बांस मंडी, लाटूश रोड, मेस्टन रोड सहित मुस्लिम बहुल मार्गों से होकर गुजरेगा यहां से शिवाला व पटकापुर होते हुए फूल बाग पर शांतिपूर्ण समापन होगा। अकीदतमंदों द्वारा जुलूस में शामिल लोगों के साथ ही राहगीरों और जरूरतमंदों के लिए लंगर का विशेष प्रबंध किया गया है। जिसमें पानी खाने की सामग्री के साथ ही शीतलपेय, बिस्कुट टाफी चाकलेट के साथ बिरियानी, शीरमाल, हलुआ आदि सामग्री का वितरण किया जाएगा। जानकारों की मानी जाए तो बारावफात के इस जुलूस के दौरान लगभग चार करोड़ रुपए का लंगर अकीदतमंदों द्वारा बांटा जाता है। जुलूस के आयोजकों ने जुलूस में शामिल होने से वालों से अपील की है कि वह तय रूट का पालन करें और रास्ते में सफाई का पालन करने के साथ ही अनुशाषित होकर चलें।

सीसीटीवी व ड्रोने से की जाएगी निगरानी

प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा और ट्रैफिक डायवर्जन योजना लागू की जाएगी। जुलूस मार्ग के आसपास पार्किंग के लिए अलग स्थान चिह्नित किए गए हैं। भीड़भाड़ वाले चौराहों पर सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था है और आवश्यक स्थानों पर ड्रोन से भी निगरानी होगी। स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस और प्राथमिक उपचार टीमें मैदान में रहेंगी जबकि अग्निशमन विभाग की गाड़ियां अलर्ट पर रहेंगी। नगर निगम ने सफाई पेयजल और कूड़ेदान की विशेष व्यवस्था की है तथा ध्वनि नियंत्रण के नियमों का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। शांति समितियों की बैठकों में स्थानीय प्रतिनिधियों और नागरिक समाज से सहयोग का आग्रह किया गया है।

जूही लाल कालोनी में की गई सजावट।

सेवा धर्म को अपनाने व बुराईयों से दूर रहने का दिया जाएगा संदेश

युवा वर्ग से धर्मगुरुओं और आयोजकों ने आह्वान किया है कि वे पैदाइश के असल संदेश ज्ञान करुणा अनुशासन और सेवा को अपनाएं। प्रशासन ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे अफवाहों से बचें यातायात नियमों का पालन करें और किसी भी जरूरत पर हेल्प डेस्क तथा नजदीकी पुलिस कर्मियों से संपर्क करें ताकि कार्यक्रम शांति और गरिमा के साथ संपन्न हो सके।

क्यों और कब मनाया जाता है बारावफात

बरावफात वह दिन है जब बहुत से मुसलमान पैगंबर हजरत मोहम्मद की पैदाइश को याद करते हैं। दक्षिण एशिया में इसे बरावफात कहा जाता है क्योंकि यह इस्लामी माह रबी अल अव्वल की बारहवीं तारीख को पड़ता है। कुछ परंपराओं में इसी तारीख से विसाल का उल्लेख भी जुड़ा है, इसलिए माहौल में खुशी के साथ आदर और संजीदगी दोनों रहती हैं। बारावफात रबी अल अव्वल की बारहवीं तारीख को मनाया जाता है। चांद के कैलेंडर के कारण ग्रेगोरियन कैलेंडर में तारीख हर साल बदलती है।

की जाती है रोशनी लगाए जाते हैं झंडे

मस्जिदें और घर सजाए जाते हैं, रोशनी और हरे झंडे लगाए जाते हैं। नात पढ़ी जाती है, सीरत की किताबें पढ़ी और सुनाई जाती हैं, करुणा ईमानदारी और सेवा पर बयान होते हैं। कई शहरों में जुलूस निकाले जाते हैं। लंगर के रूप में खाने पीने की चीजें जैसे बिरयानी मिठाई बिस्कुट और पेय बांटे जाते हैं। कई जगह लोग सेवा कार्य करते हैं जैसे गरीबों की मदद सफाई अभियान या रक्तदान शिविर।

अमन भाईचारे की दी जाती है सीख

बरावफात का संदेश अमन भाईचारा और नेकी है। उद्देश्य है कि हम पैगंबर की शिक्षा को रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाएं जैसे सच बोलना पड़ोसी की मदद करना और झगड़ों से बचना। आमतौर पर स्थानीय समितियां और प्रशासन सफाई सुरक्षा यातायात और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था मिलकर करते हैं ताकि कार्यक्रम इज्जत और शांति के साथ पूरा हो।

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