सर्दी नहीं बल्कि इन कारणों से अब बच्चों की अलग यूनिफार्म !

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विकास वाजपेयी
नवंबर के महीना शुरू हो चुका है और गुलाबी सूरत में सर्दी ने भी अपनी चहलकदमी बढ़ा दी है तो स्कूल के बच्चो के लिए भी इस नए मौसम में अलग ड्रेस कोड की सुगबुगाहट है लेकिन ये क्या अब ड्रेस कोड लागू होने के कारण भी बदलने लगे है
हालांकि कानपुर शहर केवल अपने औद्योगिक स्वरूप की वजह से ही नहीं पहचाना जाता है। इसकी पहचान के कई और मानक स्थापित हो रहे है उसमें एक है प्रदूषण का जान लेवा कहर तो कानपुर शहर की गंदगी और बजबजाती नालियों ने इस मैंचेस्टर ऑफ ईस्ट की परिभाषा ही बदल कर रख दी है। इन्ही सब कारणों का परिणाम है कि कानपुर शहर एक भीषण महामारी के जाल में उलझता हुआ दिख रहा है और इसी से मजबूर होकर कानपुर के जिला प्रशासन ने शहर के स्कूली बच्चों के लिए नया ड्रेस कोड सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है।
प्राप्त जानकारियों के अनुसार शहर और आस पास के क्षेत्रों में डेंगू बुखार से दो दर्जन से ज्यादा लोगो की जान ले ली है और न जाने कितने लोग इस बीमारी से निजात पाने के लिए अस्पताल और नर्सिंग होम के अंदर और बाहर संघर्ष करते दिख रहे हैं। स्वस्थ विभाग और नगर निगम की नाकामी का आलम यह है कि इस बीमारी से निजात मिलती दिख नही रही है।
इस डेंगू के मच्छरों की मार से सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की बात सामने आ रही है । जानकर कहते है कि पहले बच्चे बीमारियों के प्रति लापरवाही बरतते है और दूसरा खुली जगहों में रहने के कारण डेंगू के मच्छरों के प्रभाव में बच्चे सबसे पहले आते है। इसी संकेतों को देखते हुए शहर के जिला प्रशासन ने बच्चो की ड्रेस कोड को बदलने का आदेश सभी स्कूलों को पारित किया है और साथ ही सभी स्कूल प्रबंधकों को इसके पालन को कड़ाई से लागू करने के निर्देश भी दिए गए है। अब सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के बच्चें फूल शर्ट के साथ फूल पैंट पहनेंगे और कोई भी बच्चा बिना जूतों के स्कूल में दाखिल नहीं होगा। साथ ही बेटियों के लिए फूल शर्ट और स्कर्ट के साथ लेगिंग्स पहनना अनिवार्य होगा। वैसे जिला प्रशासन देर ही सही शहर में डेंगू के मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए फॉगिंग और सफाई के लिए जिम्मेदार विभागों को भी सख्त निर्देश जारी कर रहा है।